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नक्सलियों का मार्च क्लोजिंग करने की तैयारी में झारखंड पुलिस ,जानिए क्या है माजरा - NAXALISM IN JHARKHAND

झारखंड में नक्सलियों का पूरी तरह से सफाया होने वाला है. झारखंड पुलिस मार्च महीने में क्लोजिंग करने की तैयारी में है.

NAXALISM IN JHARKHAND
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 21, 2025, 5:59 PM IST

Updated : Jan 21, 2025, 6:50 PM IST

रांची: झारखंड पुलिस ने मार्च 2025 तक झारखंड से नक्सलवाद के सफाई का डेडलाइन रखा है. पुलिस का यह दावा है कि मार्च महीने तक दो से तीन जिलों में सीमित नक्सलियों को उनके मांद से निकालकर खदेड़ दिया जाएगा.

2025 के वित्तीय वर्ष तक का टारगेट

साल 2025 के वित्तीय वर्ष समाप्त होते-होते तक झारखंड को नक्सलवाद से मुक्त करने का दावा झारखंड पुलिस के द्वारा किया जा रहा है. झारखंड पुलिस का दावा है कि कमजोर होते नक्सलियों को 31 मार्च 2025 तक पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा. सवाल यह है कि आखिर झारखंड पुलिस के इस दावे में कितना दम है, क्योंकि रघुवर सरकार के दौरान भी इस तरह के दावे किए गए थे लेकिन नक्सल समस्या अभी भी झारखंड में कायम है. हालांकि परिस्थितियों अब पहले जैसी नहीं है. शायद यही वजह है कि झारखंड पुलिस के इस दावे में जोर दिखाई देता है. क्योंकि अब झारखंड पुलिस को राज्य के तीन से चार जिलों से ही नक्सलियों को खदेड़ना है बाकी जिले पूर्व से ही नक्सलियों के दहशत से मुक्त हो चुके हैं.

झारखंड में खत्म होगा नक्सलवाद (ईटीवी भारत)



डीजीपी ने किया है दावा

झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार नक्सल के खिलाफ लड़ाई निरंतर चल रहा है. इस लड़ाई में पुलिस हर दिन मजबूत हो रही है जबकि नक्सली हर दिन कमजोर हो रहे हैं. यही वजह है कि हमने मार्च तक नक्सलवाद के खात्मे का टारगेट रखा है.

ये हैं दावे के आधार

नक्सलियों के बड़े गढ़ हुए ध्वस्त

झारखंड पुलिस के लिए वर्तमान नक्सल परिदृश्य में अपने दावे को सच साबित करना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है, क्योंकि नक्सलियों के बूढ़ा पहाड़, बुलबुल जंगल और पारसनाथ जैसे मजबूत गढ़ पुलिस के द्वारा नेस्तानाबूद किए जा चुके हैं. इन इलाकों में कभी नक्सलियों की हुकूमत चला कर दी थी, लेकिन झारखंड पुलिस के द्वारा चलाए गए अभियान की वजह से इन सभी इलाकों को नक्सलियों से खाली करवाया लिया गया है. जिन स्थानों पर नक्सलियों के कैंप हुआ करते थे अब वहां पर केंद्रीय बलों के कैंप है ऐसे में इन इलाकों में नक्सलियों की वापसी असंभव है.

बाहरी मदद पर लगा ब्रेक

झारखंड के नक्सलियों को सबसे ज्यादा मदद बिहार छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से मिला करता था. लेकिन इन राज्यों में नक्सली खुद ही वहां की पुलिस से जूझ रहे हैं. झारखंड के नक्सलियों को सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ से मदद मिल करती थी, लेकिन वहां पिछले 3 महीने के भीतर 80 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया गया. ऐसे में छत्तीसगढ़ के नक्सली चाह कर भी झारखंड में अपने हथियारबंद साथियों को किसी भी तरह की मदद नहीं कर पा रहे हैं. जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में नक्सलवाद का प्रभाव बेहद कम हो गया है. ऐसे में झारखंड के नक्सलियों को बाहरी मदद न के बराबर मिल रही है.

