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लोकसभा चुनाव: छठे चरण में इन सीटों पर कांटे की टक्कर, राज बब्बर समेत कई दिग्गजों की साख दांव पर - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Lok Sabha Election Phase 6 Key Seats: लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण में 25 मई को 58 सीटों पर मतदान होगा. इस चरण में कुछ प्रमुख सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. आइए जानते हैं...छठे चरण की पांच हाई-प्रोफाइल सीटों का समीकरण.

Lok Sabha Election Phase 6 Key Seats
लोकसभा चुनाव छठा चरण की प्रमुख सीटों का समीकरण (फोटो- ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 23, 2024, 4:54 PM IST

हैदराबाद:लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण में आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 58 सीटों पर शनिवार 25 मई को मतदान होगा. इनमें हरियाणा (10 सीट), दिल्ली (7 सीट), उत्तर प्रदेश (14 सीट), पश्चिम बंगाल (8 सीट), बिहार (8 सीट), ओडिशा (6 सीट), झारखंड (4 सीट) और जम्मू-कश्मीर (1 सीट) शामिल हैं. 58 सीटों पर कुल 889 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. हैवीवेट उम्मीदवारों के कारण कई सीटों पर चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है. हम छठे चरण की पांच प्रमुख सीटों के समीकरण की बात कर रहे हैं, जिनके नतीजों पर सभी की निगाहें रहेंगी.

रोहतक लोकसभा सीट
हरियाणा की रोहतक सीट से कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र हुड्डा एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला मौजूदा भाजपा सांसद अरविंद शर्मा से है. दीपेंद्र हुड्डा वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं. पिछले चुनाव में वह मामूली अंतर से हारे थे. इस सीट पर कांग्रेस के साथ हुड्डा परिवार की साख दांव पर लगी है. दीपेंद्र हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे हैं. इसलिए परिवार के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. इस सीट पर जीत-हार का फैसला यह भी तय करेगा कि पिता और पुत्र का हरियाणा कांग्रेस पर प्रभाव रहेगा या नहीं.

रोहतक से कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र हुड्डा नामांकन दाखिल करते हुए. (फोटो- ANI)

कांथी लोकसभा सीट
कांथी सीट पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में आती है. 2009 से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की तरफ से सिसिर अधिकारी लगातार तीन बार यहां से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं. इस कारण यह अधिकारी परिवार का गढ़ माना जाता है. हालांकि, कांथी कभी वाम दलों का गढ़ था. सिसिर अधिकारी भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के पिता हैं. बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. उनके स्थान पर भाजपा ने शुभेंदु के भाई सौमेंदु अधिकारी को इस प्रतिष्ठित सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

तमलुक लोकसभा सीट से दो बार के सौमेंदु अधिकारी ने 2021 विधानसभा चुनाव से पहले शुभेंदु के भाजपा में शामिल होने के बाद टीएमसी से दूरी बना ली थी. सौमेंदु पूर्व में कांथी नगर निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं. इस क्षेत्र पर अधिकारी परिवार की मजबूत पकड़ माना जाती है. इसलिए भाजपा को यहां से बड़ी जीत की उम्मीद है.

2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा की तरफ से दिवंगत देबाशीष सीमंता ने टीएमसी के सिसिर अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. सिसिर 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के साथ विजयी हुए थे. जबकि भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 42.4 प्रतिशत हो गया था, जो 2014 में सिर्फ 8.7 प्रतिशत था. 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के वोट शेयर में और वृद्धि देखी गई. बीजेपी ने 48.7 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, जबकि टीएमसी को 46.8 प्रतिशत वोट मिले. इस चुनाव में, भाजपा क्षेत्र की चार विधानसभा सीटें जीतीं, जबकि टीएमसी को तीन सीटें मिली थीं.

तमलुक लोकसभा सीट
पश्चिम बंगाल की इस लोकसभा सीट के तहत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं. यह वाम दलों का गढ़ रहा है. सीपीआईएम ने 1980 से 2004 तक इस सीट से सात बार जीत दर्ज की थी. हालांकि, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने 2009 में यह सीट सीपीआईएम से छीन ली. तब से टीएमसी इस सीट से जीत रही है. भाजपा ने कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय को इस बार तमलुक से मैदान में उतारा है. सीपीआईएम ने सयान बनर्जी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि टीएमसी की तरफ से देबांगशु भट्टाचार्य चुनाव लड़ रहे हैं. 2019 में, टीएमसी के दिब्येंदु अधिकारी ने भाजपा के सिद्धार्थ नस्कर को 1.9 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराकर तमलुक से जीत हासिल की थी. दिब्येंदु इसी साल मार्च में भाजपा में शामिल हो गए थे. उनके भाई शुभेंदु अधिकारी ने भी 2009 से 2016 तक तमलुक सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

चुनाव प्रचार करते हुए राज बब्बर (फोटो- ANI)

गुड़गांव लोकसभा सीट
हरियाणा की गुड़गांव सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को फिर से उम्मीदवार बनाया है. उनके खिलाफ कांग्रेस की तरफ से अभिनेता से नेता बने पूर्व सांसद राज बब्बर चुनाव मैदान में हैं. वहीं जेजेपी ने हरियाणवी सिंगर राहुल यादव उर्फ फाजिलपुरिया को मैदान में उतारा है. गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में इस बार 25,33,958 मतदाता हैं.

राज बब्बर की उम्मीदवारी से गुड़गांव सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. बताया जा रहा है कि कैप्टन अजय यादव को दरकिनार करने से कांग्रेस को यहां अंदरूनी कलह से नुकसान हो सकता है. हालांकि, राज बब्बर पंजाबी हैं. गुड़गांव सीट पर करीब 30 प्रतिशत वोटर पंजाबी हैं. साथ ही इस निर्वाचन क्षेत्र में नूंह जिले की तीन विधानसभा सीटें आती हैं, जहां करीब 4 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. नूंह की तीनों विधानसभा सीटों (नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुनहाना) पर कांग्रेस का कब्जा है और पार्टी को मुस्लिम मतदाताओं पर सबसे ज्यादा भरोसा है. वहीं बब्बर कांग्रेस के परंपरागत वोट के साथ पंजाबी मतदाता को भी लुभाने की कोशिश करेंगे.

चुनावी सभा में भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह (फोटो- ANI)

रांची लोकसभा सीट
झारखंड की रांची सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है. राज्य की इस प्रतिष्ठित सीट से कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला भाजपा के संजय सेठ से है. रांची लोकसभा सीट सरायकेला खरसावां और रांची जिलों के कुछ हिस्सों को कवर करती है और इसमें छह विधानसभा क्षेत्र - ईचागढ़, सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया और कांके शामिल हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के संजय सेठ ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय के खिलाफ जीत दर्ज की थी. संजय सेठ को 7,06,828 वोट मिले, जबकि सहाय को 4,23,802 वोट ही मिले थे. भाजपा ने एक बार फिर संजय सेठ पर दांव चला है.

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