राज्यसभा में मंगलवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने आम बजट 2025-26 में देश की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए ठोस उपायों की घोषणा नहीं होने का दावा करते हुए सरकार की आलोचना की जबकि निर्दलीय कपिल सिब्बल ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र पर ध्यान दिये बिना भारत एक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता है.
उच्च सदन में आम बजट पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए निर्दलीय कपिल सिब्बल ने कहा कि सत्तारूढ़ दल दस साल से सत्ता में है किंतु परिणाम देने वाला उसका तंत्र सुस्त और अस्थिर है. विकसित भारत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित भारत का मतलब है शिक्षित भारत. उन्होंने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिये बिना देश को विकसित नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि 18वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक क्रांति के बाद सार्वभौम शिक्षा और प्रौद्योगिकी पर ध्यान दिया गया. उन्होंने कहा कि चीन ने भी इन पर ध्यान दिया. सिब्बल ने कहा कि भारत में अभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो दूर, सार्वभौम शिक्षा के लिए ही बहुत प्रयास करना पड़ रहा है.
उन्होंने सरकार से पूछा कि कृत्रिम मेधा (एआई) के बारे में उसका क्या नजरिया है? उन्होंने कहा कि एक तरफ एआई से बड़े पैमाने पर नौकरियां खत्म होने का खतरा है, वहीं दूसरी तरफ प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई का उपयोग भी बहुत जरूरी है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब तक 'हम अपने स्वास्थ्य क्षेत्र पर निवेश नहीं बढ़ाएंगे तो भारत विकसित देश कैसे बन पाएगा? उन्होंने कहा कि बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर मात्र नौ प्रतिशत आवंटन किया गया है.
उन्होंने बाहरी खतरों के प्रति सदन का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि अमेरिका में ट्रंप सरकार के आने के बाद तमाम तरह की आशंकाएं बढ़ गयी हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप सरकार ने इस्पात आयात पर ऊंची दर वाला शुल्क लगाया है किंतु इससे भारत को अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि देश इसका आयात बहुत कम करता है. उन्होंने कहा कि कल यदि अमेरिका सॉफ्टवेयर आयात पर इसी तरह का ऊंचा शुल्क लगा दे तो भारत क्या कर पाएगा, सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए.
सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा होने वाली है और उन्हें ऐसे तमाम मुद्दों पर राष्ट्रपति ट्रंप से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में 8.9 करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं जिनमें से मात्र 3.9 करोड़ लोग ही वास्तव में कर देते हैं. सिब्बल ने कहा कि सरकार को अपना नजरिया बताना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार 'ड्रीम बजट' लाती है जिसमें देश को आगे ले जाने, विकसित बनाने का नजरिया हो तो हम सब (विपक्षी दलों के सदस्य) उसका समर्थन करेंगे. चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने कहा कि जिस प्रकार जून 2024 में अस्थिर सरकार आयी थी, उसी प्रकार अर्थव्यवस्था भी काफी अस्थिर रही है.
उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने सबसे ज्यादा नुकसान निवेशकों को पहुंचाया. उन्होंने कहा कि इसी कारण अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने बाद में कंपनी क्षेत्र को करों में भारी राहत दी जिसके कारण आम आदमी ज्यादा कर दे रहा है. कंपनियां कम कर दे रही हैं.
गोखले ने कहा कि आज बेरोजगारी इतनी बढ़ गयी है कि नौजवानों को समझ नहीं आ रहा कि वे कहां जाए? उन्होंने कहा कि सरकार नयी संसद बनाने जैसे पूंजीगत व्यय कर रही है किंतु इससे रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज यदि लोगों की आय बढ़ रही है तो भी वे खरीद नहीं कर रहे हैं बल्कि वे अपने कर्ज की किस्त चुकाने या अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए नया कर्ज ले रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने आरोप लगाया कि भाजपा के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हारने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल सरकार के वैधानिक अधिकारों में कटौती शुरू कर दी. उन्होंने कहा कि सरकार की इस 'राजनीतिक साजिश' के कारण पश्चिम बंगाल को मनरेगा सहित विभिन्न योजनाओं का धन नहीं दिया जा रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पिछले दस सालों से केवल जुमलों से काम चला रही है. सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने कई ऐसे शब्द इस्तेमाल किए हैं, जो असंसदीय हैं और उन्हें सदन की कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए.
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के चंद्रकात हंडोर ने कहा कि देश में जब तक गरीबों और पिछड़ों का शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में विकास नहीं किया जाता तब तक भारत को विकसित देश नहीं बनाया जा सकता.
उन्होंने कहा कि इसके बिना 2047 का लक्ष्य पाना तो दूर, अगले 50 या 100 साल भी इसमें लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार पिछड़े वर्गों के लिए जो योजनाएं एवं कार्यक्रम बनाती है, जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पाता है. उन्होंने कहा कि सरकार की बहुत सारी योजनाओं का पूरा धन निर्धारित समय पर खर्च नहीं हो पाता.
हंडोर ने सरकार से अनुरोध किया कि पिछड़े वर्गों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के लिए आवंटित धन राशि का किसी अन्य मद में उपयोग न हो सके, इसके लिए कानून बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने सुझाव दिया कि देश के हर जिला मुख्यालय पर बाबा साहेब आंबेडकर के नाम पर एक ऐसा भवन बनाया जाए जिसमें पिछड़े वर्गों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों से जुड़ी योजनाओं को देखने वाले अधिकारी बैठ सकें.
उन्होंने कहा कि ऐसे भवनों के लिए राज्य सरकारों से जमीन मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार केंद्र के अधीन इन वर्गों के लिए छात्रावास बनाये जाने चाहिए. राष्ट्रीय जनता दल के संजय यादव ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस बजट में किसी के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बजट में बिहार को कुछ नहीं मिला और जो भी घोषणाएं की गयी हैं, वे सब 'चुनावी बुलबुले' हैं.
यादव ने कहा कि जिस प्रकार बिहार में पुल ढहकर गिर रहे हैं वैसे ही केंद्रीय बजट में राज्य के लिए जो घोषणाएं की जाती हैं, वे दिल्ली भी नहीं पार कर पातीं, पहले ही ढह जाती हैं.
उन्होंने कहा कि बिहार में चार हवाई अड्डे बनाने का बजट में प्रस्ताव किया गया है. उन्होंने कहा कि इन हवाई अड्डों को महज 65 मील के दायरे में बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इतनी कम दूरी में चार हवाई अड्डे बनाने से वे किस हद तक चल पाएंगे.
राजद सदस्य ने कहा कि बजट में बिहार के लिए मखाना बोर्ड बनाने की बात कही गयी है. उन्होंने कहा कि पहले ही जब इसके लिए अनुसंधान केंद्र था तो इस बोर्ड की क्या आवश्यता है और यह कैसे अलग होगा, इसकी बजट में कोई स्पष्टता नहीं है.
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने न तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया न ही विशेष पैकेज दिया, बस जुमले और सपने दिये. उन्होंने कहा कि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बीस साल से सत्ता में है और वे राज्य को बेरोजगारी, पलायन, अपराध, गरीबी आदि क्षेत्रों में अव्वल नंबर पर ले गये हैं.