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कभी गूंजी किलकारी तो कभी मिली बुरी खबर, कुछ ऐसा रहा कूनो के जंगलों में चीतों का सफ़र - KUNO NATIONAL PARK CHEETAH

भारत में चीता प्रोजेक्ट का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है. नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से कइयों की मौत हो गई जबकि कई शावकों ने जन्म भी लिया है.

CHEETAH PROJECT India
चीता प्रोजेक्ट इंडिया (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 22, 2025, 7:57 PM IST

ग्वालियर/श्योपुर(पीयूष श्रीवास्तव): कूनो... लगभग ढाई साल पहले यह नाम देश में सिर्फ राष्ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता था. फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क की धरती पर सात समंदर पार से चीते ले कर आए. यह वह मौका था जब 70 साल बाद भारत की धरती पर चीता ने चहलकदमी की. 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से पहली खेप में 8 चीते भारत लाए गए थे. इसके बाद 18 फरवरी 2023 को 12 और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया गया. इन 20 चीतों के साथ भारत में चीतों की बसाहट शुरू हुई.

आमद के 6 महीने बाद ही जंगल में छोड़े गए थे चीते

शुरुआती दो वर्ष का समय चीता प्रोजेक्ट के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था क्योंकि दूसरे देशों से भारत लाये गए चीते यहां के वातावरण में ख़ुद को ढाल सकें ये कहना आसान नहीं था. 11 मार्च 2023 को चीता प्रोजेक्ट के तहत एक नर और एक मादा चीता को खुले जंगल में छोड़ा गया. इसके बाद कुछ और चीते भी जंगल में हवा से बातें करने लगे. इस बीच कूनो में खुशियों की किलकारी गूंजी, मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया. ये देश में चीतों की विलुप्ति के बाद भारत की धरती पर जन्मे पहले चीता शावक थे.

चीता प्रोजेक्ट इंडिया (Etv bharat)

एक के बाद एक आई मौत की ख़बरें

चीता प्रोजेक्ट में पहली बुरी खबर आई 26 मार्च 2023 को, जब जंगल में किडनी इन्फेक्शन के चलते मादा साशा की मौत हो गई. इसके बाद नर चीता उदय की मौत 23 अप्रैल 2023 को दिल का दौरा पड़ने से हो गई. इसके बाद जैसे चीतों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया. मई के महीने में तीन और चीते जंगल में छोड़े गए लेकिन 9 मई 2023 को नर चीते से मिलाप के दौरान हुई लड़ाई में मादा चीता दक्षा की मौत की खबर आई.

चीता प्रोजेक्ट इंडिया (Etv bharat)

इसके बाद भारत की धरती पर जन्मे मादा चीता ज्वाला के पहले शावक की मौत 23 मई को हुई और फिर 25 मई 2023 को दो और शावकों की मौत हो गई. एक के बाद एक मौतों के बाद केंद्र सरकार ने 25 मई 2023 को चीता स्टेयरिंग कमिटी का गठन किया गया और चीतों को कूनो नेशनल पार्क में बनाए गए बाड़ों में रखने का फैसला लिया गया.

जंगल से बाड़े की क़ैद में वापसी

बताया जाता है कि 11 जुलाई 2023 को चीता सूरज और चीता तेजस में आपसी संघर्ष हुआ जिसमे दोनों घायल हो गए और तेजस की मौत गई. इसके तीन दिन बाद सूरज की भी मृत्यु हो गई. इसके बाद 2 अगस्त 2023 को मादा चीता धात्री की मौत की खबर आई. और 13 अगस्त 2023 को चीतों को कूनो के बाड़ें में शिफ्ट कर दिया गया.

कभी खुशी कभी ग़म वाला रहा 2024

मौत का यह सिलसिला थमा नहीं. लगभग छह महीने बाद 2024 में 16 जनवरी को नर चीता शौर्य भी नहीं रहा. इससे पहले 3 जनवरी को मादा चीता आशा ने 3 शावकों को जन्म दिया. इसके बाद 22 जनवरी को मादा चीता ज्वाला ने एक बार फिर 4 शावकों को जन्म दिया. इसके डेढ़ महीने बाद 10 मार्च 2024 को मादा चीता गामिनी ने भी 6 शावकों को जन्म दिया. लगभग 4 महीने बाद 4 जून 2024 को चीता गामिनी के एक शावक की मौत हो गई. फिर 5 अगस्त 2024 को गामिनी के दूसरे शावक की मौत की बात सामने आई. आख़िर में 27 अगस्त 2024 को नर चीता पवन का शव जंगल में मिला जो बाड़े से निकल गया था.

कूनो नेशनल पार्क चीता प्रोजेक्ट इंडिया (Etv bharat)

दो साल बाद 12 चीते आज़ाद

श्योपुर डीएफओ आर थिरुकुरल ने बताया "चीता स्टेयरिंग कमिटी की मंजूरी के बाद कूनो के बाड़े से 4 दिसंबर 2024 को दो नर चीता अग्नि और वायु को जंगल में छोड़ा गया था. इसके बाद 6 फरवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 5 चीते जिनमे दो विदेशी मादा चीता आशा और धीरा व भारत में जन्मे 3 शावक कोजंगल में छोड़ा गया. अब 21 फरवरी को मादा चीता ज्वाला और उसके चार शावकों को जंगल में रिलीज़ किया गया है इस तरह भारत की धरती पर बिना बंधन 12 चीते रफ़्तार से ज़मीन नाप रहे हैं."

चीता प्रोजेक्ट इंडिया (Etv bharat)

भारत में 26 चीतों का है कुनबा

लगभग दो साल तीन महीने का समय ज्यादातर चीतों ने कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में ही गुज़ारे. इस बीच कुछ चीते दुनिया छोड़ गए तो वहीं कुछ शावकों के जन्म से चीतों का कुनबा भी बढ़ा. आज भारत की धरती पर 26 चीते हैं जिनमे 14 शावक और 12 वयस्क हैं. और अब इन चीतों ने खुले आसमान के नीचे सफ़र करना शुरू कर दिया है. बाड़े से धीरे धीरे चीतों को आज़ाद किया जा रहा है. जिससे वे ख़ुद की टेरिटरी बनाएं और प्राकृतिक रूप से जंगल में ख़ुद को ढाल सके.

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