Naxalism in Jharkhand
कैंप के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी (ईटीवी भारत)
झारखंड में नेस्तनाबूद हो चुका है भाकपा माओवादियों का शीर्ष नेतृत्व

पिछले पांच सालों में झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को लगातार बड़े बड़े झटके लगे हैं. भाकपा माओवादियों के सेकेंड इन कमांड प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और माओवादियों थिंक टैंक माने जाने वाले कंचन दा उर्फ कबीर समेत दर्जनभर बड़े नक्सली नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके अलावा कई बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भाकपा माओवादियों के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा कर दिया है. आलम यह है कि जब भी संगठन अपने आप को मजबूत करने की कोशिश करता है, तभी उन पर पुलिस का कड़ा प्रहार हो जा रहा है.

Naxalism in Jharkhand
अभियान के दौरान सुरक्षाबल (ईटीवी भारत)

साल 2024 में चतरा में एक साथ पांच इनामी (कुल मिलाकर 65 करोड़ का इनाम) नक्सलियों के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद तो संगठन की कमर ही टूट गई है. दरअसल झारखंड पुलिस माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को टारगेट में रखकर अभियान चला रही है. मात्र ढाई सालों में झारखंड पुलिस के द्वारा बेहतर रणनीति के बल पर चलाए गए अभियान की वजह से भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को लगातार झटके लगते रहे हैं. पुलिस के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में पिछले ढाई सालों में जब कभी भी बड़े नक्सल कमांडर ने सक्रियता दिखाई उसे उसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ गया.

कब कब पकड़े गए बड़े नक्सली

झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2021 से लेकर 2024 तक कुल 1890 नक्सली (भाकपा माओवादी) गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा. बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी.

प्रमुख नाम जो गिरफ्तार हुए

  • प्रशांत बोस- इनाम एक करोड़
  • रूपेश कुमार सिंह(सैक मेम्बर)प्रभा दी- इनाम 10 लाख
  • सुधीर किस्कू- इनाम 10 लाख
  • प्रशांत मांझी- इनाम 10 लाख
  • नंद लाल मांझी- इनाम 25 लाख
  • बलराम उरांव- इनाम 10 लाख

बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भी कमजोर किया संगठन को

झारखंड में भाकपा माओवादियों को ताकतवर बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़ कर पुलिस के शरण में आ चुके हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े नक्सली पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं.

हथियार और गोला बारूद की भारी कमी

पिछले 5 सालों के दौरान झारखंड पुलिस ने अपने अभियान के दम पर नक्सलियों के लगभग 500 से ज्यादा हथियार जब्त किए हैं. जब हथियारों में एक-47, अमेरिकन राइफल और पुलिस से लूटे हुए दर्जनों हथियार शामिल हैं. इसके अलावा झारखंड पुलिस ने टन के हिसाब से नक्सलियों के विस्फोटक को भी जब्त कर उन्हें नष्ट किया है. पुलिस की कार्रवाई की वजह से नक्सली संगठनों में हथियार और गोला बारूद की भारी कमी है.

जनसमर्थन मिलना हुआ बंद

झारखंड पुलिस के लिए सबसे अच्छी खबर यह है कि अब ग्रामीण नक्सलियों का समर्थन नहीं कर रहे हैं. और यह सभी जानते हैं कि अगर नक्सलियों को ग्रामीणों का समर्थन नहीं मिले तो उनकी आधी शक्ति ऐसे ही कम हो जाती है. कोल्हान में नक्सलियों से तंग आकर अब ग्रामीण भी हथियार उठा चुके हैं.

टारगेट पूरा करने में कौन कौन सी है चुनौतियां

वर्तमान समय में झारखंड में सिर्फ पांच जिले गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम नक्सल प्रभावित रह गए हैं. जबकि देश के पांच राज्यों के 12 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की श्रेणी में झारखंड का सिर्फ एक जिला पश्चिमी सिंहभूम (कोल्हान) शामिल है. झारखंड को नक्सली मुक्त करने में सबसे बड़ी बाधा कोल्हान है.

