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1972 के बाद पहली बार सोरेन परिवार से बाहर गई झामुमो की राजनीति, जानिए चंपई सोरेन को क्यों बनाया सीएम - Soren Family Jharkhand

Jharkhand new CM Champai Soren. हेमंत सोरेन के इस्तीफे और चंपई सोरेन के सीएम बनने की घोषणा के बाद झारखंड की राजनीति में यह पहली बार है कि जेएमएम का उत्तराधिकारी सोरेन परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को बनाया गया है. 1972 के बाद 2024 में ऐसा पहली बार हुआ है.

Jharkhand new CM Champai Soren
Jharkhand new CM Champai Soren

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 31, 2024, 11:29 PM IST

रांची: झारखंड की राजनीति झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोरेन परिवार के बिना अधूरी है. लेकिन 1972 के बाद जनवरी 2024 झारखंड की राजनीति और सोरेन परिवार के लिए ऐसा साल बन गया, जिसमें पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा की कमान भले ही अध्यक्ष के तौर पर शिबू सोरेन के पास हो, लेकिन पार्टी के सत्ता में रहने के बाद भी सीएम की कुर्सी सोरेन परिवार के पास नहीं रही हो. सोरेन परिवार के बाहर के चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है. इसकी पुष्टि हो चुकी है.

झारखंड के निर्माता और झारखंड के दिशोम गुरु के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के विरोध में आंदोलन शुरू किया था और विरोध का ढोल इतना तेज बजा कि सोरेन परिवार का हनक पूरे झारखंड में तो फैला ही. वहीं, देश में भी शिबू सोरेन का राजनीतिक प्रभाव इतना मजबूत हो गया कि केंद्र सरकार भी उन्हें राजनीति में लिये बिना झारखंड की राजनीति नहीं कर सकती थी.

1970 से गुरुजी राजनीति में रहे सक्रिय:गुरुजी 1970 से झारखंड की राजनीति में सक्रिय रहे और 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ. हालांकि, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ, तो विनोद बिहारी महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष थे और शिबू सोरेन सेक्रेटरी थे. जब तक विनोद बिहारी महतो अध्यक्ष थे, तब तक शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा में दूसरे नंबर पर ही रहे. लेकिन उनकी मृत्यु के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की कमान शिबू सोरेन के हाथों में आ गई और तब से लेकर अब तक शिबू सोरेन या सोरेन परिवार ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता रहे हैं और जब भी सरकार और मुख्यमंत्री बनाने का समय आया तो सोरेन परिवार से ही नाम तय किये गये. लेकिन 31 जनवरी 2024 एक ऐसी तारीख बन गई है जिसमें सोरेन परिवार के बाहर से किसी को झारखंड मुक्ति मोर्चा कोटे से मुख्यमंत्री बनाने का नाम राजभवन को दे दिया गया है.

चंपई सोरेन के बारे में कहा जाता है कि चंपई सोरेन गुरु जी के सबसे करीबी रहे हैं. ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे चंपई सोरेन शिबू सोरेन परिवार से बाहर जाने के बारे में सोच भी सकें. लेकिन अगर 1972 से 2024 तक झारखंड मुक्ति मोर्चा के राजनीतिक सफर की बात करें तो यह पहली बार है कि शिबू सोरेन या सोरेन परिवार के बाहर किसी और को सत्ता की कमान सौंपने पर सहमति बनी है.

सोरेन परिवार में विवाद:ऐसा नहीं है कि चंपई सोरेन का नाम तय करने और उन्हें गद्दी देने को लेकर हेमंत सोरेन परिवार में कोई विवाद नहीं है. हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने पहले ही हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाये जाने का विरोध किया था. यह भी चर्चा जोरों पर थी कि अगर हेमंत इस्तीफा देते हैं तो शायद गुरु जी को एक बार फिर मुख्यमंत्री की कमान सौंपी जा सकती है. लेकिन सभी बातों पर विराम लगाते हुए हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया है और यहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा एक नई राजनीतिक यात्रा की ओर बढ़ चली है.

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