सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना से नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NEFR) ने बड़ा सबक सीखा है. हादसे के बाद रेलवे अधिकारी यात्री सुरक्षा के मोर्चे पर और ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं. विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के बीच समन्वय और संचार में सुधार के उपाय के रूप में, एनईएफआर ने प्रत्येक रेलगेट केबिन में 'स्टेबलाइजर और कॉल रिकॉर्डर' स्थापित करने का निर्णय लिया है. नतीजतन, अब से गेटमैन और स्टेशन मास्टर तथा अधिकारियों के बीच होने वाली हर बात मशीन पर रिकॉर्ड हो जाएगी.
कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे की क्या थी बड़ी वजह?
कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद रेलवे इसकी वजह जानने में जुट गया है. चार दिनों से रेल दुर्घटना की जांच चल रही है, लेकिन फिर भी जांच अधिकारी अभी तक कोई सुराग हासिल नहीं कर सके हैं. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, रेलवे की नई लापरवाही निकल कर सामने आ रही है. जिनमें से एक है रंगापानी रेलवे स्टेशन मास्टर और गेटमैन के बीच की बातचीत. कटिहार मंडल के डीआरएम सुरेंद्र कुमार ने कहा कि, 'रेल दुर्घटना वाले दिन ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम में खराबी के कारण मेमो के जरिए अनुमति दी गई थी.
मालगाड़ी की स्पीड ज्यादा थी
उन्होंने बताया कि, मेमो ऑर्डर के मुताबिक, मालगाड़ी की स्पीड जितनी होनी चाहिए थी, उससे कहीं ज्यादा थी. रंगापानी स्टेशन पार कर रहे एक रेलवे गेट गार्ड ने मालगाड़ी की स्पीड ज्यादा होने की जानकारी स्टेशन मास्टर को दी. लेकिन किसने, क्या किया? जानकारी दें? उसने किसे रिपोर्ट की? इन सभी की जांच की जा रही है. वह गार्ड सच बोल रहा है या नहीं, इस मामले में कॉल रिकॉर्ड से भी जांच की जा रही है.'