सोलापुर: केंद्र सरकार ने सोलापुर के सपूत अरण्यऋषि मारुति चित्तमपल्ली को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की है. वन विभाग में सेवा करते हुए मारुति चित्तमपल्ली ने पक्षियों, जानवरों और वन संसाधनों पर कई किताबें लिखी हैं. उन्होंने मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. मारुति चित्तमपल्ली को पद्मश्री से सम्मानित किये जाने की घोषणा के बाद सोलापुर के साथ-साथ महाराष्ट्र के लोग खुश हैं.
कौन हैं मारुति चित्तमपल्लीः मूल रूप से सोलापुर के रहने वाले मारुति चित्तमपल्ली का जन्म 12 नवंबर 1932 को हुआ था. चित्तमपल्ली एक प्रतिभाशाली लेखक, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पक्षी विज्ञानी और वन्यजीव शोधकर्ता हैं. मारुति चित्तमपल्ली एक मेहनती शोधकर्ता और वन अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन वानिकी के अध्ययन और लेखन के लिए समर्पित कर दिया. चितमपल्ली को पढ़ाई की विरासत घर से ही मिली थी. उन्हें अपने पूर्वजों से पेड़-पौधे लगाने का शौक विरासत में मिला था.
टाइगर रिजर्व के विकास में योगदानः पद्मश्री मारुति चितमपल्ली ने अपनी स्कूली शिक्षा सोलापुर से की. कॉलेज के बाद चितमपल्ली ने स्टेट फॉरेस्ट कॉलेज, कोयंबटूर और बैंगलोर, दिल्ली, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश), देहरादून के वन और वन्यजीव संस्थानों से आगे की व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने कर्नाला पक्षी अभयारण्य, नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान, नागजीरा अभयारण्य और मेलघाट टाइगर रिजर्व के विकास में विशेष योगदान दिया है.
पुरस्कार पाकर हैं खुशः पुरस्कार पाने के बाद चितमपल्ली ने कहा, "मैंने पहले कभी इतनी खुशी महसूस नहीं की थी. मैं सरकार को धन्यवाद देता हूं. आज मुझे जंगल में बिताए सभी दिन याद आ रहे हैं. मैंने मराठी को एक लाख नए शब्द दिए हैं, मुझे वे सभी शब्द याद हैं. वर्तमान में, उन शब्दों को शब्दकोश में लिखने का काम चल रहा है. जंगली जानवर गंध से मनुष्यों की प्रकृति को पहचान सकते हैं. बाघ मांस खाने वालों को पहचान सकते हैं, इसीलिए ये हमले होते हैं. मैंने दस साल की उम्र में मांस खाना छोड़ दिया था. पुरस्कार पाकर मैं बहुत खुश हूं."
इसे भी पढ़ेंः139 पद्म पुरस्कारों की पूरी लिस्ट जारी, शारदा सिन्हा-ओसामु सुजुकी समेत 7 हस्तियों को पद्म विभूषण