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राहुल गांधी के खिलाफ दायर की याचिका, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया जुर्माना, जानें पूरा मामला

हाई कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया है.

कर्नाटक हाई कोर्ट
कर्नाटक हाई कोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 11 hours ago

बेंगलुरु:कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया. इस याचिका में मांग की गई थी कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारतीय महिलाओं की गरिमा को कथित रूप से धूमिल करने के लिए माफी मांगें.

यह जनहित याचिका में कहा गया है कि राहुल गांधी ने जनता दल सेक्युलर (JDS) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर झूठा आरोप लगाया था कि उन्होंने 400 महिलाओं के साथ रेप किया और इस कृत्य को फिल्माया. इसे सामूहिक रेप बताया.

मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और जस्टिस के अरविंद की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह न्यायिक समय की बर्बादी है. साथ ही याचिका दायर करने वाले ऑल इंडिया दलित एक्शन कमेटी पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

राहुल के बयान से महिलाओं का अपमान
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, "राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान आरोप लगाया था कि प्रज्वल रेवन्ना ने 400 महिलाओं के साथ बलात्कार किया है. राहुल के बयान से स्थानीय महिलाओं का अपमान हुआ है और हर घर में महिलाओं को शक की नजर से देखा जा रहा है. इससे महिलाओं की गरिमा को खतरा है और इसकी जांच होनी चाहिए."

नफरत फैलाने वाला भाषण
वकील ने अपील की कि साथ ही प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ चार्जशीट में 400 महिलाओं के साथ रेप का कोई उल्लेख नहीं है, लेकिन राहुल ने चुनाव में वोटर्स को आकर्षित करने के लिए इस तरह का बयान दिया. यह एक नफरत फैलाने वाला भाषण है. सरकार और महिला आयोगों ने इस बारे में शिकायत दर्ज नहीं की है. इसलिए, उन्हें नोटिस जारी किया जाना चाहिए.

बिना शर्त माफी मांगने का आदेश की मांग
राहुल गांधी को उनके असंवैधानिक भाषण के लिए बिना शर्त माफी मांगने का आदेश दिया जाना चाहिए, जिसने एक महिला की गरिमा का अपमान किया और उसे अपमान, दर्द और पीड़ा दी. राहुल और अन्य प्रतिवादियों, जिन्होंने महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है उन को सार्वजनिक पद के दुरुपयोग, सार्वजनिक विश्वास को नुकसान पहुंचाने और संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन के लिए प्रतीकात्मक दंड दिया जाना चाहिए.

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