जालना: मराठा आरक्षण अधिसूचना लागू हो यह सुनिश्चित करने के लिए मराठा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने आज (10 फरवरी) से अपना आमरण अनशन फिर से शुरू कर दिया है. कुनबी रिकार्ड ढूंढने वालों को प्रमाण पत्र दिया जाए. साथ ही जारांगे पाटिल की मांग है कि 'सज्ञसोराय' को लेकर और अधिक स्पष्टता लाई जानी चाहिए. मराठा आरक्षण के मुद्दे और उस पर काम को लेकर मनोज जारांगे पाटिल चौथी बार भूख हड़ताल पर हैं.
मराठा आरक्षण के लिए मनोज जारांगे पाटिल ने 9 अगस्त, 2023 से भूख हड़ताल शुरू किया था. अनशन का पहला चरण 17 दिनों तक चला. उस समय सरकार ने 40 दिन का समय मांगा था. हालांकि, जारांगे पाटिल 25 अक्टूबर से फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए, उनका आरोप था कि सरकार ने दी गई अवधि के भीतर कुछ नहीं किया. यह उपवास आठ दिनों तक चला. उस वक्त सरकार ने दो महीने का वक्त लिया था.
इस समय सरकार के कुछ मंत्री, पूर्व न्यायाधीश. एमजी गायकवाड, न्यायमूर्ति सुनील सुर्वे और अन्य की मध्यस्थता के बाद भूख हड़ताल खत्म हुई. हालांकि, इन दो महीनों में भी सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए कुछ नहीं किया. इसके बाद मुंबई में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया. लाखों मराठों के तूफान के बाद मुंबई के दरवाजे पर, सरकार ने अभिलेख प्राप्त करने वालों को तत्काल प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में एक अधिसूचना जारी की. हालांकि, जारांगे का कहना है कि साग्यसोयारी के मामले में अस्पष्टता बरकरार रखी गई है.