धारवाड़: कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ पीठ ने कोप्पल जिले के गंगावती तालुक के मरकुंबी गांव में दलितों के खिलाफ हिंसा के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 97 आरोपियों को बुधवार को जमानत दे दी.
जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार और जस्टिस टीजी शिवशंकर गौड़ा की पीठ ने मामले में चौथे आरोपी पम्पावती सहित अन्य आरोपियों की ओर से अलग-अलग दायर 10 आपराधिक अपीलों को स्वीकार कर लिया और 97 आरोपियों को जमानत दे दी गई.
दलितों के खिलाफ हिंसा मामले में, प्रथम आरोपी मंजूनाथ को छोड़कर बाकी सभी को जमानत मिल गई है. अदालत ने सभी आरोपियों को एक लाख रुपये का निजी मुचलका जमा करने का निर्देश दिया है. दोषियों को ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए जुर्माने की राशि का भी भुगतान करना होगा.
आदेश के मुताबिक, जमानत पाने वाले आरोपी बिना अदालत की पूर्व अनुमति के कोप्पल जिले से बाहर नहीं जा सकते और उन्हें अधिकारियों द्वारा की जाने वाली सुनवाई में शामिल होना होगा और जांच में सहयोग करना होगा. साथ ही सबूत नष्ट करने का प्रयास नहीं करेंगे.
कोप्पल जिला न्यायालय से सुनाई थी उम्रकैद की सजा
वर्ष 2014 में दलितों के खिलाफ हिंसा मामले में कोप्पल जिला न्यायालय से 98 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. तीन अन्य, जो एसटी समुदाय से थे, को पांच साल के कठोर कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई. आजीवन कारावास की सजा पाने वाले दोषियों पर 2,000 से 5,000 रुपये तक जुर्माना भी लगाया गया था. सभी बल्लारी सेंट्रल जेल में बंद हैं.
न्यायाधीश चंद्रशेखर सी ने मामले में 101 लोगों को दोषी ठहराया था. आरोपियों ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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