नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस डील के मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को चुनौती दी है. इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने याचिका पर मंगलवार को आंशिक सुनवाई की और 20 नवंबर को भी सुनवाई करने का आदेश दिया.
इस दौरान चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन चलाने की अनुमति मिले बिना ही चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसेवक थे, ऐसे में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1) के प्रावधानों के तहत अभियोजन चलाने के लिए अनुमति की जरूरत है. इसका विरोध करते हुए ईडी की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि इस मामले में अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में चिदंबरम के कार्य पर आरोप है, जो उनके आधिकारिक काम से जुड़ा हुआ नहीं था. इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि ट्रायल कोर्ट में इस मामले पर 20 नवंबर को सुनवाई है.
इन्हें बनाया गया आरोपी: बता दें कि 23 मार्च, 2022 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इससे जुड़े सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम को नियमित जमानत दी थी. वहीं 27 नवंबर. 2021 को कोर्ट ने सीबीआई और ईडी की ओर से आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. ईडी की ओर से दाखिल केस में पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम के अलावा मेसर्स पद्मा भास्कर रमन, मेसर्स एडवांटेजेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स चेस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को भी आरोपी बनाया गया है.