पलामू:दो अप्रैल को पुलिस ने पिपरा थाना क्षेत्र में छापेमारी करते हुए पंकज प्रजापति नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार पंकज प्रजापति के पास से पुलिस ने माओवादियों के पोस्टर की एक बड़ी खेप को बरामद किया था. इन पोस्टरों में माओवादियों ने वोट बहिष्कार को लेकर कई बातों का जिक्र किया था. पोस्ट में माओवादियों के वोट बहिष्कार के लिए क्रांतिकारी जन कमेटी जनताना सरकार (आरपीसी) का जिक्र है. दरअसल कुछ वर्षों से माओवादी अपने पोस्टर और बैनर में आरपीसी शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे. माओवादियों ने कई वर्षों के बाद क्रांतिकारी जन कमेटी जनताना सरकार (आरपीसी) का इस्तेमाल किया है. माओवादी अपने इस संगठन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या है माओवादियों की क्रांतिकारी जन कमेटी जनताना सरकार (आरपीसी)
दरअसल प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी की क्रांतिकारी जन कमेटी जनताना सरकार (आरपीसी) एक पोषक संगठन है. जो माओवादियों के हथियारबंद दस्ते को कई तरह से मदद पहुंचाती है. एक पूर्व माओवादी के अनुसार आरपीसी के सदस्य आम ग्रामीण की तरह रहते हैं, इनका काम माओवादियों की बातों को आम ग्रामीणों तक पहुंचाना होता है. एक तरह से ये माओवादियों के हथियारबंद दस्ते और आम ग्रामीणों के बीच पुल का काम करते हैं. माओवादी आरपीसी के सदस्यों के माध्यम से ही पोस्टर बैनर को ग्रामीण इलाकों में लगवाते हैं.
पूर्व माओवादी के अनुसार शुरुआत में गांव में आरपीसी का गठन किया गया था, आरपीसी में एक-एक गांव से छह से सात सदस्य होते थे. कई बार आरपीसी के सदस्य माओवादियों के विभिन्न प्रकार की सूचना उपलब्ध करवाते थे. जबकि कई बार आरपीसी के सदस्य सुरक्षा घेरा भी तैयार करते थे और सामग्री उपलब्ध करवाते थे.
झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाकों में आरपीसी को एक्टिव करने की कोशिश