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कर्नाटक : सरकारी स्कूलों में सप्ताह में तीन दिन मिलेगा बाजरा माल्ट, सीएम सिद्धारमैया ने किया उद्घाटन - बाजरा माल्ट कार्यक्रम

CM Siddaramaiah : कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने बाजरा माल्ट कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इसके तहत सरकारी स्कूल के बच्चों के सप्ताह में तीन दिन बाजरा माल्ट प्रदान किया जाएगा. पढ़िए पूरी खबर...

Millet malt will be available three days a week
सप्ताह में तीन दिन मिलेगा बाजरा माल्ट

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 22, 2024, 5:09 PM IST

बेंगलुरु: मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को सरकारी स्कूल के बच्चों को सप्ताह में तीन दिन बाजरा माल्ट उपलब्ध कराने के कार्यक्रम का उद्घाटन किया. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, केएमएफ और श्री सत्य साईं अन्नपूर्णा ट्रस्ट के सहयोग से सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए साईं श्योर रागी हेल्थ मिक्स कार्यक्रम का उद्घाटन किया.

विधान सभा के बैंक्वेट हॉल में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि 2013 में जब हमारी सरकार आई तो हमारा दूध उत्पादन बढ़ गया. लेकिन उस अतिरिक्त दूध की बिक्री और दूध के सह-उत्पादों का उत्पादन अधिकतम नहीं हो सका. इसलिए, सरकार ने तुरंत स्कूली बच्चों को सप्ताह में पांच दिन दूध उपलब्ध कराने के लिए क्षीरभाग्य योजना शुरू की. केएमएफ के माध्यम से बच्चों तक दूध जाता है. वहीं इस दूध का पैसा सरकार द्वारा केएमएफ को दिया जाता है.

उन्होंने कहा कि इस तरह हमने केएमएफ को दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों की मदद करने का फैसला किया. इसके अलावा, पिछले बजट में हमने स्कूली बच्चों को सप्ताह में दो बार अंडे देने का कार्यक्रम शुरू किया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब अत्यंत पौष्टिक बाजरा माल्ट कार्यक्रम शुरू किया गया है. इससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होगा.

उन्होंने कहा कि बच्चों में खून की कमी नहीं होनी चाहिए, वे कुपोषण का शिकार नहीं होने चाहिए.तभी बच्चे मानसिक रूप से मजबूत और पढ़ाई में होशियार होंगे. उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. अमीरों के बच्चों की तरह गरीबों, मजदूर वर्ग और दलितों के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए. क्योंकि ये बच्चे ही हैं जो देश और समाज के भविष्य को आकार देते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही आत्मसम्मान को बढ़ाया जा सकता है. शिक्षा के माध्यम से ज्ञान का विकास संभव है. शिक्षा का मतलब सिर्फ पढ़ना-लिखना नहीं सिखाना है. समाज की समस्याओं का समाधान करने के लिए तर्कसंगत शिक्षा आवश्यक है. उच्च शिक्षित डॉक्टर और इंजीनियर अब इसकी चपेट में आ गए हैं. कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री मधुबंगरप्पा भी मौजूद थे.

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