झारखंड पुलिस की रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में झारखंड में नक्सलियों की कमान एक करोड़ के इनामी पुलिस ब्यूरो मेंबर मिसिर बेसरा के हाथ में है. मिसिर बेसरा के साथ में 50 खूंखार नक्सलियों की एक पूरी टीम है. जिसमें केंद्रीय कमेटी के मेंबर अनल दा और असीम मंडल के अलावा झारखंड बिहार स्पेशल एरिया कमेटी के मेंबर सुशांत सहित अन्य नक्सली भी शामिल हैं. यह सभी कोल्हान में डेरा डाले हुए हैं.

इसके अलावा 20 से 25 नक्सलियों के दस्ते वाला एक ग्रुप कुख्यात नक्सली कमांडर अजय महतो के लिए काम कर रहा है. यह दस्ता भी पश्चिमी सिंहभूम कैंप कर रहा है. वहीं नक्सलियों का तीसरा सबसे मजबूत दस्ता केंद्रीय कमेटी के नक्सली कमांडर विवेक के नेतृत्व में काम कर रहा है यह बोकारो जिले के झुमरा इलाके में एक्टिव है. वर्तमान में झारखंड पुलिस के सामने यह तीनों दस्ते चुनौती पेश कर रहे हैं. अगर झारखंड पुलिस और केंद्रीय बल मिलकर इन तीनों दस्तो से पार पा जाते हैं तो निश्चित तौर पर झारखंड मार्च 2025 में नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा.

आईईडी है सबसे बड़ी चुनौती

झारखंड के कोल्हान इलाके में पुलिस और नक्सलियों के बीच निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. पुलिस कोल्हान की जंग कब के जीत भी गई होती, लेकिन नक्सलियों के द्वारा जंगली इलाकों में अपने बचाव के लिए लगाए गए आईईडी बम इस जंग को जीतने में बाधक बने हुए हैं. नतीजा कोल्हान के जंगल हर दूसरे तीसरे दिन विस्फोट से थर्रा रहे हैं, उन धमाकों में कभी सुरक्षा बल घायल हो रहे हैं तो कभी किसी ग्रामीण की जान जा रही है. कोल्हान की लड़ाई जितने के लिए आईईडी का सफाया बेहद जरूरी है.

टारगेट बेस्ड अभियान शुरू

अपने टारगेट को पूरा करने के लिए झारखंड पुलिस अब केंद्रीय बलों के साथ मिलकर नक्सलियो के बड़े कमांडरों के खिलाफ अभियान शुरू कर चुकी है. अभियान का एकमात्र मकसद है एक दर्जन के करीब इनामी नक्सलियों का खात्मा. इसके लिए अब टारगेट बेस्ड नक्सल अभियान शुरू किया गया है. सटीक सूचना और बेहतर रणनीति के आधार पर अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है और पूरा फोकस कोल्हान के सारंडा में रखा गया है.

वहीं, राज्य पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने स्प्रिंटर्स ग्रुप के खिलाफ भी हर जिले की पुलिस कार्रवाई कर रही है. राजधानी रांची में हाल के दिनों में स्प्रिंटर्स ग्रुप के द्वारा कई घटनाओं को अंजाम दिया गया था. लेकिन पिछले 15 दिनों के भीतर स्प्रिंटर ग्रुप के कुख्यात आलोक जी को रामगढ़ में मार गिराया गया. वहीं दूसरे कुख्यात सुल्तान जी को गिरफ्तार कर लिया गया है. रांची के ग्रामीण एसपी सुमित कुमार अग्रवाल ने बताया कि मुख्यालय के द्वारा दिए गए टास्क को पूरा करने के लिए राजधानी में भी बेहतरीन अभियान चलाया जा रहा है जिसमें लगातार कामयाबी भी मिल रही है.

