नई दिल्ली: भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या चिंता का विषय बनी हुई है. सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, पिछले 10 साल में देशभर में लगभग 15 लाख से अधिक लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई.
उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में क्रमश: सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं. इन दस सालों में सबसे कम सड़क हादले लक्षद्वीप से सामने आए. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण लेन में अनुशासनहीनता है.
'तेज गति चिंता का विषय'
उन्होंने बताया कि मुंबई में यातायात नियमों का उल्लंघन करने के कारण उनकी अपनी गाड़ी पर भी दो बार जुर्माना लगाया गया. गडकरी ने इस बात को स्वीकार किया कि तेज गति एक चिंता का विषय है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में लेन अनुशासनहीनता कहीं अधिक बड़ी समस्या है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर तेज गति से वाहन चलाना इतनी बड़ी समस्या नहीं है.
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बोलते हुए गडकरी ने यातायात अनुशासन पर जनता, खासकर युवाओं को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि बच्चों को भी यातायात नियमों का पालन करने का महत्व सिखाया जाना चाहिए. उन्होंने यातायात उल्लंघनों की निगरानी और रोकथाम के लिए सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी उल्लेख किया.
जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की अपील
मंत्री ने सांसदों से सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की.लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गडकरी की भावनाओं को दोहराते हुए सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए यातायात कानूनों के बारे में जनता को शिक्षित करने में मदद करने की जिम्मेदारी सदस्यों पर जोर दिया.
बता दें कि अनुशासनहीनता के अलावा कई और ऐसे कारण हैं, जिससे सड़क हादसे होते हैं. इनमें मानवीय भूल, खराब रोज, ओवरलेडिंग, वाहन की कंडीशन और जागरुकता की कमी शामिल हैं. भारत में सड़क दुर्घटनाओं का एक और बड़ा कारण खराब सड़कें हैं. भारत में कई सड़कें ऐसी हैं, जहां गढ्ढे हैं और वहां पर्याप्त रोशनी नहीं है, जो दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं.