संविधान को अब पढ़ा ही नहीं गाया भी जा सकेगा, छत्तीसगढ़ के डॉ ओमकार साहू मृदुल ने किया कमाल - Constitution sung in songs
छत्तीसगढ़ के रहने वाले डॉ ओमकार साहू मृदुल ने संविधान को कविता के लय में पिरो दिया है. संविधान को काव्यबद्ध करने के बाद मृदुल का कहना है कि अब संविधान को गाकर भी सुना जा सकता है. देश के 142 रचनाकारों ने इसमें सहयोग दिया है. खास बात यह है कि इस कृति को गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड में भी शामिल किया गया है.
सूरजपुर:सरल तरीके से लोगों को संविधान के गूढ़ अर्थ बताने के लिए सूरजपुर के डॉ ओमकार साहू मृदुल ने अनूठी पहल की है. उनकी अगुवाई में देश के 142 रचनाकारों ने संविधान को दोहा, रोला और गेय छंदों में पिरो दिया है. डॉ ओमकार साहू मृदुल का कहना है कि संविधान की भाषा कठिन है. सभी लोगों को इसकी विशेषता पूरी तरह समझ नहीं आती है. संविधान हमारे राष्ट्र की रीढ़ है. लिहाजा इसे छंदबद्ध कर सरल बनाने की कोशिश की गई है.
छत्तीसगढ़ के मृदुल ने किया किया कमाल (ETV Bharat)
संविधान को अब पढ़ा ही नहीं गाया भी जा सकेगा: देश के 142 रचनाकारों ने अपनी रचना से देश के संविधान की पुस्तक को काव्यबद्ध कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया है. ये कमाल करने वाले साहित्यकारों में एक नाम सूरजपुर जिले के छोटे से विकासखण्ड प्रेमनगर के साहित्यकार डॉ ओमकार साहू मृदुल का भी है. मृदुल ने देश और विदेश से 142 साहित्यकारों को एक साथ जोड़कर यह अनूठा काम पूरा किया है. लयबद्ध होने के बाद अब संविधान को सुनकर समझ सकेंगे और अपने अधिकारों को जान भी सकेंगे.
एक पावन और पुनीत कार्य हम सब लोगों ने मिलकर किया है. अब संविधान की कठिन बातों को लोग साधारण शब्दों में भी सुन कर समझ सकेंगे. छंदों और दोहों के जरिए संविधान की गूढ़ बातों को समझ पाएंगे. इस काम में 142 साहित्यकारों ने मिलकर काम किया. कानून से लेकर साहित्य के क्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी अपना योगदान दिया.- डॉ ओमकार साहू मृदुल, प्रमुख संपादक
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम: संविधान को दोहों और छंदों में पिरोने के इस पावन कार्य में डॉ ओमकार साहू मृदुल के परिवार के लोगों ने भी साथ दिया. मृदुल की पत्नी और उनके बेटे ने भी संविधान के अनुच्छेदों को 15 दोहे ओर 3 रोला में लिखकर तैयार किया है. अपने पिता की उपलब्धि से लक्ष्य कुमार साहू भी काफी खुश हैं. मृदुल के पत्नी और बच्चों का कहना है कि उनका सौभाग्य है कि उनको इस काम के लिए चुना गया.
कमाल का काम: देश के 142 रचनाकारों ने जो कारनामा कर दिखाया वो वाकई काबिले तारीफ है जिसकी साहित्य के क्षेत्र में हर तरफ प्रशंसा हो रही है. गद्य, छंद को दोहे और रोले के रूप में देश के संविधान को लयबद्ध सरल शब्दों करना, गाना और सुनना एक अदभुत अहसास कराता है. इसे तैयार करने वाले लोग अब इसकी आडियो बुक लाने की तैयारी कर रहे हैं.