ये भी पढ़ें:
इनामी नक्सली के घर पहुंचे गढ़वा एसपी, परिजनों से मिलकर की सरेंडर कराने की अपील

लाल आतंक से मुक्त हुई यह सड़क, कभी यहां से गुजरने में खौफ खाते थे नेता और अधिकारी

रांची: झारखंड पुलिस ने मार्च 2025 तक झारखंड से नक्सलवाद के सफाई का डेडलाइन रखा है. पुलिस का यह दावा है कि मार्च महीने तक दो से तीन जिलों में सीमित नक्सलियों को उनके मांद से निकालकर खदेड़ दिया जाएगा.

2025 के वित्तीय वर्ष तक का टारगेट

साल 2025 के वित्तीय वर्ष समाप्त होते-होते तक झारखंड को नक्सलवाद से मुक्त करने का दावा झारखंड पुलिस के द्वारा किया जा रहा है. झारखंड पुलिस का दावा है कि कमजोर होते नक्सलियों को 31 मार्च 2025 तक पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा. सवाल यह है कि आखिर झारखंड पुलिस के इस दावे में कितना दम है, क्योंकि रघुवर सरकार के दौरान भी इस तरह के दावे किए गए थे लेकिन नक्सल समस्या अभी भी झारखंड में कायम है. हालांकि परिस्थितियों अब पहले जैसी नहीं है. शायद यही वजह है कि झारखंड पुलिस के इस दावे में जोर दिखाई देता है. क्योंकि अब झारखंड पुलिस को राज्य के तीन से चार जिलों से ही नक्सलियों को खदेड़ना है बाकी जिले पूर्व से ही नक्सलियों के दहशत से मुक्त हो चुके हैं.

झारखंड में खत्म होगा नक्सलवाद (ईटीवी भारत)



डीजीपी ने किया है दावा

झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार नक्सल के खिलाफ लड़ाई निरंतर चल रहा है. इस लड़ाई में पुलिस हर दिन मजबूत हो रही है जबकि नक्सली हर दिन कमजोर हो रहे हैं. यही वजह है कि हमने मार्च तक नक्सलवाद के खात्मे का टारगेट रखा है.

ये हैं दावे के आधार

नक्सलियों के बड़े गढ़ हुए ध्वस्त

झारखंड पुलिस के लिए वर्तमान नक्सल परिदृश्य में अपने दावे को सच साबित करना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है, क्योंकि नक्सलियों के बूढ़ा पहाड़, बुलबुल जंगल और पारसनाथ जैसे मजबूत गढ़ पुलिस के द्वारा नेस्तानाबूद किए जा चुके हैं. इन इलाकों में कभी नक्सलियों की हुकूमत चला कर दी थी, लेकिन झारखंड पुलिस के द्वारा चलाए गए अभियान की वजह से इन सभी इलाकों को नक्सलियों से खाली करवाया लिया गया है. जिन स्थानों पर नक्सलियों के कैंप हुआ करते थे अब वहां पर केंद्रीय बलों के कैंप है ऐसे में इन इलाकों में नक्सलियों की वापसी असंभव है.

बाहरी मदद पर लगा ब्रेक

झारखंड के नक्सलियों को सबसे ज्यादा मदद बिहार छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से मिला करता था. लेकिन इन राज्यों में नक्सली खुद ही वहां की पुलिस से जूझ रहे हैं. झारखंड के नक्सलियों को सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ से मदद मिल करती थी, लेकिन वहां पिछले 3 महीने के भीतर 80 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया गया. ऐसे में छत्तीसगढ़ के नक्सली चाह कर भी झारखंड में अपने हथियारबंद साथियों को किसी भी तरह की मदद नहीं कर पा रहे हैं. जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में नक्सलवाद का प्रभाव बेहद कम हो गया है. ऐसे में झारखंड के नक्सलियों को बाहरी मदद न के बराबर मिल रही है.

