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नक्सलियों के गढ़ में पहली बार रोड से गुजरेगी पोलिंग पार्टी, इस कॉरिडोर में हो चुके हैं 30 से अधिक नक्सल हमले - Lok Sabha Election 2014

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 30, 2024, 5:29 PM IST

Updated : Mar 30, 2024, 8:04 PM IST

Story of Manatu Chak Road. झारखंड और बिहार को जोड़ने वाली 14 किलोमीटर सड़क पर 30 से अधिक नक्सल हमले हो चुके हैं. अब तक इस रोड से पोलिंग पार्टी कभी नहीं गुजरी है, लेकिन अब फिजा बदल चुकी है.

Story of Manatu Chak Road
Story of Manatu Chak Road

नक्सलियों के गढ़ में पहली बार रोड से गुजरेगी पोलिंग पार्टी

पलामू: नक्सलियों के गढ़ में कई बदलाव हुए हैं, यह बदलाव लोकतंत्र को मजबूत कर रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं. नकसलियों के गढ़ में लोकतंत्र मजबूत होता नजर आ रहा है. पूरे देश में बदलाव का एक बड़ा उदाहरण है झारखंड के मनातू चक रोड. 14 किलोमीटर का यह रोड पलामू को बिहार के गया से जोड़ती है.

2004 के बाद किसी भी चुनाव में इस रोड से पोलिंग पार्टी नहीं गुजरी है. 2024 के आम चुनाव में पहली बार पोलिंग पार्टी इस रोड से गुजरने वाली है. यह सड़क काफी संवेदनशील मानी जाती है. 2004 के बाद से इस सड़क पर 30 से अधिक नक्सल हमले हो चुके हैं. जिसमें आठ जवान शहीद हुए हैं. 2011 में हुए नक्सल हमले में पलामू के तत्कालीन पलामू एसपी अनूप टी मैथ्यू बाल-बाल बच गए थे. 2009-10 में हुए लैंड माइंस विस्फोट में चार जवान शहीद हुए थे. 2021 के बाद से इस रोड पर नक्सल हमला नहीं हुआ है.

हेलीकॉप्टर से जाते थे मतदानकर्मी, सीआरपीएफ की तैनाती में होता था मतदान

मनातू चक रोड से चतरा लोकसभा क्षेत्र के चक और मंसुरिया पंचायत में मतदान के लिए पोलिंग पार्टी को जाना है. 2004 से 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों जगहों पर हेलीकॉप्टर के माध्यम से मतदान कर्मियों को भेजा जाता था. इलाके में 12 मतदान केंद्र हैं जहां सीआरपीएफ की तैनाती में मतदान होता था. पहली बार इलाके में सड़क मार्ग से मतदानकर्मी जाने वाले हैं.

पलामू एसपी रीष्मा रमेशन का कहना है कि 2019 के बाद से इलाके में हालात बदले हैं. सुरक्षाबल की मौजूदगी में लोगों को सुरक्षित माहौल मिला है. चक और मसूरिया के इलाके में पिकेट बनी है. इस विकेट के माध्यम से इलाके में लोगों को सुरक्षित माहौल दिया गया है. मनातू चक रोड संवेदनशील रही है जिस पर पुलिस एवं सुरक्षा बलों की नजर बनी हुई रहती है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के पल पर बनी थी मनातू चक रोड, आठ बार निकाला गया था टेंडर

मनातू चक रोड बनाने के लिए सरकार ने आठ बार टेंडर निकाला था. माओवादियों के खौफ के कारण कोई भी ठेकेदार इस रोड को नहीं बनाना चाहता था. 2017-18 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहल करते हुए रोड को बनाने के लिए सीआरपीएफ को उपलब्ध करवाया था. दो कंपनी सीआरपीएफ की मौजूदगी में मनातू चक रोड का निर्माण किया गया है.

रोड बनाने के दौरान भी नक्सलियों ने विस्फोट किए थे. मनातू के चक के रहने वाले सुरेंद्र बताते हैं कि पहले वाला माहौल अब बदल गया है वह बेखौफ रात को 10 बजे के बाद भी सफर करते हैं. रंजीत कुमार बताते हैं कि पहले का माहौल बदल गया है नक्सली अब कमजोर हो गए हैं, इलाके में रोड पर चलने में अब कोई खतरा महसूस नहीं होता है.

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Last Updated : Mar 30, 2024, 8:04 PM IST

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