देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले में देहरादून निवासी अभिनव थापर की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जनहित याचिका में अभिनव थापर ने उत्तराखंड राज्य गठन से लेकर अभीतक गलत प्रकिया से नौकरी देने वाले अफसरों, विधानसभा अध्यक्षों, मुख्यमंत्रियों और भ्रष्टाचारियों से लूटा हुआ सरकारी धन वसूला जाए, इसकी मांग की थी. इसके अलावा युवाओं की नौकरियों की लूट करवाने वाले "माननीयों" के खिलाफ सरकारी धन की रिकवरी व कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. इस मामले में कोर्ट ने सरकार से दिन हफ्ते में जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया था कि विधानसभा ने एक जांच समिति बनाकर साल 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया था, लेकिन यह घोटाला सन् 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था. जिसपर सरकार ने अनदेखी करी. इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है.
वहीं विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों पर हाईकोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में जांच कराने हेतु व लूट मचाने वालों से सरकारी धन की रिकवरी हेतु अभिनव थापर ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसपर हाईकोर्ट ने गंभीरता से निर्देश दिए और 28.02.2024 को हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए कि 2021 से 2022 तक सभी विधानसभा बैकडोर भर्तियों को बिना नियमों के नियुक्त किया गया था. इसीलिए 06.02.2003 की कार्रवाही पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें, लेकिन आज उत्तराखंड सरकार ने फिर कार्मिक सचिव को जवाब दाखिल करने के लिये समय मांगा है.
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के 6 फरवरी के 2003 शासनादेश, जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, सरकारी धन के दुरुपयोग की वसूली, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन, जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है. उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है.