Naxalism in Jharkhand
कैंप के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी (ईटीवी भारत)
झारखंड में नेस्तनाबूद हो चुका है भाकपा माओवादियों का शीर्ष नेतृत्व

पिछले पांच सालों में झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को लगातार बड़े बड़े झटके लगे हैं. भाकपा माओवादियों के सेकेंड इन कमांड प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और माओवादियों थिंक टैंक माने जाने वाले कंचन दा उर्फ कबीर समेत दर्जनभर बड़े नक्सली नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके अलावा कई बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भाकपा माओवादियों के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा कर दिया है. आलम यह है कि जब भी संगठन अपने आप को मजबूत करने की कोशिश करता है, तभी उन पर पुलिस का कड़ा प्रहार हो जा रहा है.

Naxalism in Jharkhand
अभियान के दौरान सुरक्षाबल (ईटीवी भारत)

साल 2024 में चतरा में एक साथ पांच इनामी (कुल मिलाकर 65 करोड़ का इनाम) नक्सलियों के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद तो संगठन की कमर ही टूट गई है. दरअसल झारखंड पुलिस माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को टारगेट में रखकर अभियान चला रही है. मात्र ढाई सालों में झारखंड पुलिस के द्वारा बेहतर रणनीति के बल पर चलाए गए अभियान की वजह से भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को लगातार झटके लगते रहे हैं. पुलिस के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में पिछले ढाई सालों में जब कभी भी बड़े नक्सल कमांडर ने सक्रियता दिखाई उसे उसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ गया.

कब कब पकड़े गए बड़े नक्सली

झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2021 से लेकर 2024 तक कुल 1890 नक्सली (भाकपा माओवादी) गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा. बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी.

प्रमुख नाम जो गिरफ्तार हुए

  • प्रशांत बोस- इनाम एक करोड़
  • रूपेश कुमार सिंह(सैक मेम्बर)प्रभा दी- इनाम 10 लाख
  • सुधीर किस्कू- इनाम 10 लाख
  • प्रशांत मांझी- इनाम 10 लाख
  • नंद लाल मांझी- इनाम 25 लाख
  • बलराम उरांव- इनाम 10 लाख

बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भी कमजोर किया संगठन को

झारखंड में भाकपा माओवादियों को ताकतवर बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़ कर पुलिस के शरण में आ चुके हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े नक्सली पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं.

हथियार और गोला बारूद की भारी कमी

पिछले 5 सालों के दौरान झारखंड पुलिस ने अपने अभियान के दम पर नक्सलियों के लगभग 500 से ज्यादा हथियार जब्त किए हैं. जब हथियारों में एक-47, अमेरिकन राइफल और पुलिस से लूटे हुए दर्जनों हथियार शामिल हैं. इसके अलावा झारखंड पुलिस ने टन के हिसाब से नक्सलियों के विस्फोटक को भी जब्त कर उन्हें नष्ट किया है. पुलिस की कार्रवाई की वजह से नक्सली संगठनों में हथियार और गोला बारूद की भारी कमी है.

जनसमर्थन मिलना हुआ बंद

झारखंड पुलिस के लिए सबसे अच्छी खबर यह है कि अब ग्रामीण नक्सलियों का समर्थन नहीं कर रहे हैं. और यह सभी जानते हैं कि अगर नक्सलियों को ग्रामीणों का समर्थन नहीं मिले तो उनकी आधी शक्ति ऐसे ही कम हो जाती है. कोल्हान में नक्सलियों से तंग आकर अब ग्रामीण भी हथियार उठा चुके हैं.

टारगेट पूरा करने में कौन कौन सी है चुनौतियां

वर्तमान समय में झारखंड में सिर्फ पांच जिले गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम नक्सल प्रभावित रह गए हैं. जबकि देश के पांच राज्यों के 12 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की श्रेणी में झारखंड का सिर्फ एक जिला पश्चिमी सिंहभूम (कोल्हान) शामिल है. झारखंड को नक्सली मुक्त करने में सबसे बड़ी बाधा कोल्हान है.

