हैदराबाद: देश में लोकसभा की 543 सीटों पर सात चरणों में मतदान हो गया है. अब मंगलवार (4 जून) सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू होगी. वोटों की गिनती से पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग से मुलाकात की. इंडिया गठबंधन की तरफ से पोस्टल बैलेट की गिनती से जुड़ा विषय चुनाव आयोग के समक्ष रखा गया. विपक्ष ने निर्वाचन आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि 4 जून को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के नतीजों से पहले डाक मत पत्रों की गिनती कर उनके परिणाम घोषित किए जाएं. विपक्ष ने कहा कि, निर्वाचन आयोग को मतगणना प्रक्रिया पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करना चाहिए और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए. लोकसभा चुनाव की मतगणना से पहले चुनाव आयोग की तरफ से सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की तरफ से इस पर जवाब दिया गया. सीईसी राजीव कुमार का कहना है कि,'सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होगी. इसके आधे घंटे बाद ही हम ईवीएम की गिनती शुरू की जाएगी. इसमें कोई संदेह नहीं है...'
पोस्टल बैलेट के नतीजों की घोषणा पहले करने की मांग पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि, 'यह वैधानिक नियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है.' चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में, द इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बताया कि 2020 के बिहार चुनाव में जीत का अंतर राज्य के लिए 12,700 वोट था, जबकि डाक मतपत्रों की संख्या 52,000 थी....वास्तव में, बिहार में भारी हंगामा हुआ क्योंकि यह पहला चुनाव था (जो कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद आयोजित किया गया था) जहां ईवीएम वोटों की गिनती के अंत में डाक मतपत्रों की गिनती की गई थी. उन्होंने चुनाव आयोग से चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 54A के अनुसार निर्देश जारी करने के लिए कहा. यह नियम कहता है कि, रिटर्निंग अधिकारी पहले डाक मतपत्रों की गिनती कर नतीजे घोषित करेंगे.
पोस्टल बैलेट की गिनती का नियम क्या है?
2019 के लोकसभा चुनाव तक डाक मतपत्रों की गिनती ईवीएम की गिनती से 30 मिनट पहले की जाती थी. ईवीएम की गिनती पूरी होने से पहले सभी डाक मतपत्रों की गिनती की जानी थी. फरवरी 2019 में मतगणना एजेंटों के लिए चुनाव आयोग की हैंडबुक में कहा गया है, 'किसी भी परिस्थिति में, पोस्टल बैलेट की गिनती को अंतिम रूप देने से पहले ईवीएम गिनती के सभी दौर के नतीजे घोषित नहीं किए जाने चाहिए.' लेकिन चुनाव आयोग ने 2019 के चुनावों के बाद दिशानिर्देश में बदलाव किया क्योंकि इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ईटीपीबीएस) की शुरुआत के बाद डाक मतपत्रों की संख्या बढ़ गई थी, और पांच रेंडमली ढंग से चुने गए मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती अनिवार्य थी. नए दिशानिर्देश के मुताबिक एजेंटों के लिए 2023 हैंडबुक के अनुसार, 'पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के 30 मिनट बाद ईवीएम की गिनती शुरू हो सकती है और डाक मतपत्र की गिनती चालू रहने के बावजूद जारी रह सकती है. एक बार ईवीएम की गिनती पूरी हो जाने के बाद वीवीपैट पर्चियों की गिनती भी शुरू हो सकती है.
चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलेट की अनिवार्य रूप से दोबारा गिनती के नियम को भी संशोधित किया. इससे पहले, अगर जीत का अंतर पोस्टल बैलेट्स की कुल संख्या से कम होता था तो पोस्टल बैलेट की दोबारा गिनती की जाती थी. नए नियमों के अनुसार अब गिनती के दौरान अमान्य घोषित किए गए पोस्टल बैलेट्स का फिर से सत्यापन किया जाएगा अगर जीत का मार्जिन ऐसे बैलेट्स की संख्या से कम है.
पिछले चुनाव में कितने पोस्टल बैलेट प्राप्त हुए थे?
2019 के संसदीय चुनावों में कुल 22.71 लाख मतपत्र प्राप्त हुए थे. इस बार डाक मतपत्रों की संख्या अधिक होने की उम्मीद है. चुनाव आयोग ने रक्षा जैसे आवश्यक सेवा कर्मियों, 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और विकलांग व्यक्तियों के लिए डाक मतपत्र की शुरुआत की।.अब, वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयु बढ़ाकर 85 वर्ष कर दी गई है और कोविड 19 रोगियों को डाक मतपत्र के लिए पात्र लोगों की सूची में शामिल किया गया है.
वोटों की गिनती की निगरानी कौन करता है?
चुनाव आयोग की तरफ से नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को यह सुनिश्चित करना होता कि वोटों की गिनती नियमों के अनुसार और निष्पक्ष तरीके से हो. एक आरओ को सहायक रिटर्निंग अधिकारियों (एआरओ) की तरफ से समर्थित किया जाता है, जो संबंधित संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में गिनती के लिए जिम्मेदार होते हैं.