रांचीः झारखंड के 81 में से 09 विधायकों की जीत का कारण नोटा बना है. क्योंकि नौ सीटों पर जीत और हार के मार्जिन से ज्यादा वोट नोटा में गये हैं. इनमें मांडू, लातेहार, छतरपुर, डालटनगंज, कांके, निरसा, सिंदरी, सिमरिया और कोडरमा सीट शामिल है. अगर इन नौ सीटों पर नोटा में वोट नहीं पड़े होते तो परिणाम कुछ और हो सकते थे. इसके अलावा नौ सीटें ऐसी रहीं, जहां नोटा में हजार से भी कम वोट पड़े.
नोटा बना नौ प्रत्याशियों की जीत का कारण
मांडू में आजसू के लिए एकमात्र सीट जीतने वाले निर्मल महतो की कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पटेल से जीत का अंतर सिंह 231 वोट रहा. इसकी तुलना में मांडू में 1,011 वोट नोटा में पड़े. लातेहार में भाजपा के प्रकाश राम ने झामुमो के मंत्री बैद्यनाथ राम को सिर्फ 434 वोट के अंतर से हराया. यहां लोगों ने नोटा में 4,518 वोट डाले. छतरपुर में कांग्रेस के राधाकृष्ण किशोर ने भाजपा की पुष्पा देवी को 736 वोट से हराया. यहां नोटा में 3,026 वोट पड़े. डालटनगंज में अगर नोटा में 1,219 वोट नहीं पड़े होते तो भाजपा के आलोक चौरसिया की जीत फंस सकती थी. क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी से जीत का अंतर सिर्फ 890 वोट रहा.
भाजपा की परंपरागत सीट रही कांके में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा की जीत सिर्फ 968 वोट के अंतर से हुई. इसकी तुलना में कांके में 3,588 वोट नोटा में पड़े. निरसा में भाकपा माले के अरुण चटर्जी की भाजपा प्रत्याशी अपर्णा सेनगुप्ता से कांटे की टक्कर हुई. इस सीट को माले के अरुप चटर्जी महज 1,808 वोट के अंतर से जीतने में सफल रहे जबकि निरसा में लोगों ने नोटा में 4,734 वोट डाले.
सिंदरी सीट पर भी नोटा का प्रभाव दिखा. इस सीट को भाकपा माले के चंद्रदेव महतो ने 3,448 वोट के अंतर से जीता है. यहां नोटा में जीत के अंतर से ज्यादा यानी 5,376 वोट पड़े हैं. सिमरिया सीट जीतने वाले भाजपा के कुमार उज्ज्वल की जीत का मार्जिन सिर्फ 4,001 वोट था. इसकी तुलना में यहां नोटा में 6,928 वोट डाले गये. नोटा में पड़े वोट की तुलना में सबसे कम अंतर से जीत का फैसला कोडरमा में हुआ. यहां भाजपा प्रत्याशी नीरा यादव ने राजद प्रत्याशी सुभाष प्रसाद यादव को 5,815 वोट के अंतर से हराया. इसकी तुलना में नोटा में 5,909 वोट पड़े.