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24 राज्यों के प्रतिभागियों ने जाना पूर्वोत्तर का हालात, मिजो चीफ बोले- इन प्रदेशों के साथ हुआ सौतेला व्यवहार - International Day Of Democracy

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 16, 2024, 6:02 PM IST

International Day Of Democracy, विश्व लोकतंत्र दिवस के मौके पर जयपुर में चल रही भारतीय युवा संसद के दूसरे दिन सोमवार को 24 राज्यों से आए प्रतिभागी पूर्वोत्तर राज्यों के हालात से रूबरू हुए. मिजो चीफ लालहुना हुनार माटे ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ सौतेला बर्ताव हुआ है. आज भारत-बांग्लादेश की सीमा पर लोग डर के साए में जी रहे हैं.

International Day Of Democracy
24 राज्यों के प्रतिभागियों ने जाना पूर्वोत्तर का हालात (ETV BHARAT JAIPUR)

मिजो चीफ लालहुना हुनार माटे (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : विश्व लोकतंत्र दिवस के मौके पर जयपुर में चल रही भारतीय युवा संसद के दूसरे दिन 24 राज्यों से आए प्रतिभागी पूर्वोत्तर राज्यों के हालात से रूबरू हुए. मिजो चीफ लालहुना हुनार माटे ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ सौतेला बर्ताव हुआ है. आज भारत-बांग्लादेश की सीमा पर लोग डर के साये में जी रहे हैं. असम विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ. नुमाल मोमिन और पर्यावरणविद लक्ष्मण सिंह लापोड़िया ने भी युवाओं से संवाद किया. डॉ. मोमिन ने युवाओं को सांस्कृतिक विरासत और जड़ों से जुड़े रहने का आह्वान किया. जबकि लक्ष्मण सिंह लापोड़िया ने बताया कि कैसे बारिश के पानी को सहेजकर बाढ़ और बारिश के असर से बचा जा सकता है. भारतीय युवा संसद के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया.

मिजो चीफ लालहुना हुनार माटे ने अपने संबोधन में कहा कि मिजो चीफ लालहुना हुनार माटे ने कहा कि बांग्लादेश आज चर्चा में हैं. आज सबको वहां अपने भविष्य की चिंता है. इसका असर बांग्लादेश की सीमा पर रह रहे पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों पर भी पड़ा है. लोग आज चिंता और तनाव के माहौल में जीवनयापन करने को मजबूर हैं. सुरक्षा बल अलर्ट पर हैं. वहां भय का माहौल है. बांग्लादेश में हुई घटना के बाद से सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. उन्होंने कहा कि देश के बाकि हिस्सों की तुलना में पूर्वोत्तर के राज्यों से सौतेला बर्ताव हुआ है.

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संस्कृति और जड़ों से जुड़ाव जरूरी :असम विधानसभा के डॉ. नुमाल मोमिन ने असम सहित पूर्वोत्तर के राज्यों के हालात और बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद बढ़ी चुनौतियों पर चर्चा की. उन्होंने अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाने के असम और केंद्र सरकार के प्रयासों की भी जानकारी दी. उन्होंने युवाओं से अपनी सांस्कृतिक विरासत और जड़ों से जुड़े रहने का भी आह्वान किया.

खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में :जल संरक्षण की मुहिम से जुड़े पर्यावरणविद लक्ष्मण सिंह लापोड़िया ने मालपुरा और दूदू तहसील के 100 गांवों में जल संरक्षण के लिए चलाई जा रही मुहिम से प्रतिभागियों को अवगत करवाया. उन्होंने कहा कि जिन गांवों में आज उनकी संस्था काम कर रही है. वहां न तो बाढ़ से जीवन प्रभावित होता है और न ही अकाल से.

ग्रामीणों ने स्थानीय स्तर पर बारिश के पानी को सहेजने का एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिससे घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में काम आ रहा है. अगर इस मॉडल को सरकार सभी जगह लागू करे तो बाढ़ और अकाल जैसे हालात से आसानी से निपटा जा सकता है. वक्ताओं ने प्रतिभागियों से संवाद कर उनके सवालों के भी जवाब दिए.

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