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ईवीएम वोटों की गिनती कैसे होती है, चुनाव आयोग ने अपना ही नियम क्यों बदला, क्या है पोस्टल बैलेट पर विवाद? - Lok Sabha election results 2024

Lok Sabha election results 2024: दरअसल, 2019 तक सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती थी. उसके बाद EVM वोटों की गिनती शुरू की जाती थी. पोस्टल बैलेट की संख्या में वृद्धि के साथ चुनाव पैनल ने 2019 के चुनावों के बाद अपने दिशानिर्देशों में बदलाव किया है.अब पोस्टल बैलेट की गिनती के साथ ईवीएम की गिनती भी शुरू की जा सकती है.

Lok Sabha election results 2024
फोटो (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 3, 2024, 5:55 PM IST

हैदराबाद: देश में लोकसभा की 543 सीटों पर सात चरणों में मतदान हो गया है. अब मंगलवार (4 जून) सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू होगी. वोटों की गिनती से पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग से मुलाकात की. इंडिया गठबंधन की तरफ से पोस्टल बैलेट की गिनती से जुड़ा विषय चुनाव आयोग के समक्ष रखा गया. विपक्ष ने निर्वाचन आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि 4 जून को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के नतीजों से पहले डाक मत पत्रों की गिनती कर उनके परिणाम घोषित किए जाएं. विपक्ष ने कहा कि, निर्वाचन आयोग को मतगणना प्रक्रिया पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करना चाहिए और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए. लोकसभा चुनाव की मतगणना से पहले चुनाव आयोग की तरफ से सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की तरफ से इस पर जवाब दिया गया. सीईसी राजीव कुमार का कहना है कि,'सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होगी. इसके आधे घंटे बाद ही हम ईवीएम की गिनती शुरू की जाएगी. इसमें कोई संदेह नहीं है...'

पोस्टल बैलेट के नतीजों की घोषणा पहले करने की मांग पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि, 'यह वैधानिक नियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है.' चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में, द इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बताया कि 2020 के बिहार चुनाव में जीत का अंतर राज्य के लिए 12,700 वोट था, जबकि डाक मतपत्रों की संख्या 52,000 थी....वास्तव में, बिहार में भारी हंगामा हुआ क्योंकि यह पहला चुनाव था (जो कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद आयोजित किया गया था) जहां ईवीएम वोटों की गिनती के अंत में डाक मतपत्रों की गिनती की गई थी. उन्होंने चुनाव आयोग से चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 54A के अनुसार निर्देश जारी करने के लिए कहा. यह नियम कहता है कि, रिटर्निंग अधिकारी पहले डाक मतपत्रों की गिनती कर नतीजे घोषित करेंगे.

पोस्टल बैलेट की गिनती का नियम क्या है?
2019 के लोकसभा चुनाव तक डाक मतपत्रों की गिनती ईवीएम की गिनती से 30 मिनट पहले की जाती थी. ईवीएम की गिनती पूरी होने से पहले सभी डाक मतपत्रों की गिनती की जानी थी. फरवरी 2019 में मतगणना एजेंटों के लिए चुनाव आयोग की हैंडबुक में कहा गया है, 'किसी भी परिस्थिति में, पोस्टल बैलेट की गिनती को अंतिम रूप देने से पहले ईवीएम गिनती के सभी दौर के नतीजे घोषित नहीं किए जाने चाहिए.' लेकिन चुनाव आयोग ने 2019 के चुनावों के बाद दिशानिर्देश में बदलाव किया क्योंकि इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ईटीपीबीएस) की शुरुआत के बाद डाक मतपत्रों की संख्या बढ़ गई थी, और पांच रेंडमली ढंग से चुने गए मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती अनिवार्य थी. नए दिशानिर्देश के मुताबिक एजेंटों के लिए 2023 हैंडबुक के अनुसार, 'पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के 30 मिनट बाद ईवीएम की गिनती शुरू हो सकती है और डाक मतपत्र की गिनती चालू रहने के बावजूद जारी रह सकती है. एक बार ईवीएम की गिनती पूरी हो जाने के बाद वीवीपैट पर्चियों की गिनती भी शुरू हो सकती है.

चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलेट की अनिवार्य रूप से दोबारा गिनती के नियम को भी संशोधित किया. इससे पहले, अगर जीत का अंतर पोस्टल बैलेट्स की कुल संख्या से कम होता था तो पोस्टल बैलेट की दोबारा गिनती की जाती थी. नए नियमों के अनुसार अब गिनती के दौरान अमान्य घोषित किए गए पोस्टल बैलेट्स का फिर से सत्यापन किया जाएगा अगर जीत का मार्जिन ऐसे बैलेट्स की संख्या से कम है.

पिछले चुनाव में कितने पोस्टल बैलेट प्राप्त हुए थे?
2019 के संसदीय चुनावों में कुल 22.71 लाख मतपत्र प्राप्त हुए थे. इस बार डाक मतपत्रों की संख्या अधिक होने की उम्मीद है. चुनाव आयोग ने रक्षा जैसे आवश्यक सेवा कर्मियों, 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और विकलांग व्यक्तियों के लिए डाक मतपत्र की शुरुआत की।.अब, वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयु बढ़ाकर 85 वर्ष कर दी गई है और कोविड 19 रोगियों को डाक मतपत्र के लिए पात्र लोगों की सूची में शामिल किया गया है.

