नई दिल्ली/गाजियाबाद :सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. सभी एकादशी तिथियों में निर्जला एकादशी तिथि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों की तुलना में सबसे कठिन माना जाता है. ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी तिथि का व्रत मंगलवार, 18 जून 2024 को रखा जाएगा. निर्जला एकादशी का व्रत सनातन धर्म में तपस्या के समान बताया गया है. ऐसा माना गया है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से साल भर की सभी एकादशी का व्रत करने के समान फल मिलता है. निर्जला एकादशी के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक इस साल एकादशी तिथि में वृद्धि हुई है. ऐसे में इसे कहा जाता है की एकादशी सठिया गई है. सठियाने से तात्पर्य है वृद्धावस्था प्राप्त कर लेना. निर्जला एकादशी का व्रत इस साल शिवयोग में रखा जाएगा. यदि आप साल की सभी एकादशी तिथि पर व्रत रखने में असमर्थ हैं तो निर्जला एकादशी का व्रत जरूर रखें. निर्जला एकादशी व्रत के दौरान अन्न और जल ग्रहण न करें. सामर्थ के अनुसार दान जरूर करें.
शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ : सोमवार, 17 जून 2024 सुबह 4:43 AM से शुरू होगी.
- एकादशी तिथि समाप्त : मंगलवार, 18 जून 2024 सुबह 06:24 AM पर समाप्त होगी.
- उदया तिथि के अनुसार 18 जून 2024 को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
शिवकुमार शर्मा बताते हैं कि भीमसेन ने एक बार भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि मैंने बहुत पाप किए हैं. विभिन्न युद्धों में योद्धाओं को मारा है. मैं इसका प्रायश्चित कैसे करूं ? तब श्री कृष्ण ने भीमसेन से एकादशी का व्रत करने के लिए कहा था. भीमसेन ने श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं साल की सभी एकादशी के व्रत नहीं रख सकता, तो मुझे कोई एक ऐसी एकादशी बता दीजिए जिसका व्रत मैं रख सकूं. जिससे सभी एकादशी के व्रत का लाभ मिले. श्री कृष्णा भीमसेन से कहा कि तुम ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी का व्रत रखो.
व्रत रखने के नियम
- एकादशी तिथि पर तामसिक भोजन पूर्णता त्याग दें. लहसुन, प्याज, शराब आदि का सेवन न करें.
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि पर संबंध बनाना वर्जित बताया गया है. एकादशी तिथि के दिन संबंध बनना पाप की श्रेणी में आता है.
- एकादशी की तिथि के दिन वाणी पर नियंत्रण रखें. गुस्से को पूर्णता त्याग दें और किसी से दुर्व्यवहार या अपशब्द न कहें.