इंदौर (सिद्धार्थ माछीवाल): अभी तक आपने बॉडीबिल्डिंग में पुरुषों की प्रतिभागी के बारे में सुना होगा, लेकिन अब इस क्षेत्र में भी महिलाएं अपना हुनर दिखा रही हैं. मिस इंडिया वंदना ठाकुर मध्य प्रदेश की इकलौती बॉडी बिल्डर हैं. जिसने इंटरनेशनल खेलों में देश का नाम रोशन किया है. इतना ही नहीं इसी साल हुए मिस इंडिया बॉडी बिल्डर का खिताब भी अपने नाम किया. हालांकि वर्तमान में हालात यह हैं कि इन दिनों वह अपनी प्रैक्टिस के लिए जरूरी डाइट और आर्थिक मदद के लिए दूसरों पर मोहताज हैं.
जबकि वंदना बच्चों को कोचिंग भी पढ़ाती हैं. आर्थिक हालातों से परेशान वंदना ने बॉडी बिल्डिंग में आगे बढ़ने के लिए राज्य सरकार व खासकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अन्य राज्यों की तरह ही स्पॉन्सरशिप और आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.
बॉडी बिल्डर वंदना ठाकुर की मांग (ETV Bharat) वंदना ने एशियाई चैंपियनशिप में जीता सिल्वर मेडल
दरअसल, मिस इंडिया बॉडी बिल्डर वंदना ठाकुर इन दिनों चर्चा में हैं, क्योंकि हाल ही में उन्होंने कर्नाटक में आयोजित नेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप 2025 में महिला बॉडी बिल्डिंग कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीतकर नाम रोशन किया है. इंदौर की रहने वाली वंदना ठाकुर अब तक बॉडीबिल्डिंग कि एशियाई चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं. जबकि इंटरनेशनल एथलीट में वह ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं. फिलहाल वह इंदौर की स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर हैं और बॉडीबिल्डिंग की भी एमपी की ब्रांड एंबेसडर हैं.
वंदना की आर्थिक हालत ठीक नहीं
ईटीवी भारत से चर्चा में वंदना ठाकुर ने बताया कि "हाल ही में जो कर्नाटक में एशियाई बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप हुई. उसमें जाने के लिए भी उनके पास टिकट के पैसे नहीं थे. किसी तरह अपने गुरु अजय तिवारी के अलावा शुभचिंतक अतुल मलिकराम, गीतांजलि विश्वकर्मा व अन्य लोगों के आर्थिक सहयोग और मनोबल के कारण वह प्रतियोगिता में पहुंची. जहां उन्होंने मध्य प्रदेश बल्कि देशभर के लिए गोल्ड मेडल जीतकर अपनी योग्यता को साबित किया."
मिस इंडिया बॉडीबिल्डर वंदना ठाकुर (ETV Bharat) डाइट के लिए भी पैसे नहीं, मोहन सरकार से अपील
वंदना की कोच गीतांजली बताती हैं कि "कई बार उनके पास खेल प्रतियोगिताओं में आने-जाने का खर्च नहीं होता. इसके अलावा अपनी बॉडी बनाए रखने के लिए जरूरी डाइट की आवश्यकता होती है, वह भी उन्हें नहीं मिल पाती. ऐसे में वह इंटरनेशनल चैंपियनशिप की तैयारी के हिसाब से प्रैक्टिस नहीं कर पाती. ऐसे में सरकार को कम से कम प्रदेश की इकलौती इंडिया की मिस बॉडीबिल्डर की समस्या पर भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से अपील करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खुद भी खेलों से जुड़े रहे हैं. लिहाजा प्रदेश की एकमात्र बॉडी बिल्डर को कोई ना कोई स्पॉन्सरशिप देकर उसका मनोबल गिरने से बचा लें. उन्होंने कहा हाल ही में इंदौर नगर निगम ने भी उन्हें स्वच्छता का ब्रांड एंबेसडर बनाया है, लेकिन उनकी आर्थिक परेशानियां यथावत है."
वंदना की संघर्ष से भरी जिंदगी
दरअसल, बचपन में ही वंदना के माता-पिता का देहांत हो चुका था. उनके पिता आर्मी में थे, जो देश की रक्षा करते वक्त शहीद हुए थे. कुछ समय बाद कैंसर के कारण उनकी मां का भी देहांत हो गया. घर के हालात खराब होने के कारण उन्होंने बचपन में गोली बिस्किट और अगरबत्ती तक बेची. वंदना की पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई, लेकिन तब भी उनके पास कॉपी-किताब खरीदने के पैसे नहीं होते थे. लिहाजा उन्होंने कबाड़ की दुकान पर बिकने के लिए आने वाली पुरानी कॉपी की लिखावट को मिटाकर पुरानी कॉपी पर लिखाई-पढ़ाई की.
ओलंपिक का सपना, पावरलिफ्टिंग में जीता गोल्ड
वंदना का बचपन से ही सपना था कि वह ओलंपिक खिलाड़ी बने, लेकिन इसके लिए कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं था. सबसे पहले उन्होंने क्रिकेट ज्वाइन किया, लेकिन किट खरीदने की फीस नहीं होने के कारण वह छोड़ दिया. फिर कराटे ज्वाइन किया. उसमें भी नेशनल गोल्ड मेडल जीता, लेकिन फीस नहीं भरने के कारण वह इंटरनेशनल प्रतियोगिता में खेलने नहीं जा पाई. लिहाजा कराटे का खेल भी छोड़ना पड़ा. इसके बाद उन्होंने छोटे बच्चों को पढ़ाकर पैसे जमा किए और पावरलिफ्टिंग शुरू किया. पावरलिफ्टिंग में उन्होंने 2017 में भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता.
2025 में मिस इंडिया का खिताब जीता
उसके बाद बॉडीबिल्डिंग की शुरुआत की. अब बीते 10 सालों से बॉडीबिल्डिंग के कठिन प्रयासों की बदौलत वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुकी है. हाल ही में भारत के लिए एशियाई चैंपियनशिप का सिल्वर और वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्हें ब्रांच मेडल मिला है. इसके साथ उन्होंने 2025 का मिस इंडिया के खिताब भी अपने नाम किया है.