झारखंड पुलिस की रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में झारखंड में नक्सलियों की कमान एक करोड़ के इनामी पुलिस ब्यूरो मेंबर मिसिर बेसरा के हाथ में है. मिसिर बेसरा के साथ में 50 खूंखार नक्सलियों की एक पूरी टीम है. जिसमें केंद्रीय कमेटी के मेंबर अनल दा और असीम मंडल के अलावा झारखंड बिहार स्पेशल एरिया कमेटी के मेंबर सुशांत सहित अन्य नक्सली भी शामिल हैं. यह सभी कोल्हान में डेरा डाले हुए हैं.

इसके अलावा 20 से 25 नक्सलियों के दस्ते वाला एक ग्रुप कुख्यात नक्सली कमांडर अजय महतो के लिए काम कर रहा है. यह दस्ता भी पश्चिमी सिंहभूम कैंप कर रहा है. वहीं नक्सलियों का तीसरा सबसे मजबूत दस्ता केंद्रीय कमेटी के नक्सली कमांडर विवेक के नेतृत्व में काम कर रहा है यह बोकारो जिले के झुमरा इलाके में एक्टिव है. वर्तमान में झारखंड पुलिस के सामने यह तीनों दस्ते चुनौती पेश कर रहे हैं. अगर झारखंड पुलिस और केंद्रीय बल मिलकर इन तीनों दस्तो से पार पा जाते हैं तो निश्चित तौर पर झारखंड मार्च 2025 में नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा.

आईईडी है सबसे बड़ी चुनौती

झारखंड के कोल्हान इलाके में पुलिस और नक्सलियों के बीच निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. पुलिस कोल्हान की जंग कब के जीत भी गई होती, लेकिन नक्सलियों के द्वारा जंगली इलाकों में अपने बचाव के लिए लगाए गए आईईडी बम इस जंग को जीतने में बाधक बने हुए हैं. नतीजा कोल्हान के जंगल हर दूसरे तीसरे दिन विस्फोट से थर्रा रहे हैं, उन धमाकों में कभी सुरक्षा बल घायल हो रहे हैं तो कभी किसी ग्रामीण की जान जा रही है. कोल्हान की लड़ाई जितने के लिए आईईडी का सफाया बेहद जरूरी है.

टारगेट बेस्ड अभियान शुरू

अपने टारगेट को पूरा करने के लिए झारखंड पुलिस अब केंद्रीय बलों के साथ मिलकर नक्सलियो के बड़े कमांडरों के खिलाफ अभियान शुरू कर चुकी है. अभियान का एकमात्र मकसद है एक दर्जन के करीब इनामी नक्सलियों का खात्मा. इसके लिए अब टारगेट बेस्ड नक्सल अभियान शुरू किया गया है. सटीक सूचना और बेहतर रणनीति के आधार पर अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है और पूरा फोकस कोल्हान के सारंडा में रखा गया है.

वहीं, राज्य पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने स्प्रिंटर्स ग्रुप के खिलाफ भी हर जिले की पुलिस कार्रवाई कर रही है. राजधानी रांची में हाल के दिनों में स्प्रिंटर्स ग्रुप के द्वारा कई घटनाओं को अंजाम दिया गया था. लेकिन पिछले 15 दिनों के भीतर स्प्रिंटर ग्रुप के कुख्यात आलोक जी को रामगढ़ में मार गिराया गया. वहीं दूसरे कुख्यात सुल्तान जी को गिरफ्तार कर लिया गया है. रांची के ग्रामीण एसपी सुमित कुमार अग्रवाल ने बताया कि मुख्यालय के द्वारा दिए गए टास्क को पूरा करने के लिए राजधानी में भी बेहतरीन अभियान चलाया जा रहा है जिसमें लगातार कामयाबी भी मिल रही है.

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Last Updated : Jan 21, 2025, 6:50 PM IST
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