नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक व्यक्ति को जमानत दे दी, जो नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम मामले में दो साल से जेल में बंद था. कोर्ट ने कहा कि 'लंबे समय तक कारावास मानव स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हनन करता है.'
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ वकील प्रतीक यादव के माध्यम से अंकुर चौधरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें हाईकोर्ट के 2 जनवरी, 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें धारा 8 के तहत दर्ज एक एफआईआर के संबंध में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे और अधिवक्ता राजेश रंजन ने शीर्ष अदालत के समक्ष चौधरी का प्रतिनिधित्व किया.
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि जांच अधिकारी (आईओ) से जिरह के चरण में आने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी क्योंकि लगभग 75 गवाह हैं, और तब तक याचिकाकर्ता को इतनी लंबी और अनिश्चित अवधि के लिए कैद में रखना स्वतंत्रता के सिद्धांत के तहत गलत है.
वकील ने जोर देकर कहा कि उनके मुवक्किल को दो साल से अधिक समय से जेल में रखा गया है और उच्च न्यायालय ने जमानत देने से इनकार करते हुए स्पष्ट रूप से कानून में गलती की है, यह देखते हुए कि आईओ भी एक पंच गवाह है, और चूंकि उसका एग्जामिनेशन पेंडिंगहै, इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी जा सकती है.