रांची:झारखंड कर्मचारी आयोग द्वारा 21 और 22 सितंबर को आयोजित सीजीएल परीक्षा के दौरान पूरे राज्य में इंटरनेट सेवा बाधित करने के राज्य सरकार के आदेश पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने सेवा को तत्काल बहाल करने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि रविवार के दिन इस मसले पर आकस्मिक सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने राज्य सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई और स्पष्ट निर्देश दिया कि इस तरह का फैसला लेने से पहले हाई कोर्ट की स्वीकृति जरूरी होगी. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा के नाम पर पूरे राज्य में इंटरनेट सेवा को बाधित करना कहीं से भी उचित नहीं है.
हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के गृह सचिव को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट ने आदेश की उस कॉपी को भी मांगा है जिसमें सुबह 4 बजे से शाम 3:30 बजे तक इंटरनेट सेवा बाधित रखने का जिक्र है. मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद दोपहर 2:00 बजे के करीब इंटरनेट सेवा बहाल हो गई.
क्या था सरकार का फैसला
दरअसल, 20 सितंबर की शाम गृह विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल के हस्ताक्षर से एक आदेश जारी हुआ था कि 21 और 22 सितंबर को सीजीएल परीक्षा को निष्पक्ष और कदाचार मुक्त करने के लिए सुबह 8:00 बजे से 1:30 बजे तक पूरे राज्य में इंटरनेट सेवा बंद रहेगी. आदेश में कहा गया था कि परीक्षा के दौरान अफवाह उड़ाने और प्रश्न पत्र लीक करने की संभावना बनी रहती है.
इसी आधार पर 21 सितंबर को सुबह 8:00 बजे से 1:30 तक इंटरनेट सेवा बंद भी थी. लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले को गलत बताते हुए अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने रजिस्टार जनरल के माध्यम से एक्टिंग चीफ जस्टिस को पत्र के जरिए सूचित किया था. उनके पत्र के आलोक में उसे जनहित याचिका में तब्दील कर सुनवाई के लिए बेंच गठित किया गया था. 21 सितंबर को खंडपीठ ने इंटरनेट सेवा बहाल करने से इनकार कर दिया था.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी जताई थी आपत्ति