लखनऊ :यूपी की गाजीपुर, मऊ और पंजाब की मोहाली व रोपड़ जेल में मौज-मस्ती करने वाले मुख्तार की हिम्मत तब टूट गई, जब अवधेश राय हत्याकांड में जून 2023 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. यह पहली बार था जब मुख्तार को किसी मामले में उम्रकैद की सजा हुई. इस सजा के ऐलान के बाद मुख्तार अंसारी की जेल से बाहर आने की उम्मीद पूरी तरह टूट गई. इसी के साथ अचानक उसकी हनक भी हवा हो गई. ऐसे में यह जानना रोचक हो जाता है कि आखिर कौन थे अवधेश राय, जिनकी हत्या के लिए मुख्तार को उम्रकैद हुई थी?
अवधेश राय यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष व वाराणसी के विधायक रहे अजय राय के बड़े भाई थे. 3 अगस्त 1991 को अवधेश राय अपने भाई अजय के साथ वाराणसी के लहुराबीर स्थित अपने घर के बाहर खड़े थे. इस दौरान कार सवार कई बदमाश आए और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर अजय के सामने ही अवधेश को मौत के घाट उतार दिया. न सिर्फ ठेकेदारी बल्कि राजनीति में भी अवधेश राय एक बड़े नाम थे.
उनकी हत्या होते ही पूर्वांचल के अपराध जगत में मुख्तार अंसारी का बड़ा नाम हो गया. क्या नेता और क्या ठेकेदार और बिजनेसमैन, सब मुख्तार के नाम से खौफ खाने लगे. पूर्वांचल में ठेकेदारी से लेकर रंगदारी तक हर अपराध में मुख्तार का नाम आने लगा था. भाई अवधेश राय की हत्या को लेकर अजय राय ने मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश के खिलाफ चेतगंज थाने में हत्या का केस दर्ज कराया.
अजय राय ने 32 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और 5 जून 2023 को वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को उम्र कैद की सजा व एक लाख रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई.
क्या थी अवधेश राय की हत्या की वजह :चार दशक तक पांच दर्जन मुकदमे दर्ज होने के बाद एक भी मामले में सजा न पाने वाले मुख्तार को इस हत्याकांड में उम्रकैद हुई, आखिर वह क्यों अंजाम दी गई यह सवाल उठना लाजमी है. दरअसल, कहा जाता है कि अवधेश राय मुख्तार के धुर विरोधी ब्रजेश सिंह के करीबी थे. चंदासी कोयला मंडी में मुख्तार अंसारी की वसूली में अवधेश राय अड़ंगा बन रहे थे.
इतना ही नहीं अवधेश राय ने मुख्तार अंसारी की कई बार बेइज्जती की थी. इससे वह आहत भी था. इसी के चलते मुख्तार ने अपने साथियों के साथ मिलकर अवधेश राय की हत्या की साजिश रची और तीन अगस्त 1991 को वाराणसी के चेतगंज थाने से चंद कदम दूरी पर स्थित उनके घर के बाहर हत्या कर दी.