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चुनावी नतीजों के बाद मध्यप्रदेश के ये तीन दमदार नेता ले सकते हैं राजनीति से सन्यास - 3 Leaders from MP Retiring soon

मध्यप्रदेश की सभी 29 सीटों पर बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है. इस चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश का सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा भी गवां दिया है. इन चुनावों के साथ बीजेपी और कांग्रेस के आधा दर्जन नेताओं का सियासी सफर थमने के कयास लगाए जा रहे हैं. इनमें से कई नेता अब दिल्ली की राजनीति करते दिखाई देंगे, तो कुछ धार्मिक यात्राओं पर होंगे. दिग्गी, कमलनाथ, गोविंद सिंह ने जहां चुनाव लड़ने से अब किनारा कर लिया है, वहीं बीजेपी नेत्री उमा भारती प्रदेश और देश की सियासत से दूरी बना चुकी हैं.

3 LEADERS FROM MP RETIRING SOON
मध्यप्रदेश के ये तीन दमदार नेता ले सकते हैं राजनीति से सन्यास (Etv Bharat Graphics)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 5, 2024, 1:57 PM IST

भोपाल. मध्यप्रदेश के चुनावी नतीजों के साथ ही प्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं ने अब चुनावों से भी तौबा कर ली है. प्रदेश की सियासत में अब ये नेता शायद ही चुनाव के मैदान में कभी उतरें. वहीं बीजेपी से उमा भारती भी इस लिस्ट में शामिल हैं. जिनके सन्यास के कयास लगाए जा रहे हैं, उनमें सबसे पहला नाम कमलनाथ का है.

राजनीति छोड़ सकते हैं कमलनाथ
कमलनाथ (ETV BHARAT)

छिंदवाड़ा को विकास का रोडमॉडल बताकर 2018 में प्रदेश में सत्ता पाने वाले कमलनाथ की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भी 2019 में उनके हाथ से जाते-जाते रह गई थी. वहीं 2019 के बाद इस बार फिर उन्होंने अपने बेटे नकुलनाथ को चुनाव में उतारा था, लेकिन वह 1 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए. कमलनाथ के अजेय किले पर अब बीजेपी का कब्जा हो गया है. विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी उनके हाथ से संगठन की बागडोर छीनकर युवाओं हाथों में सौंप चुकी है. 77 पार हो चुके कमलनाथ अब दिल्ली की राजनीति में ही सक्रिय दिखाई देंगे या हो सकता है कि पूरी तरह से सक्रिय राजनीति से अलग हो जाएं.

दिग्विजय सिंह अब नहीं लड़ेंगे चुनाव
दिग्विजय सिंह (ETV BHARAT)

दिग्विजय सिंह अपना राजनीतिक करियर का आखिरी चुनाव भी हार गए. उनके अपने होमग्राउंड राजगढ़ में कांग्रेस की हार का सिलसिला इस बार भी वे नहीं तोड़ पाए. इस सीट से तीसरे बार बीजेपी जीती है. दिग्विजय सिंह ने पूरे चुनाव में इसे अपना आखिरी चुनाव बताया था. इससे साफ है कि अब वे शायद ही चुनाव लड़ते दिखाई दें. दिग्विजय सिंह भी 77 साल के हो चुके हैं. प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व अब युवा हाथों में है. जाहिर है वे प्रदेश के स्थान पर केन्द्र में ही सक्रिय दिखाई देंगे. राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल कहते हैं, '' मध्यप्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी युवा हाथों में सौंपी जा चुकी है. जीतू पटवारी अब संगठन में कसावट की कोशिश में जुटे हैं, यह अलग बात है कि उनके जिम्मेदारी संभालने के बाद पार्टी छोड़ने वालों और करारी हार का रिकॉर्ड बन गया. जहां तक दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की बात है तो दोनों नेता केन्द्र में सक्रिय नजर आएंगे.''

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उमा भारती की सियासत पर विराम
उमा भारती (ETV BHARAT)

उधर प्रदेश की फायर ब्रांड बीजेपी नेत्री उमा भारती की सियासी पारी पर विराम लगता दिखाई दे रहा है. बीजेपी के लिए सबसे कठिन माने जा रहे इस पूरे चुनावी परिदृश्य से उमा भारती बाहर रही हैं. लोकसभा चुनाव के पहले उमा भारती ने सार्वजनिक रूप से पार्टी से चुनावी मैदान में उतारने की अपील की थी और कहा था कि वे खुद पार्टी अध्यक्ष से चुनावी मैदान में उतारे जाने का आग्रह करेंगी. हालांकि, पार्टी ने उन्हें किसी भी सीट से चुनाव में नहीं उतारा. बीजेपी के धुंआधार प्रचार अभियान में भी उमा भारती दिखाई नहीं दीं. इस दौरान उमा भारती चार धाम यात्रा पर थीं. हालांकि, मध्यप्रदेश में वे गुना लोकसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए जरूर प्रचार करने पहुंचीं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी में लगातार पीढ़ी परिवर्तन हो रहा है. प्रदेश में भी नई पीढ़ी नेतृत्व कर रही है. कई सीनियर नेताओं को पार्टी मार्गदर्शक मंडल की श्रेणी में डाल चुकी है, ऐसे में उमा भारती की भूमिका पार्टी में क्या होगी देखना दिलचस्प होगा.

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