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पूर्व राजनयिक ने मालदीव चीन संबंध पर कही बड़ी बात, भारत को किया आगाह

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 4, 2024, 9:32 AM IST

Maldives Former Diplomat Warns: मालदीव की ओर से अपने तीन विमानन प्लेटफार्मों में भारतीय सैनिकों को लेकर एक फिर बयान सामने आया है. इस पर मालदीव में रहे भारत के पूर्व राजनयिक ने आगाह किया कि अगर उसकी सेना की जगह चीनी सैनिकों ने ले ली तो भारत को सतर्क रहने की जरूरत है. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

Maldives Former Diplomat Warns India On Chinese Troops
मालदीव के पूर्व राजनयिक ने चीनी सैनिकों पर भारत को किया आगाह

नई दिल्ली:मालदीव ने दावा किया है कि भारत इस साल 10 मार्च तक तीन विमानन प्लेटफार्मों में से एक से अपने सैनिकों को हटा लेगा. इसपर पूर्व राजनयिक जितेंद्र त्रिपाठी भारत को आगाह किया है. जितेंद्र त्रिपाठी मालदीव, ओमान, जाम्बिया और वेनेजुएला में भारतीय मिशनों में विभिन्न पदों पर काम किया है. ईटीवी भारत के साथ एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'अगर हमारी जगह चीनी सशस्त्र कर्मियों और विमानों को लिया जाता है तो भारत को चिंतित और सतर्क रहना होगा क्योंकि तब मालदीव का तर्क कि वह अपनी भूमि पर कोई विदेशी सैनिक नहीं चाहता है, विफल हो जाएगा.'

जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत को मालदीव को यह संदेश देने की जरूरत है कि अगर उन्होंने बचाव कार्यों के लिए भारतीय सैन्य कर्मियों को अनुमति नहीं दी है और न ही उन्हें चीन को ऐसा करने की अनुमति देनी चाहिए. हाल ही में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार द्वारा किशोर को एयरलिफ्ट करने के लिए भारत के डोर्नियर विमान का उपयोग करने की मंजूरी देने से इनकार करने के बाद एक 14 वर्षीय लड़के की मौत हो गई.

1988 के तख्तापलट के दौरान वहां तैनात रहे पूर्व राजनयिक ने याद किया कि 36 साल पहले तख्तापलट के दौरान वास्तव में क्या हुआ था. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे तत्कालीन मालदीव सरकार के अनुरोध के कुछ ही घंटों के भीतर भारत सरकार ने चार पैराट्रूपर्स भेजे और तख्तापलट को विफल कर दिया गया.

उन्होंने कहा, 'तख्तापलट हिंद महासागर में भारत की पहली प्रतिक्रियाकर्ता की भूमिका की शुरुआत थी. तब से भारत मालदीव से एसओएस (SOS) का जवाब दे रहा है. अब समस्या यह है कि चीन मालदीव में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा है. हिंद महासागर क्षेत्र में यह सबसे महत्वपूर्ण देश है क्योंकि समुद्री मार्ग से अधिकांश माल मालदीव के पास से गुजरता है.

3 नवंबर 1988 को अब्दुल्ला लुथुफी के नेतृत्व में मालदीव के विद्रोहियों के एक समूह और श्रीलंका के पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (PLOTE) ने हिंद महासागर में छोटे से द्वीप राष्ट्र में तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास किया. राष्ट्रपति गयूम की सरकार ने तुरंत तत्कालीन सोवियत संघ, सिंगापुर, पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन और भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहायता मांगी लेकिन एक देश जो मालदीव के लिए खड़ा था वह भारत था.

उन्होंने कहा कि अगर मालदीव चीन का शिकार बन जाता है और भारत के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण हो जाते हैं तो यह एक मूर्खतापूर्ण कार्य होगा. उन्होंने आगे कहा, 'मालदीव की जनता भविष्य में एक निश्चित समय पर अपने राजनीतिक नेताओं को यह एहसास कराएगी कि उनकी भलाई का पक्ष भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना हमेशा जरूरी है.

मालदीव के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि मालदीव और भारत के बीच एक उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की बैठक के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत सरकार 10 मार्च 2024 तक तीन विमानन प्लेटफार्मों में से एक में सैन्य कर्मियों को बदल देगी. 10 मई 2024 तक अन्य दो प्लेटफार्मों पर सैन्यकर्मियों के बदलने का काम पूरा कर लेगी. इस बात पर सहमति हुई कि उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की तीसरी बैठक फरवरी के अंतिम सप्ताह के दौरान आपसी सहमति वाली तारीख पर मालदीव में होगी.

जबकि भारत ने केवल इतना कहा कि दोनों पक्ष मालदीव के लोगों को मानवीय और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को सक्षम करने के लिए पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधानों के एक सेट पर सहमत हुए. माले ने कहा कि भारत तीन विमानन प्लेटफॉर्म में से एक में सैन्य कर्मियों को बदलने की प्रक्रिया 10 मार्च 2024 तक पूरी करेगा और बांकी दो प्लेटफॉर्म पर सैनिकों का हटाने की प्रक्रिया 10 मई 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा.

इसका मतलब है कि भारत राष्ट्रपति मुइज्जू की मांग के अनुसार सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हो गया, लेकिन इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि कर्मचारियों की जगह कौन लेगा. गौरतलब है कि भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से राजनयिक संबंध हैं. जब भी द्वीपसमूह राष्ट्र पर कोई संकट आया है, चाहे वह मानवीय हो या सुरक्षा संबंधी तो भारत ने मालदीव की लगातार समर्थन की पेशकश की है.

ये भी पढ़ें- सैनिकों को वापस बुलाने के मुद्दे पर हो रही भारत-मालदीव कोर समूह की दूसरी बैठक

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