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कई इस्लामिक देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड, सुधारों का पैनल ने किया अध्यन, तैयार की रिपोर्ट - Uttarakhand Uniform Civil Code - UTTARAKHAND UNIFORM CIVIL CODE

Uttarakhand Uniform Civil Code, UCC in Muslim countries उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट को पब्लिक कर दिया गया है. रिपोर्ट तैयार करने के लिए कई ऐसे मुस्लिम बाहुल्य देशों के लॉ का अध्यन किया गया जहां यूसीसी लागू है. जिसके बाद उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड तैयार किया गया है. बताया जा रहा कि उत्तराखंड में अक्टूबर तक इसे लागू भी कर दिया जाएगा.

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कई इस्लामिक देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 12, 2024, 6:26 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किए जाने को लेकर गठित रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी का काम अंतिम चरण में है. उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर महीने तक उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया जाएगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार होने के बाद से ही इसके प्रावधानों को लेकर तमाम चर्चाएं की जा रही हैं. जिसको देखते हुए रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने शुक्रवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है. इसके बाद आम जनता भी इस रिपोर्ट को पढ़ सकती है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्य समिति का गठन किया. इस समिति ने न सिर्फ उत्तराखंड राज्य के करीब ढाई लाख लोगों से सुझाव लिए बल्कि देश के अन्य कानून और अन्य देशों में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड के कानून का गहन अध्ययन किया. यूसीसी का रिपोर्ट तैयार करने के लिए समिति ने 12 देशों के फैमिली लॉ का भी अध्ययन किया गया. इनमें तुर्की, सऊदी अरब, अज़र-बैजान, नेपाल, जर्मनी, जापान, यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं.

रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी के सदस्य शत्रुघ्न सिन्हा ने बताया आजादी से ठीक पहले मुस्लिम समाज के लिए द मुस्लिम पर्सनल लॉ शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 लाया गया. जिसमें कहा गया कि मुस्लिम समाज के लिए शरीयत की व्यवस्था लागू होगी. साथ ही उसी दौरान हिंदुओं की व्यवस्था को को डिफाईन करने के लिए बीएन राव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई. बीएन राव कमेटी की रिपोर्ट बहुत क्रांतिकारी रिपोर्ट थी. बीएन राव ने रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि लड़कियों को लड़को के बराबर अधिकार दिया जाये. तलाक की व्यवस्था की जाये. आजादी के बाद ये रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई. आजादी के बाद हिंदू कोड बिल लाया गया. जिसमें शादी और तलाक़, गार्डियनशिप, एडॉप्शन समेत अन्य व्यवस्था की गई. अभी तक हिंदूओं के लिए इससे ज्यादा काम नहीं हुआ.

इन मुस्लिम देशों में ये व्यवस्थाएं

  • यूसीसी को मॉर्डन समय में सबसे पहले फ्रांस में नेपोलियन लेकर आए थे. नेपोलियन ने साल 1804 में यूसीसी लागू किया था. उसी तर्ज पर करीब 100 साल बाद जर्मनी और स्विट्जरलैंड ने अपने अपने देश में यूसीसी को लागू किया. उसके बाद यूरोप के तमाम देशों ने अपने अपने देश में यूसीसी की व्यवस्था की.
  • तुर्की में 1924 में जब पुरानी खिलाफत को समाप्त किया गया तो नई व्यवस्था के तहत 1926 में यूसीसी लागू किया गया. इस दौरान तुर्की में लागू यूसीसी में लिंग समानता, बहु विवाह को बैन करने का प्रावधान, शादी में पति पत्नी को बराबर हक़ और तलाक़ का प्रावधान, शादी के लिए लड़कियों की उम्र 15 साल और लड़के की उम्र 17 साल का प्रावधान किया गया था.
  • जर्मनी के लागू यूसीसी में प्रावधान किया गया है कि सगे संबंधियों में शादी नहीं हो सकती. यही प्रावधान उत्तराखंड यूसीसी में भी किया गया है.
  • साल 1961 में जब पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग नहीं हुआ था उस दौरान पाकिस्तान सरकार ने मुस्लिम फैमिली लॉ ऑडिनेंस, 1961 लागू किया. उसमें हलाला की व्यवस्था को समाप्त कर ये कहा गया था कि किसी तीसरे व्यक्ति से निकाह करने के बजाए सीधा अपने पूर्व पति से निकाह किया जा सकता है.
  • इंडोनेशिया में भी बहुविवाह को अनुमति नहीं दी जाती है, अगर बहुविवाह करना है तो इसके लिए कोर्ट से परमिशन लेनी होगी.

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