देवभूमि में भी बढ़ रहा गन कल्चर देहरादून: हल्द्वानी हिंसा के बाद नैनीताल जिलाधिकारी कार्यालय ने करीब 123 शस्त्र लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया है. इस फैसले के साथ ही राज्य में शस्त्र लाइसेंस जारी करने को लेकर बहस तेज हो गई है. दरअसल प्रदेश में शस्त्र लाइसेंस लेने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. राजधानी देहरादून में शस्त्र लाइसेंस के आंकड़े इस बात को जाहिर करते हैं कि किस तरह प्रदेश में गन कल्चर बढ़ रहा है. हथियार रखने की इजाजत किसी को भी जान का खतरा होने पर ही दी जाती है, लेकिन लोग स्टेटस सिंबल के लिए भी अब गन कल्चर की तरफ पढ़ रहे हैं.
देवभूमि में भी बढ़ रहा गन कल्चर देहरादून में लाइसेंस लेने वालों की संख्या सबसे ज्यादा:देहरादून में साल 2012 के दौरान करीब 6500 शस्त्र लाइसेंस दिए गए थे. साल 2018 तक शस्त्र लाइसेंस दिए जाने की संख्या करीब 15000 पहुंच गई, जबकि 2023 खत्म होते-होते यह संख्या अब 17500 पहुंच गई है. बड़ी बात यह है कि देहरादून के अलावा हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और नैनीताल में भी हथियार रखने की इच्छा रखने वालों की संख्या बढ़ रही है. इतना ही नहीं शासन में भी लगातार लाइसेंस को ऑल इंडिया करवाने के लिए आवेदन पहुंच रहे हैं और बड़ी संख्या में इन लाइसेंस को ऑल इंडिया भी किया जा रहा है. दरअसल जिले स्तर पर लाइसेंस जारी होने के बाद पिस्टल को केवल उसी राज्य में ही रखने की परमिशन होती है. ऐसे में अगर पिस्टल को दूसरे राज्य या देश में कहीं भी ले जाने की आवश्यकता हो तो उसे ऑल इंडिया परमिशन के लिए अप्लाई करना होता है.
हथियार रखने के शौक पर बुद्धिजीवी वर्ग ने जताई चिंता:वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली ने कहा कि जिस तरह प्रदेश में खासतौर पर राजधानी देहरादून में हथियार रखने का शौक बढ़ रहा है और लोग शौक के लिए हथियार रख रहे हैं. उससे आने वाले खतरे की झलक मिल रही है. इस मामले में नियम को सख्त करने की जरूरत है, ताकि प्रदेश में किसी बड़ी हिंसा या कानून व्यवस्था पर यह संकट न पैदा करे. लिहाजा केवल स्टेटस सिंबल के लिए शस्त्र लाइसेंस लेने वालों पर रोक लगाने का प्रावधान होना चाहिए.
लाइसेंस लेने की ये होती है प्रक्रिया:लाइसेंस लेने के लिए किसी भी व्यक्ति को सबसे पहले लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है. आवेदन फॉर्म भरते हुए निश्चित शुल्क जमा करने की प्रक्रिया को पूरा करना होता है. इसके अलावा चालान भी जमा किया जाता है. लाइसेंस प्रक्रिया में आवेदक को अपने स्वास्थ्य से जुड़े दस्तावेज देने होते हैं. जिसमें उसे अपनी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्ट भी देनी होती है. इसके अलावा वित्तीय स्थिति से जुड़े दस्तावेज भी उपलब्ध कराने होते हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी इस रिपोर्ट में लगाया जाता है. इसके अलावा क्षेत्र के थाने की रिपोर्ट भी इसमें लगाई जाती है. आखरी में हथियार चलाने से जुड़ा प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और शपथ पत्र भी देना होता है. इस दौरान निश्चित शुल्क देने के बाद जिलाधिकारी के अनुमोदन पर ही लाइसेंस निर्गत किया जाता है.
ये भी पढ़ें-