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आचार्य बालकृष्ण बोले- हम किसी पैथी के विरोधी नहीं, जो लूट-खसोट करेगा, उसके खिलाफ हैं - Mind Body Medicine Conference

Acharya Balkrishna, मेडिकल विंग के 49वें माइंड बॉडी मेडिसिन राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ राजस्थान के सिरोही में शनिवार को हुआ. इस मौके पर पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम किसी पैथी के विरोधी नहीं हैं, बल्कि जो लूट-खसोट करेगा, हम उसके विरोधी हैं.

हम किसी पैथी के विरोधी नहीं
कार्यक्रम के दौरान आचार्य बालकृष्ण (ETV Bharat Sirohi)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 24, 2024, 9:42 PM IST

आचार्य बालकृष्ण (ETV Bharat Sirohi)

सिरोही: राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मुख्यालय शांतिवन के आनंद सरोवर परिसर में मेडिकल विंग के 49वें माइंड-बॉडी-मेडिसिन तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देशभर से एक हजार से अधिक आयुर्वेद के डॉक्टर, वैद्य और शोधार्थी भाग ले रहे हैं. शनिवार को शुभारंभ के मौके पर हरिद्वार से आए पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम किसी पैथी के विरोधी नहीं हैं, जो लूट-खसोट करेगा, हम उसके विरोधी हैं. फिर वह चाहे आयुर्वेद वाला ही क्यों न हो. जब एक रोगी हमारे पास आता है तो वह हमें भगवान के भाव से देखता है, लेकिन यदि हमारे मन में यदि लूट और पैसे कमाने का भाव होगा, तो इससे बड़ा पाप नहीं है. जो सच्चे और ईमानदार चिकित्सक हैं, उनके साथ हम सर्वदा खड़े हैं, चाहे वह किसी भी पैथी के हों.

बालकृष्ण ने कहा कि आज लोभ इतना हावी हो गया है कि पहले बीमार किया जाता है फिर इलाज करते हैं. कोरोना के समय डर के कारण हजारों महिलाओं की डिलीवरी नॉर्मल हो गई. अब सब सामान्य हो गया है, तो फिर से लोगों का धंधा शुरू हो गया है. हम लोगों ने अभी निदान के संदर्भ में 2600 श्लोकों का 18 छंदों में नई ग्रंथ की रचना की है. 1500-1600 वर्ष पूर्व निदान का ग्रंथ था. पहले के निदान के ग्रंथों में 225 के आसपास रोगों का वर्णन है, लेकिन हम लोगों ने 500 रोगों का वर्णन किया है.

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नाड़ी वैद्य की बड़ी महिमा :आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि शास्त्र के अनुसार चिकित्सक सही मायने में एक योगी और साधक होता है. आयुर्वेद में नाड़ी वैद्य की बड़ी महिमा है, लेकिन चिकित्सा नाड़ी विज्ञान सीखने के लिए पहले अपने मन का शांत और शक्तिशाली होना जरूरी है. जितना आप अंतर्मुख होंगे तो नाड़ी विद्या को उतना गहराई से समझ पाएंगे. ज्यों-ज्यों हम दुनिया के नॉलेज को लेते जा रहे हैं, अपने नॉलेज से बिमुख होते जा रहे हैं. उस बिमुखता को समाप्त करने का नाम आध्यात्मिकता है.

आध्यात्मिकता कोई खोजने की यात्रा नहीं है जो हम भुला चुके हैं, बल्कि उसे पाने की बात है. हमें अपने अंदर खोजना है. अंतर्यात्रा में जाना ही अध्यात्म है. ब्रह्माकुमारीज के मार्ग पर चलने से आपकी वह यात्रा पूरी हो सकती है. आत्मा ज्ञान को देने वाला एक परमात्मा ही है. मनुष्य आत्मा से बलशाली होता है, इसलिए वह बड़े-बड़े कार्यों को करने में सक्षम है. आत्मयात्रा की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करते रहें. ब्रह्माकुमारीज में मनुष्य को सात्विक बनाने का प्रयास किया जाता है. यहां बहुत कुछ सीखने को मिला.

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