नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार भारत के पूर्वी क्षेत्र को देश के विकास का इंजन मानती है, जबकि पहले इस क्षेत्र को पिछड़ा माना जाता था. यहां 'ओडिशा पर्व' कार्यक्रम में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य में नई सरकार के गठन के 100 दिनों के भीतर 45,000 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई है.
उन्होंने कहा, "ओडिशा हमेशा से ही संतों और विद्वानों की भूमि रही है, जिस तरह से यहां के विद्वानों ने हमारे धार्मिक ग्रंथों को घर-घर तक पहुंचाया और लोगों को उनसे जोड़ा, उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है."
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi. The state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world. https://t.co/B1cZAX2Gpe
— Narendra Modi (@narendramodi) November 24, 2024
बजट में 30 प्रतिशत की वृद्धि
उन्होंने कहा, "एक समय था, जब भारत के पूर्वी क्षेत्र और वहां के राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था. हालांकि, मैं भारत के पूर्वी क्षेत्र को देश के विकास का इंजन मानता हूं, इसलिए हमने भारत के पूर्वी क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी है." पीएम मोदी ने कहा, "अब हम ओडिशा को जो बजट आवंटित कर रहे हैं, वह 10 साल पहले की तुलना में तीन गुना अधिक है. हम ओडिशा के विकास के लिए हर क्षेत्र में तेजी से काम कर रहे हैं और इस साल बजट में 30 प्रतिशत की वृद्धि की गई है."
100 दिनों में 45 हजार करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी
प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ओडिशा में कारोबार को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर 45,000 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई है. उन्होंने कहा, "पिछले साल भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन हुआ था. जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हमने सूर्य मंदिर (कोणार्क में) की तस्वीर दिखाई थी. मुझे इस बात की भी खुशी है कि जगन्नाथ मंदिर (पुरी में) के चारों दरवाजे अब खुल गए हैं. इसके अलावा मंदिर का रत्न भंडार भी खुला है."
क्या है ओडिशा पर्व?
उल्लेखनीय है कि 'ओडिशा पर्व' ओडिया समाज द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है. दिल्ली स्थित एक ट्रस्ट ओडिया विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए बहुमूल्य समर्थन प्रदान करने में लगा हुआ है. इस साल ओडिशा पर्व का आयोजन 22 नवंबर से 24 नवंबर तक किया गया, ताकि ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया जा सके.
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