पटना : वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब होता है कि लोकसभा चुनाव के साथ-साथ देश के सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी एक साथ कराए जाएं. इसके अलावा स्थानीय निकायों यानी नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायत के चुनाव भी एक साथ हों. वन नेशन वन इलेक्शन के तहत यदि चुनाव होता है तो निर्वाचन आयोग सभी तरह के चुनाव एक साथ पूरे देश में करवा सकता है.
हमारा पूरा समर्थन है- JDU : वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर जदयू ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन पर जदयू का स्टैंड क्लियर है, पार्टी इसके पक्ष में है. इससे योजनाओं की निरंतरता, नीतियों की निरंतरता जारी रहेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले भी इसका समर्थन किया है.
''समय समय पर राज्यों के और राष्ट्र के चुनाव जब भी होते हैं तो आचार संहिता की वजह से योजनाओं के निर्वाण गति से जारी रखना संभव नहीं होता है. एक साथ देश के सभी राज्यों में चुनाव होंगे तो देश का राजकीय कोष का व्यय कम होगा. फोर्सेज का डेप्लॉयमेंट आसान हो पाएगा. योजनाओं की निरंतरता बनी रहेगी. नीतियों की निरंतरता बनी रहेगी. इससे देश के सभी नागरिकों को व्यापक लाभ मिलेगा.''- राजीव रंजन, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जेडीयू
पहले भी JDU का रहा है सपोर्ट : वैसे अगर गौर से देखा जाए तो जेडीयू हमेशा ही इसका पक्षधर रहा है. नीतीश कुमार खुलकर इसपर बयान दे चुके हैं. यही नहीं इसी वर्ष 17 फरवरी को जनता दल यूनाइटेड की ओर से वन नेशन वन इलेक्शन के लिए गठित हाई लेबल कमेटी को जेडीयू ने अपना मेमोरेंडम दिया गया था. जेडीयू नेता संजय झा और ललन सिंह ने पार्टी की ओर से अपना अधिपत्र (मेमोरेंडम) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपा था.
'सर्वदलीय बैठक में निर्णय हो' : वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर राजद का साफ तौर पर कहना है कि इसके लिए देश के सभी पॉलिटिकल पार्टियों की बैठक बुलाई जाए. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का मानना है कि वन नेशन वन इलेक्शन पर तो सभी पार्टियों की राय लेनी पड़ेगी, एक कमेटी भी सरकार ने बनाई थी. अब वन नेशन वन इलेक्शन सिर्फ कह देने से नहीं हो जाएंगे इसमें बहुत सारी परेशानियों को देखा जाना चाहिए.
''देश के अनेक राज्यों में समय-समय पर चुनाव होते हैं. बिहार का चुनाव होगा, झारखंड का चुनाव होगा, फिर हर राज्यों के चुनाव होंगे. इसके अलावे अलग-अलग राज्य हैं, जहां पहले चुनाव हो चुके हैं वहां समय से पहले चुनाव करवाने होंगे. लोकसभा का चुनाव में 5 साल है तो इसको लेकर के सर्वदलीय बैठक जब बुलाई जाएगी उसमें आरजेडी अपना स्टैंड रखेगी.''- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
'बीजेपी के घोषणापत्र का हिस्सा' :बीजेपी का स्पष्ट कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन उसकी घोषणा पत्र का हिस्सा है. बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि, भारतीय जनता पार्टी चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है. जिन उपायों से चुनावी प्रक्रिया और ज्यादा सरल हो जाए और ज्यादा पारदर्शी हो जाए और वित्तीय बोझ कम से कम पड़े उसे सभी काम हम करेंगे.
''हमने तो यह अपने घोषणा पत्र में कहा था, एक राष्ट्र एक चुनाव. इसके पीछे की सोच यही है कि चुनाव पारदर्शी होने चाहिए. यह जो जटिल प्रक्रिया है वह सरल होनी चाहिए. आर्थिक रूप से चुनाव व्यावहारिक होनी चाहिए. एक देश में एक वक्त में यदि चुनाव होता है तो समय बचेगा, पैसे बचेंगे और पारदर्शिता रहेगी. यह कोई नई बात नहीं कर रहे हैं. यदि सबों की राय रही तो बहुत जल्द हम इसको मूर्त रूप देने जा रहे हैं.''- कुंतल कृष्ण, बीजेपी प्रवक्ता
क्या कहना है जानकारों का ? : वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का मानना है कि मुद्दा पहले से है. चुनाव होने का मतलब है कि 3 महीने कम से कम हर ढंग का विकास बाधित होता है. अभी केंद्र में जो सरकार है वह चाहती है कि समय का उपयोग हो पैसे का सदुपयोग हो. बेवजह का हर 2 महीने 3 महीने में देश के किसी न किसी हिस्से में चुनाव होता है. इससे लोग प्रभावित होते हैं, मानसिक रूप से, राजनीतिक रूप से, आर्थिक रूप से और सामाजिक रूप से.