नई दिल्ली :विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने हरियाणा में कड़े मुकाबले वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने, राज्य के नेताओं के बीच एकजुटता दिखाने और चुनाव को कांग्रेस बनाम भाजपा के रूप में पेश करने के लिए मैदान में उतर गए. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होगा. नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी, जो पहले पूरे देश की यात्रा कर चुके थे, 30 सितंबर से 3 अक्टूबर तक हरियाणा में पैदल मार्च करने पर सहमत हो गए. जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कांग्रेस न केवल 10 वर्षों के बाद सत्ता में लौट आए, बल्कि विधानसभा में दो तिहाई बहुमत भी हासिल करे. आम तौर पर किसी राष्ट्रीय नेता द्वारा मतदान के करीब पदयात्रा शुरू करना थोड़ा असामान्य होता है. लेकिन राहुल ने अंतिम प्रयास के लिए सहमति दे दी क्योंकि कई आंतरिक सर्वेक्षणों में कांग्रेस के लिए समर्थन में वृद्धि का संकेत मिला था.
हरियाणा के प्रभारी एआईसीसी सचिव मनोज चौहान ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत जोड़ो यात्रा ने पहले पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाया था. हरियाणा पद यात्रा के परिणामस्वरूप सुनामी आएगी. कांग्रेस 70 से अधिक सीटें जीतेगी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी प्रतिदिन पांच या छह निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करेंगे. इसी क्रम मेंकरनाल के नारायणगढ़ में एक रैली को संबोधित करने के बाद वहां से अपनी पदयात्रा शुरू की तथा सोमवार को यमुनानगर, अंबाला, शाहाबाद और कुरुक्षेत्र का दौरा किया.इसके अलावा राहुल गांधी 1 अक्टूबर को पकौड़ा चौक, बहादुरगढ़ शहर से अपना पैदल मार्च फिर से शुरू करेंगे और लाडरावन, कुंडल, सैदपुर चौक, खरखौदा, सोनीपत, गन्नौर और गोहाना को कवर करेंगे.
वहीं प्रियंका गांधी ने नारायणगढ़ रैली को भी संबोधित किया, जहां राज्य के प्रतिद्वंद्वी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा मंच पर विजय मुद्रा में हाथ पकड़े नजर आए. बाद में राज्य के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ चले, जिन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस राज्य में विकास बहाल करेगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल के पदयात्रा का एक अन्य उद्देश्य 5 अक्टूबर को होने वाले चुनावों को मुख्य रूप से कांग्रेस बनाम भाजपा के रूप में पेश करना है. साथ ही इस प्रक्रिया में इनेलो, जेजेपी, बसपा, एएसपी और आप जैसी छोटी पार्टियों को हाशिए पर डालना है. जेजेपी जो 2019 से भाजपा की सहयोगी थी, अब एक अलग रास्ता अपना रही है और तीसरे मोर्चे को पेश करने के लिए बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी और इनेलो के साथ मिलकर काम कर रही है.
वहीं अरविंद केजरीवाल की आप सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है और दावा कर रही है कि उसके बिना कोई सरकार नहीं बन सकती. उन्होंने कहा कि वे सभी भाजपा के इशारे पर चुनाव में उतरे हैं और उनका लक्ष्य राज्य में भाजपा विरोधी मतों को विभाजित करना है, क्योंकि मतदाता भगवा पार्टी से नाराज हैं. जेजेपी ने पांच साल तक बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता का आनंद लिया, लेकिन अब वे अलग-अलग किस्मत आजमा रहे हैं. दलित वोटों को अपने पाले में करने के लिए बीएसपी और एएसपी साथ आ गए हैं. चौहान ने कहा कि आप की पूरे राज्य में मौजूदगी बहुत कम है, लेकिन वह सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एक तरह से वे सभी भाजपा का खेल खेल रहे हैं और विपक्षी वोटों में सेंध लगाना चाहते हैं. लेकिन इस बार लोग कांग्रेस के साथ हैं. हरियाणा में मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस मुख्य रूप से युवाओं पर पड़ने वाले बेरोजगारी और किसानों की दुर्दशा के मुद्दों को उठा रही है.
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