मणिपुर हिंसा पर मोहन भागवत की मोदी सरकार को चेतावनी! क्या हैं उनके बयान के मायने? - Mohan Bhagwat on Manipur Violence
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बीते दिन ही केंद्र सरकार से मणिपुर मामला सुलझाने के लिए कहा था. उनकी इस नसीहत से कई सवाल खड़े हो गए और इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है.
नासिक: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर बीते दिन चिंता जताई. उन्होंने सरकार को मणिपुर की ओर ध्यान देने का सुझाव दिया. वे सोमवार (10 जून) को नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग कार्यक्रम में बोल रहे थे. लेकिन यहां पर सवाल यह है कि मोहन भागवत के इस बयान के क्या मायने हैं? इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है.
कई सवाल उठ रहे हैं जैसे कि मोदी सरकार मणिपुर में हिंसा से निपटने में विफल क्यों रही? क्या मोदी सरकार मोहन भागवत के बयान पर संज्ञान लेकर मणिपुर के मुद्दे को तुरंत सुलझाएगी? मोहन भागवत ने मणिपुर मुद्दे पर मोदी सरकार के कान भरे हैं.
इसलिए क्या केंद्र सरकार मणिपुर के मुद्दे को गंभीरता से लेगी और भविष्य में शांति स्थापित करेगी, इस पर राजनीतिक विश्लेषक उदय तनपाठक ने अपनी राय जाहिर की है. उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में आई है. अब मणिपुर के मुद्दे पर संघ ने हस्तक्षेप किया है.'
तनपाठक ने कहा कि 'इसलिए इसके परिणाम भविष्य में जरूर देखने को मिलेंगे.' उदय तनपाठक ने कहा है कि 'सरकार मणिपुर की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर सुलझा सकती है. अब ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सक्रिय हो गया है और भाजपा की राजनीति पर ध्यान देगा. इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि पिछली गलतियां न दोहराई जाएं.'
उन्होंने कहा कि 'इसलिए भविष्य में कुछ अच्छे फैसले जरूर देखने को मिलेंगे. खास बात यह है कि अगले साल यानी 2025 में संघ के 100 साल पूरे हो जाएंगे. संघ शताब्दी मनाई जाएगी.' तनपाठक ने कहा है कि 'संघ के 100 साल पूरे होने पर कई अच्छे फैसले लिए जा सकते हैं. साथ ही मणिपुर ही एकमात्र मुद्दा नहीं है, न ही यह मणिपुर तक सीमित सवाल है.'
उन्होंने कहा कि 'तिब्बत और चीन के बीच सीमा को लेकर कई मुद्दे हैं. नस्लीय संघर्ष है. इसका फैसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है. इसलिए यह कहना मुश्किल है कि मोदी सरकार इस पर तुरंत कोई फैसला लेगी या नहीं. हालांकि, मोदी सरकार इसे प्राथमिकता के आधार पर सुलझा सकती है. लेकिन यहां बैठकर बात करना या लिखना आसान है.'
उदय तनपाठक ने कहा कि 'क्या वाकई कोई वहां गया और निरीक्षण किया? क्या विपक्ष वहां गया?' यह सवाल उदय तनपाठक ने उठाया है. लेकिन जिस तरह से संघ ने अब इस पर टिप्पणी की है, उससे यह सरकार मणिपुर पर प्राथमिकता के तौर पर ध्यान केंद्रित करेगी.