नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे के लिए रवाना हो गए हैं. वह इस यात्रा में क्वाड लीडर्स समिट और संयुक्त राष्ट्र के 'भविष्य के शिखर सम्मेलन' में भाग लेंगे. उनका जोर अमेरिका और अन्य इंडो-पैसिफिक सहयोगियों के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत बनाने पर होगा.
इस मौके पर 1990 के दशक में उनकी कम चर्चित अमेरिकी यात्रा का जिक्र करना दिलचस्प होगा, जब वह केवल के साधारण बीजेपी कार्यकर्ता थे. नरेंद्र मोदी 1997 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए अमेरिका गए थे.
कार्यक्रम में भाग लेने के बाद नरेंद्र मोदी अपने मेजबान के घर पर वापस लौटे तो उन्हें पता चला कि उनका बैग, जिसमें उनका पासपोर्ट, पैसा और कपड़े थे, गायब हो गए. यात्रा के दौरान मोदी के साथ रहे एनआरआई हीरूभाई पटेल इस घटना के बारे में बताते हैं, "तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद, नरेंद्र मोदी शांत रहे और सभी को चिंता न करने को कहा, जिससे दबाव में भी शांत रहने की उनकी क्षमता का पता चलता है."
इसके बाद अगले पांच दिन, नए पासपोर्ट के इंतजार में नरेंद्र मोदी ने अपने मेजबान के घर पर बिताए. प्रस्थान करने से पहले, उन्होंने अपने तात्कालिक खर्चों को पूरा करने के लिए कुछ डॉलर का कर्ज मांगा और भारत लौटने पर इसे चुकाने का वादा किया. अपने वचन के अनुसार, उन्होंने कुछ ही दिनों में भारत में अपने मेजबान के रिश्तेदारों को रीपेमेंट कर दी.
नरेंद्र मोदी की सादगीपूर्ण जीवनशैली के बारे में सभी जानते हैं. 1997 में उनकी अमेरिका यात्रा का एक अन्य उदाहरण इस बारे में जानकारी देता है. अटलांटा में रहने वाले एक एनआरआई गोकुल कुन्नाथ को याद है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को एक कार्यक्रम के लिए एयरपोर्ट से रिसीव किया था. कुन्नाथ ने सोचा कि लंबे समय तक रुकने के लिए नरेंद्र मोदी के पास काफी सामान होगा. हालांकि, उन्हें हैरानी हुई कि वे केवल एक छोटे ब्रीफकेस के साइज जितने बैग के साथ पहुंचे.
कुन्नाथ ने मोदी से पूछा कि क्या उनका और सामान रास्ते में है, इस पर उन्होंने जवाब दिया, "कोई सामान नहीं है. यात्रा के लिए मेरे पास बस इतना ही है." इस संक्षिप्त बातचीत ने कुन्नाथ पर एक अमिट छाप छोड़ी. इससे उन्हें नरेंद्र मोदी की विनम्र और अनुशासित जीवनशैली के बारे में पता चला. नरेंद्र मोदी की शुरुआती अमेरिकी यात्राओं ने भारत के विकास के लिए उनके दृष्टिकोण को आकार देने में अहम भूमिका निभाई, खासकर गुजरात में गिफ्ट सिटी की अवधारणा को लेकर.