बेंगलुरु: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार से जुड़े सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने सीए प्लॉट के वितरण पर विवाद के बाद इसे कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) को लौटाने का फैसला किया है. ट्रस्ट ने 12 फरवरी, 2024 को केआईएडीबी को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और एक महीने बाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी.
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में केस दर्ज होने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने उनके आवंटित 14 भूंखड को लौटाने का फैसला किया था. अब सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने बेंगलुरु के एयरोस्पेस एंड हाई-टेक डिफेंस पार्क में कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा आवंटित 5 एकड़ सीए साइट (भूखंड) लौटाने का फैसला किया है.
विपक्षी भाजपा ने आरोप लगाया था कि नियमों का उल्लंघन करके सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को सीए साइट दी गई थी. इस संबंध में राज्यपाल से भी शिकायत की गई थी. राज्यपाल ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था. इसके बाद सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने केआईएडीबी सीए साइट लौटाने का फैसला किया है.
सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के ट्रस्टी राहुल खड़गे (जो मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे हैं) ने 5 एकड़ जमीन पर शोध एवं विकास प्रशिक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव केआईएडीबी को सौंपा था. प्रस्ताव में कहा गया था कि कुल 25 करोड़ का निवेश किया जाएगा और 150 लोगों को रोजगार मिलेगा. हालांकि, प्रस्ताव में पैन कार्ड जमा नहीं कराया गया था. उद्योग मंत्री एमबी पाटिल की अध्यक्षता में हुई एकल निगरानी समिति की बैठक में सिफारिश की गई थी कि इस पर विचार किया जा सकता है.
भाजपा नेता नारायणस्वामी ने राज्यपाल से की थी शिकायत
विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाडी नारायणस्वामी ने राज्यपाल से शिकायत की थी कि नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद प्रभाव का इस्तेमाल कर सीए साइट आवंटित की गई. इसके अलावा, आरटीआई कार्यकर्ता गिरीश कल्लाहल्ली ने भी ईडी, लोकायुक्त और राज्यपाल से शिकायत की थी, जिसमें केआईएडीबी द्वारा सीए भूखंड के आवंटन में सत्ता के दुरुपयोग और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था.
इस बारे में बात करते हुए मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, "व्यक्तिगत रूप से मैं राजनीतिक आरोपों से तंग आ चुका हूं. इसलिए ट्रस्टी राहुल खड़गे ने 20 सितंबर को पत्र लिखकर कहा है कि सीए साइट की जरूरत नहीं है. पत्र में कहा गया है कि हम सीए साइट पाने के हकदार हैं, इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. यह कहा गया है कि यह एक सार्वजनिक ट्रस्ट है, निजी ट्रस्ट नहीं. यह स्पष्ट किया गया है कि ट्रस्ट को मिलने वाले पैसे का किसी भी कारण से दुरुपयोग नहीं किया जाएगा. सीए साइट पर कोई छूट नहीं है."