रांची: झारखंड में राजनीतिक विरासत के चलते कई नेता राजनीति के मैदान में आए या लाए गए हैं. इनमें से अधिकतर ऐसे नाम शामिल हैं जिन्होंने परिस्थितियों के कारण राजनीति में कदम रखा। कुछ को पार्टियों ने ऊंचा स्थान दिया, जबकि अन्य को किनारे कर दिया गया.
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय से दुबारा किस्मत आजमा रही हैं
इनमें सबसे प्रमुख नाम कल्पना सोरेन का है. 31 जनवरी को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से पहले ही उनके राजनीतिक भविष्य की कहानी लिखी जा चुकी थी. इसी वजह से उन्हें सरफराज अहमद से गिरिडीह जिले की गांडेय सीट खाली कराकर उपचुनाव में उतारा गया. उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया गया, और उन्होंने चुनाव भी जीता. अब वे फिर से गांडेय से चुनावी मैदान में हैं और स्टार प्रचारक बन गई हैं. वे पूरे प्रदेश में इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रही हैं.
शिबू सोरेन की बडी बहू सीता सोरेन पर बीजेपी को भरोसा
झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन अब राजनीति में एक नई पहचान बना रही हैं. पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद उन्होंने 'जामा' की राजनीतिक विरासत संभाली और लगातार तीन बार चुनाव जीतने में सफल रहीं. हालांकि, कल्पना सोरेन की एंट्री के बाद और पार्टी में तरजीह न दिए जाने का हवाला देकर उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. भाजपा ने उन्हें दुमका से लोकसभा चुनाव में उतारा, लेकिन वे हार गईं. अब भाजपा ने उन्हें जामताड़ा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फुरकान अंसारी के पुत्र इरफान अंसारी से है, जो वर्तमान में मंत्री हैं और दो बार लगातार जामताड़ा सीट जीत चुके हैं.
शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन भी दांव आजमा रहे हैं
जब राजनीतिक विरासत की चर्चा होती है, तो बसंत सोरेन का नाम भी सामने आता है. वे झामुमो में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं, लेकिन हेमंत सोरेन ने उन्हें पहले से बनी हुई दुमका सीट सौंपकर विधानसभा में प्रवेश कराया. 2019 में, हेमंत सोरेन ने बरहेट और दुमका दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने दुमका सीट खाली कर दी, जिससे बसंत सोरेन को उपचुनाव में सीधा लाभ मिला. इस बार भी बसंत सोरेन दुमका से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनका सामना भाजपा के सुनील सोरेन से है, जिन्होंने बसंत सोरेन के पिता, शिबू सोरेन, को दुमका में लोकसभा चुनाव में हराया था. इससे पहले, सुनील सोरेन ने दुर्गा सोरेन को 'जामा' में विधानसभा चुनाव में भी हराया था.
परिवारवाद की लिस्ट में और भी कई नाम शामिल हैं