हैदराबाद:लोकसभा चुनाव का 5वां चरण समाप्त हो चुका है. शनिवार (25 मई) को छठे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार जोर-शोर से जारी है. 42 दिनों तक चलने वाली लोकसभा चुनाव प्रक्रिया अब अपने समापन के करीब है और केवल दो चरण बचे हैं. इस चरण को विशेष रूप से दिलचस्प बनाने वाली बात यह है कि दिल्ली की सभी सात सीटों और हरियणा की सभी 10 सीटों पर मतदान होगा. एक और सबसे दिलचस्प बात यह है कि, 2019 के चुनाव में कांग्रेस इन 58 सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई. इसके विपरित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पिछले चुनाव में 47 सीटों पर 40 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हासिल करते हुए 40 सीटें जीतीं. स्पष्ट रूप से देखा जाए तो छठे चरण में कांग्रेस के पास कोई गढ़ नहीं है. हालांकि, बीजेपी के पास 5, बीजू जनता दल के पास 4 और तृणमूल के पास दो गढ़ हैं. झारखंड में बीजेपी ने लगातार धनबाद और जमशेदपुर में जीत हासिल की है. बिहार में पार्टी पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और शिवहर में मजबूत है.
किसका कहां दबदबा
बीजेडी का ओडिशा में दबदबा है, खासकर कटक, ढेंकनाल, क्योंझर और पुरी में लेकर पार्टी आश्वसत है. इससे पता चलता है कि स्थानीय लोग बीजद के काम का समर्थन करते हैं. पश्चिम बंगाल में, टीएमसी का कांथी और तमलुक पर दबदबा है, जो वहां पार्टी के ठोस आधार को दर्शाता है. फेज 6 में 30 सीटों पर बीजेपी प्रबल दावेदार है. इसका मतलब है कि पार्टी ने पिछले तीन चुनावों में कम से कम दो बार सीट जीती, हरियाणा में कांग्रेस केवल एक सीट रोहतक पर प्रबल दावेदार है. कांग्रेस ने 2009 और 2014 में यह सीट जीती थी लेकिन 2019 के चुनाव में वह 0.6 प्रतिशत के मामूली अंतर से भाजपा से हार गई.
2019 में कौन किस पर भारी
लोकसभा चुनाव के 6वें चरण में छह सीटें ऐसी हैं जहां 2019 के चुनाव में जीत का अंतर 35 प्रतिशत से अधिक था और बीजेपी ने उन सभी पर जीत हासिल की. इन सीटों में दिल्ली में पश्चिमी दिल्ली और उत्तर-पश्चिम दिल्ली, हरियाणा में फरीदाबाद, भिवानी-महेंद्रगढ़ और करनाल है. वहीं झारखंड में धनबाद शामिल है. करनाल और फरीदाबाद में बीजेपी ने 50 फीसदी जीत के अंतर से विजय हासिल की.