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वनाग्नि को लेकर बीजेपी विधायक ने सीएम धामी को लिखा पत्र, फील्ड कर्मचारियों को बताया मेहनती, अफसरों पर कार्रवाई की मांग - Dilip Rawat letter to CM Dhami

Dilip Rawat letter to CM Dhami on forest fire बुधवार को चुनाव कैंपेन बीच में छोड़कर उत्तराखंड लौटे सीएम धामी ने ताबड़तोड़ वनाग्नि और चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक की थी. वनाग्नि में लापरवाही बरतने के आरोप में 10 अफसरों-कर्मचारियों को सस्पेंड करने के साथ ही 7 अन्य पर कार्रवाई की गई थी. इस कार्रवाई के बाद लैंसडाउन के विधायक महंत दिलीप सिंह रावत ने सीएम धामी को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में गिले-शिकवों के साथ सलाह भी दी गई है.

Dilip Rawat letter to CM Dhami
दिलीप रावत का सीएम को पत्र (Photo- Facebook)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 9, 2024, 12:55 PM IST

Updated : May 9, 2024, 1:05 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में वनाग्नि को लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री की बैठक के बाद कई कर्मचारियों को कार्रवाई करते हुए सस्पेंड कर दिया गया था. इसके बाद सवाल यह खड़े होने लगे थे कि छोटे कर्मचारी जो ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे हैं, उनको सस्पेंड करना या अन्य कार्रवाई करना कितना उचित है.

दिलीप रावत का पत्र (Letter- BJP MLA Dilip Singh)

अब इसी सिलसिले में लैंसडाउन से बीजेपी के विधायक दिलीप सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखकर वन विभाग की पूरी पोल खोल दी है. महंत दिलीप सिंह रावत ने वन विभाग की तमाम खामियों को गिनवाते हुए यह कहा है कि निचले स्तर के कर्मचारियों का निलंबन या उनके ऊपर कार्रवाई उचित नहीं है. क्योंकि कर्मचारियों को भोजन, वेतन इत्यादि समय से नहीं मिल रहे हैं. इसी के साथ विधायक ने कई बिंदुओं पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

सीएम को लिखे पत्र में कहा इस ओर ध्यान देना जरूरी:विधायक महंत दिलीप सिंह रावत द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि छोटे कर्मचारियों का निलंबन सही नहीं है. हकीकत यह है कि आग बुझाने के लिए धरातल पर हमारे पास संसाधन उपलब्ध हैं या नहीं यह हमें देखना होगा. इसके साथ ही विधायक ने अपने पत्र में कहा है कि आग बुझाने वाले कर्मचारियों की संख्या हमारे पास पूरी है या नहीं या फिर सभी चीजें कागजों तक सीमित दिखाई दे रही हैं. विधायक ने से कहा है कि हमें यह भी ध्यान देना होगा कि कर्मचारी जो आग बुझा रहे हैं, उनके लिए खाने-पीने की उचित व्यवस्था है या नहीं. विधायक ने ब्रिटिश काल में वन अग्नि को नियंत्रण में करने के लिए फायर लाइन पर जोर देते हुए कहा है कि इस पर भी हमें ध्यान देना होगा. साथ ही साथ जंगलों पर पहले ग्रामीणों का अधिकार था और ग्रामीण जंगलों की रक्षा खुद करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. क्योंकि कानून इस तरह के बना दिए गए हैं लिहाजा वन अग्नि को रोकने के लिए हमें ईश्वर भी ध्यान देना होगा.

कई तरह के उठाये हैं सवाल:महंत दिलीप सिंह रावत ने कहा है कि उन्होंने पहले भी मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से विशेष सत्र बुलाने के लिए कहा था. ताकि अग्नि और आपदा को लेकर एक ठोस रणनीति बनाई जाए और इस समस्या पर चिंतन हो सके. वन विभाग के कर्मचारियों पर सवाल खड़े करते हुए दिलीप सिंह रावत ने कहा है कि उनके संज्ञान में यह आया है कि वन अधिकारी, प्रभारी क्षेत्र वन अधिकारी केवल चौकियों तक ही निरीक्षण कर रहे हैं. धरातल पर कोई नहीं जा रहा.

इतना ही नहीं उनके संज्ञान में यह भी आया है कि जंगलों में नियुक्त दैनिक वेतन कर्मी और फायरवाचरों को नियमित वेतन नहीं मिल रहा है. महंत दिलीप सिंह रावत ने कहा है कि छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के बजाय अपने कक्ष में बैठकर काम कर रहे बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई अगर होती तो अधिकारी बेहतर तरीके से काम करते. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में महंत दिलीप सिंह रावत ने कई तरह के न केवल सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सुझाव के तौर पर भी कई बातें कहीं हैं.

अब तक ये है हालात:आपको बता दें कि बुधवार तक उत्तराखंड में 1038 आग लगने की घटना रिकॉर्ड की गई थी. जिसमें 1385 हेक्टेयर जंगल जलकर पूरी तरह राख हो गये हैं. इतना ही नहीं अब तक प्रदेश में पांच लोगों की मौत भी हो चुकी है.
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Last Updated : May 9, 2024, 1:05 PM IST

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