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पहेली की तरह है झारखंड की राजनीति, पांच साल में चार बार विश्वास की हुई परीक्षा, एक बार चंपाई तो तीन बार जीते हेमंत - Political instability in Jharkhand - POLITICAL INSTABILITY IN JHARKHAND

Political instability in Jharkhand. झारखंड की राजनीति पहेली की तरह है, यहां पांच साल में चार बार सरकार को विश्वास मत हासिल करना पड़ा है. जिसमें तीन बार हेमंत सोरेन ने विश्वास मत हासिल किया तो एक बार चंपाई सोरेन ने. आखिर ऐसी परिस्थित क्यों आई, इस रिपोर्ट में जानिए.

Political instability in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 8, 2024, 5:57 PM IST

रांची:झारखंड की राजनीति को यूं ही अस्थिरता शब्द का पर्यायवाची नहीं कहा जाता. यहां इतनी पेचीदगियां है कि अच्छे अच्छे पॉलिटिक्ल पंडितों का ज्ञान फेल हो जाता है. कब कौन सीएम बन जाए, कब किसकी सरकार गिर जाए, कब कौन पाला बदल ले, ये बातें यहां की पहचान बन गई हैं. हालांकि, यह सब साल 2014 में विधानसभा चुनाव परिणाम से पहले की बाते हैं. लेकिन 2019 में विस चुनावी नतीजों के बाद झारखंड ने फिर राजनीतिक उथल पुथल का दौर देखा. फर्क बस इतना रहा कि हर बार सत्ताधारी दल ने सदन में विश्वास मत हासिल करने में सफलता हासिल की.

दो बार पहले भी हेमंत ने हासिल किया विश्वास मत

इसकी शुरूआत 2019 के विस चुनाव में तत्कालीन रघुवर दास सरकार की करारी हार और हेमंत सोरेन सरकार के गठन की वजह से हुई. 6 जनवरी 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिना किसी परेशानी के विश्वास मत हासिल कर लिया. तब उनको 47 विधायकों का समर्थन मिला था. पंचम विधानसभा के कार्यकाल में हेमंत सोरेन को बतौर सीएम दूसरी बार विश्वास प्रस्ताव से गुजरना पड़ा. तब अस्थिरता का दौर था. पत्थर खदान लीज आवंटन मामले में बर्खास्तगी की आशंका को देखते हुए 5 सितंबर 2022 को विशेष सत्र बुलाकर हेमंत सोरन ने विश्वास मत हासिल कर यह संदेश दिया कि उनके विधायक एकजुट हैं. इस फ्लोर टेस्ट में सरकार को 48 वोट मिले थे.

हेमंत की गिरफ्तारी के बाद चंपाई का फ्लोर टेस्ट

हालांकि हेमंत सोरेन की परेशानियां बनी रही. लैंड स्कैम मामले में उनकी दूसरी परेशानी तब शुरु हुई, जब 14 अगस्त 2023 को ईडी ने उनको पूछताछ के लिए बुलाया. इसके बाद समन का सिलसिला चलता रहा. अंत में 10वें समन पर पूछताछ के दौरान हेमंत सोरेन गिरफ्तार कर लिए गये. उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. लिहाजा, उनकी जगह सत्ताधारी दलों के नेता बने चंपाई सोरेन की सरकार को प्लोर टेस्ट के लिए जाना पड़ा. लेकिन चंपाई सोरेन सरकार 47 वोट लाकर विश्वासत मत जीतने में सफल रही.

तीसरी बार हेमंत ने जीता विश्वास मत

पांच माह गुजरे नहीं थे कि चौथी बार फिर विश्वास मत हासिल करने की नौबत आ गई. पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को लैंड स्कैम मामले में हाईकोर्ट से नियमित जमानत मिल गई. वह 28 जून को जेल से बाहर आ गये. 3 जुलाई को सत्ताधारी दल का नेता चुन लिये गये और 4 जुलाई को तीसरी बार सीएम बन गये. लिहाजा, उन्हें फिर से सदन में बहुमत साबित करने के लिए जाना पड़ा. लेकिन पर्याप्त संख्या बल होने के बावजूद उन्होंने कैबिनेट विस्तार से पहले फ्लोर टेस्ट को तवज्जो दिया. नतीजतन, विश्वास मत के पक्ष में कुछ 76 विधायकों की तुलना में 45 वोट मिले.

स्पीकर के अलावा तीन वोट इसलिए कम हो गये क्योंकि नलिन सोरेन और जोबा मांझी अब सांसद बन गयी हैं. जबकि सीता सोरेन इस्तीफा देकर भाजपा में जा चुकी हैं. वैसे, लोस चुनाव के वक्त बागी रुख दिखाने वाले झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम और चमरा लिंडा ने भी सरकार के पक्ष में वोट डाला. इसके बाद ही सीएम हेमंत सोरेन अपने कैबिनेट विस्तार की दिशा में आगे बढ़े. इससे साफ है कि अभी तक सरकार संशय से घिरी हुई है.

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