वोटों की गिनती की निगरानी कौन करता है?
चुनाव आयोग की तरफ से नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को यह सुनिश्चित करना होता कि वोटों की गिनती नियमों के अनुसार और निष्पक्ष तरीके से हो. एक आरओ को सहायक रिटर्निंग अधिकारियों (एआरओ) की तरफ से समर्थित किया जाता है, जो संबंधित संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में गिनती के लिए जिम्मेदार होते हैं.

ईवीएम के वोट कैसे गिने जाते हैं?
संसदीय क्षेत्र के एक स्ट्रांगरूम में रखे गए ईवीएम को मतगणना के दिन बाहर निकाला जाता है और सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सील को खोला जाता है. आरओ डाक मतपत्रों के माध्यम से वोटों की गिनती करता है. डाक मतपत्र की गिनती के 30 मिनट बाद वोटों की गिनती शुरू होती है. प्रक्रिया के दौरान केवल ईवीएम की कंट्रोल यूनिट की आवश्यकता होती है. संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के भीतर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के वोटों की गिनती एक ही हॉल में होती है, जहां 14 टेबलें लगाई जाती हैं और ईवीएम की कंट्रोल यूनिट टेबलों के बीच वितरित की जाती हैं. एक एआरओ की देखरेख में विधानसभा क्षेत्र के भीतर एक से अधिक स्थानों पर भी गिनती हो सकती है.

प्रत्येक राउंड में 14 ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती की जाती है और अगले राउंड की गिनती शुरू होने से पहले परिणाम प्रत्येक टेबल पर लगे ब्लैकबोर्ड पर घोषित किए जाते हैं. ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में प्रत्येक उम्मीदवार को प्राप्त वोटों की संख्या प्रदर्शित करने के लिए एक 'परिणाम' बटन होता है. यह प्रति निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की कुल संख्या भी दर्शाता है. जब परिणाम बटन दबाया जाता है, तो ईवीएम उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त वोटों को एक-एक करके प्रदर्शित करता है, जो बीप ध्वनि से इंडिकेट किया जाता है. उम्मीदवारों के वोट नंबर प्रदर्शित होने के बाद कंट्रोल यूनिट 'समाप्ति' दिखाती है.

वोटों की गिनती पर चुनाव आयोग के दिशानिर्देश क्या हैं?
यदि किसी मतदान केंद्र पर स्थगित मतदान के संबंध में चुनाव आयोग के कोई आदेश लंबित हैं तो किसी निर्वाचन क्षेत्र के लिए वोटों की गिनती शुरू नहीं होगी. हालांकि, यदि मतगणना के दिन किसी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान हो रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के लिए प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इस स्थिति में, ऐसे मतदान केंद्रों से पुनर्मतदान वाली ईवीएम और वीवीपैट को सुरक्षित रूप से मतगणना हॉल में ले जाने के बाद ही गिनती का अंतिम दौर शुरू होना चाहिए.

रिटर्निंग ऑफिसर को वोट की गोपनीयता बनाए रखने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 128 और चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 54 के प्रावधानों को पढ़ना चाहिए. इसमें कहा गया है कि चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 60 के तहत मतगणना बिना किसी अंतराल के निरंतर होती रहेगी. चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों में कोई भी अनधिकृत व्यक्ति मतगणना हॉल में मौजूद नहीं होना चाहिए. नियम 53(4) के तहत, यदि कोई रिटर्निंग अधिकारी के वैध निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो आरओ के पास किसी को भी मतगणना केंद्र से बाहर जाने का निर्देश देने का अधिकार है. चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 54ए के अनुसार, डाक मतपत्रों की गिनती के निर्देश निर्दिष्ट करते हैं कि गिनती की प्रक्रिया रिटर्निंग अधिकारी की मेज पर शुरू होनी चाहिए. गिनती शुरू होने के निर्धारित समय से पहले आरओ द्वारा प्राप्त केवल उन्हीं डाक मतपत्रों पर गिनती के लिए विचार किया जाएगा.

वीवीपैट (VVPAT) क्या है?
वीवीपीएटी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल है जिसे 2013 में पेश किया गया था. वीवीपैट मशीन केबल के माध्यम से ईवीएम की कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट से जुड़ी होती है. जैसे ही मतदाता वोट डालता है, वीवीपैट एक संबंधित पेपर स्लिप उत्पन्न करता है, जो मतदाता को लगभग सात सेकंड के लिए दिखाई देता है ताकि यह पुष्टि हो सके कि वोट ठीक से डाला गया है. विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि सभी मतदान केंद्रों के वोटों का मिलान करने के लिए वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाए. लेकिन चुनाव आयोग ने इसे खारिज कर दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को पांच रेंडमली ढंग से चुने गए विधानसभा क्षेत्रों से वीवीपैट पर्चियों का मिलान संबंधित ईवीएम के परिणामों से करने का निर्देश दिया है.

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