पिथौरागढ़ में छिरकानी ग्लेशियर खिसका पिथौरागढ़: मुनस्यारी मिलम मार्ग में मापांग के पास छिरकानी में ग्लेशियर खिसकने से मार्ग बंद हो गया है. चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी और क्षेत्र से लगे हुए 13 गांवों के ग्रामीण मार्ग बंद होने से परेशान हो गये हैं. चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग में छिरकानी के पास अचानक ग्लेशियर टूटकर आ गया.
पिथौरागढ़ में ग्लेशियर टूटा:ग्लेशियर टूटने से मार्ग बाधित हो गया है. रिलकोट, समतू, जोहार वैली, टोला, गनघर, रालम सहित 13 गांवों के लोगों के सामने मार्ग बंद होने से परेशानी खड़ी हो गई है. इन दिनों इन गांवों से माइग्रेशन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में भेड़ पालक यहां पर रहते हैं. उनको मार्ग बंद होने से परेशानी हो रही है. ग्लेशियर आने के कारण पूरा मार्ग बंद पड़ा हुआ है. पैदल भी जाने के लिए मार्ग नहीं है.
ग्लेशियर टूटने से मार्ग बंद: तीन दिन पूर्व मतदान के लिए गांवों में आये लोगों को अब वापस जाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. लोगों ने जिला प्रशासन से शीघ्र मार्ग को खोलने की मांग की है. वही बीआरओ के द्वारा बर्फ हटाने का कार्य शुरू कर दिया गया है. लेकिन बड़ी मात्रा में बर्फ आने के कारण उसे हटाने के कार्य में परेशानी आ रही है. तहसील प्रशासन ने बीआरओ को शीघ्र मार्ग खोलने के निर्देश दिए हैं.
बीआरओ बना रहा है अस्थाई मार्ग:मुनस्यारी मिलम मार्ग में ग्लेशियर टूटने के कारण बंद हुए मार्ग को खोलने के साथ ही बीआरओ के द्वारा अतिरिक्त मार्ग भी बनाया जा रहा है. पिछले दिनों इस मार्ग एक झूला पुल भी भूस्खलन के कारण टूट गया था. जिससे इस पैदल मार्ग से भी सम्पर्क टूट गया था. बीआरओ के द्वारा एक अतिरिक्त अस्थाई मार्ग का भी निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. देर शाम तक खोलने की बात कही जा रही है. वहीं ग्लेशियर वाले क्षेत्र को भी लगातार खोलने का प्रयास किया जा रहा है. इस क्षेत्र में 13 गांवों के सैकड़ों लोग रहते हैं जो माइग्रेशन के लिए जाते हैं. वहीं इसी मार्ग से होकर आईटीबीपी और सेना के जवान भी जाते हैं. सामरिक दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण मार्ग होने के साथ ही यहां पर पर्यटक भी आते हैं. चीन सीमा से लगा होने के कारण यहां पर बीआरओ की टीमें लगातार कार्य कर रही हैं.
गर्मी में खिसकते हैं ग्लेशियर:पिछले वर्ष भी मई माह में गर्मी अधिक बढ़ने के कारण मिलम मार्ग में कई स्थानों पर ग्लेशियर खिसकने से मार्ग बंद हुए थे. पूर्व में मई और जून माह में ग्लेशियर खिसकने की घटनाएं अधिक होती रही हैं. लेकिन इस बार अप्रैल में ही ग्लेशियर खिसक गया. लगातार गर्मी बढ़ने के साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों बर्फ पिघलने और ग्लेशियर खिसकने की घटना पहले ही होने लगी हैं.
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