हैदराबाद :पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी. 18,626 पेज की विस्तृत रिपोर्ट में 11 अध्याय और 21-खंड अनुबंध शामिल हैं.
'एक राष्ट्र-एक चुनाव' का क्या मतलब?:'वन नेशन वन इलेक्शन' का अर्थ एक ही समय में लोकसभा, सभी राज्य विधानसभाओं और शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं और पंचायतों) के चुनाव कराना है. अभी की बात करें तो देश में ये सभी चुनाव प्रत्येक व्यक्तिगत निर्वाचित निकाय की शर्तों द्वारा निर्धारित समय-सीमा का पालन करते हुए एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से आयोजित किए जाते हैं.
कब बनी थी समिति, कौन-कौन था इसमें : सितंबर 2023 में समिति का गठन किया गया था. पैनल में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी सदस्य थे. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य थे.
समिति ने क्या सिफारिश की है? ये कैसे संभव होगा इसके लिए उपाय भी बताए
संविधान में संशोधन:दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा. पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव होंगे. इसके लिए संविधान संशोधन के लिए राज्यों के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी. दूसरे चरण में, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के साथ इस तरह से समन्वयित किया जाएगा कि स्थानीय निकाय चुनाव लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के 100 दिनों के भीतर आयोजित किए जाएं. इसके लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी.
एकल मतदाता सूची और चुनाव आईडी : समिति ने सिफारिश की है कि सरकार के सभी तीन स्तरों के चुनावों में उपयोग के लिए एक मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र तैयार करने चाहिए, संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि भारत का चुनाव आयोग राज्य चुनाव आयोगों के परामर्श से सिंगल मतदाता सूची और चुनाव आईडी तैयार करे. हालांकि इन संशोधनों के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी.
अगर त्रिशंकु सदन की स्थिति बनी तो क्या होगा : त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी घटना की स्थिति में, शेष अवधि के लिए नई लोकसभा या राज्य विधानसभा का गठन करने के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव दिया गया है.
एक साथ चुनाव मैनेज कैसे करेंगे? ये बताया उपाय : देशभर में एक साथ चुनाव कराना आसान नहीं है. इसके लिए बड़ी संख्या में ईवीएम और चुनाव प्रबंधन संभालने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की जरूरत होगी. ऐसे में समिति ने सिफारिश की है कि लॉजिस्टिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत का चुनाव आयोग, राज्य चुनाव आयोगों के परामर्श से पहले से योजना बनाएगा. वह अनुमान लगाएगा, और जनशक्ति, मतदान कर्मियों, सुरक्षा बलों, ईवीएम की तैनाती के लिए कदम उठाएगा. ताकि सरकार के तीनों स्तरों पर एक साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सकें.
तो बड़ा सवाल ये है कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' कैसे काम करेगा? जवाब है संविधान में संशोधन के बिना नहीं. और उस संशोधन को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ-साथ संभवतः प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा अनुमोदित किया जाना है.