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चार राज्य जो तय करेंगे 'अबकी बार, किसकी सरकार' - LOK SABHA ELECTION 2024 RESULT

LOK SABHA ELECTION RESULT 2024 : बिहार, प. बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं, जिनके परिणाम से भाजपा या फिर इंडिया ब्लॉक को लेकर तस्वीर साफ हो सकती है. केंद्र में किसकी सरकार बनेगी, बहुत कुछ यहां से तय हो सकता है. क्या क्षेत्रीय क्षत्रप मोदी की हवा में फिर से साफ हो जायेंगे या वह भाजपा को निर्णायक नुकसान पहुंचाने में सफल होंगे. क्या है शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और तेजस्वी यादव जैसे दिग्गजों के लिए इस चुनाव के दूरगामी प्रभाव....जानें.

LOK SABHA ELECTION 2024 RESULT
शरद पवार, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव और उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो. (बायें से दायें)) (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 3, 2024, 12:45 PM IST

Updated : Jun 4, 2024, 6:24 AM IST

हैदराबाद: कई लोगों का मानना ​​है कि भाजपा तीसरी बार आसानी से सत्ता में लौटेगी, भले ही उसकी सीटें थोड़ी कम हों. भाजपा ने पिछले चुनावों में 303 सीटें जीती थीं और एनडीए, जिसका नेतृत्व गठबंधन करता है, ने 352 सीटें जीती थीं. इसने अपने लिए 370 और एनडीए के लिए 400 सीटों का लक्ष्य रखा है.

बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र के चार राज्य 4 जून को आने वाले लोकसभा परिणामों की कुंजी रखते हैं. अन्य सभी राज्यों में, भाजपा या तो एक छोटी खिलाड़ी है या एक मजबूत खिलाड़ी है, जिसका अर्थ है कि ऐसे राज्यों में टैली में कोई बड़ा अंतर नहीं हो सकता है. हालांकि, विभिन्न कारणों से, ये चार राज्य एक युद्धक्षेत्र में बदल गए हैं और भाजपा की संभावनाओं को बना या बिगाड़ सकते हैं क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि ये राज्य किस तरफ झुकेंगे. कांग्रेस के साथ सीधे चुनावी लड़ाई में भाजपा बेहतर प्रदर्शन करती है.

राज्यों में कांग्रेस के साथ आमने-सामने के मुकाबलों में, भाजपा ने 2019 में 138 लोकसभा सीटों में से 133 और 2014 में 138 में से 121 सीटें हासिल कीं. यहां तक ​​कि उन राज्यों में भी जहां भाजपा और कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ प्रतिस्पर्धा की, भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ शानदार सफलता हासिल की है. 2019 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस 190 निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी थी.

हालांकि, पार्टी इनमें से केवल 15 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि शेष 175 सीटें भाजपा के खाते में गईं. इन 175 सीटों में से, भाजपा ने 10% से अधिक अंतर से 144 सीटें जीतीं. भाजपा को कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों में भी कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है, लेकिन कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले में पार्टी को कोई खास नुकसान होने की संभावना नहीं है. जिन राज्यों में उसे बड़ी कटौती का सामना करना पड़ सकता है, वे वे राज्य हैं जहां उसका क्षेत्रीय दलों के साथ सीधा मुकाबला है.

उत्तर प्रदेश एक अपवाद हो सकता है, जहां यह मजबूत स्थिति में है और जहां राजनीतिक समीकरण कमोबेश स्थिर नहीं रहे हैं, जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र में या तो राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के कारण बहुत उथल-पुथल रही या भाजपा को एक मजबूत दावेदार का सामना करना पड़ा. इन चार राज्यों में कुल 151 सीटें भाजपा के भाग्य का फैसला करेंगी.

तेजस्वी यादव की फाइल फोटो. (ANI)

बिहार:बिहार में भाजपा के सामने एक कठिन चुनौती है. इसने 2019 में 54% वोट शेयर के साथ 40 में से 39 सीटें जीती थीं. चुनाव से पहले महीनों में राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल को देखते हुए यह मानक इसके लिए बहुत ऊंचा लगता है. विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता विरोधी लहर के अलावा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एनडीए खेमे में वापसी भी अपेक्षित रूप से काम नहीं कर रही है.

एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के कुल 7.64 करोड़ मतदाताओं में से 20-29 वर्ष आयु वर्ग के मतदाताओं की कुल संख्या 1.6 करोड़ है, जो युवा मतदाताओं के महत्व को दर्शाता है. भाजपा प्रवक्ता मनोज शर्मा ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि प्रधानमंत्री के रोड शो का उद्देश्य पार्टी के चुनाव अभियान में और अधिक ऊर्जा भरना था. पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा को 53 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन अब हमारा लक्ष्य 60 प्रतिशत तक पहुंचना है. फिर भी, 40 में से 39 सीटों के अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराना भी भाजपा के लिए कठिन लगता है और बड़ा नुकसान इसकी कुल संख्या को प्रभावित कर सकता है.

ममता बनर्जी की फाइल फोटो. (ANI)

पश्चिम बंगाल:2019 में, भाजपा ने पश्चिम बंगाल में टीएमसी के गढ़ में 18 सीटें जीतकर और राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के बाद दूसरे स्थान पर रहकर मजबूत पैठ बनाई. टीएमसी को यहां 22 सीटों पर जीत मिली थी. भाजपा को उम्मीद है कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य पर अपने लेजर-शार्प फोकस और राज्य भर के मतदाताओं के बीच भारी समर्थन के बाद वह अपनी संख्या में एक दर्जन या उससे अधिक सीटें जोड़ लेगी. पश्चिम बंगाल में एक दर्जन सीटों के जुड़ने जैसे महत्वपूर्ण लाभ से भाजपा को अन्य राज्यों में हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी. पीएम मोदी ने एक साक्षात्कार में विश्वास व्यक्त किया है कि भाजपा पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ी लाभार्थी के रूप में उभरेगी.

लेकिन टीएमसी नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राज्य पर लगातार पकड़ को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की ओर से वर्षों से राज्य पर ध्यान केंद्रीत किये जाने के बाद भी भाजपा टीएमसी के वोटों को छीनने में सफल नहीं हो पाई है. मजबूत अभियान और मतदाताओं के बीच अभूतपूर्व समर्थन के बावजूद, भाजपा ममता को सत्ता से बेदखल नहीं कर पाई, जो 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में लौट आई हैं. पश्चिम बंगाल में भाजपा का प्रदर्शन समग्र रूप से पार्टी के लिए निर्णायक भूमिका निभाएगा.

ओडिशा:ओडिशा में, भाजपा और सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) ने गठबंधन बनाने की कोशिश की, लेकिन अब वे एक-दूसरे के खिलाफ सीधे मुकाबले में हैं. विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस के वोट शेयर में संभावित वृद्धि के बावजूद, भाजपा और बीजेडी के बीच गठबंधन ओडिशा की सभी 21 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने की क्षमता रखता है. 2019 के चुनावों में, भाजपा ने 21 लोकसभा सीटों में से आठ पर जीत हासिल की, जबकि बीजेडी ने 12 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को केवल एक सीट मिली. बीजेडी को 42.8% वोट मिले, भाजपा को 38.4% और कांग्रेस को 13.4% वोट मिले.

2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर में पार्टी का वोट शेयर 38% से ज्यादा रहा. लेकिन विधानसभा चुनावों में भाजपा यही प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई. 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद बढ़त के साथ, भाजपा बीजद के लिए मुख्य चुनौती बनकर उभरी. यहां भाजपा पीएम मोदी के चेहरे पर भी चुनाव लड़ रही है.

शरद पवार की फाइल फोटो. (ANI)

महाराष्ट्र :2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने कुल 48 सीटों में से 41 सीटें जीतीं और 51.34% वोट शेयर हासिल किया. भाजपा ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और 23 पर जीत हासिल की, जबकि उसकी सहयोगी शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा और 18 पर जीत हासिल की. ​​इस बार दो मुख्य क्षेत्रीय दलों शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के साथ राजनीतिक समीकरणों में भारी बदलाव आया है. हालांकि, भाजपा को इन दोनों दलों के अधिक शक्तिशाली गुटों का समर्थन मिला है, लेकिन राज्य में राजनीतिक स्थिति बेहद दिलचस्प बनी हुई है. मतदाता अपनी-अपनी पार्टियों में विभाजन की व्याख्या और प्रतिक्रिया कैसे करते हैं, यह चुनाव परिणामों के साथ ही पता चलेगा.

उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो. (ANI)

राज्य की उलझी हुई राजनीति को देखते हुए, भाजपा के लिए 2019 के प्रदर्शन को दोहराना मुश्किल हो सकता है, जबकि मतदाता भी पूरे दिल से भाजपा का समर्थन कर सकते हैं और यहां तक ​​कि उसकी सीटों की संख्या भी बढ़ा सकते हैं, क्योंकि पार्टी को अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के बड़े गुट के साथ-साथ अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी के बड़े गुट का भी समर्थन प्राप्त है.

Last Updated : Jun 4, 2024, 6:24 AM IST

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