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जम्मू-कश्मीर: CAT ने विधवा के पुनर्विवाह के अधिकार को बरकरार रखा, नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज की - jammu kashmir CAT - JAMMU KASHMIR CAT

Jammu Kashmir CAT Upholds Widow Right to Remarry: जम्मू-कश्मीर में कैट के एक फैसले से पुनर्विवाहित महिला को बड़ी राहत मिली है. सास और देवर ने अनुकंपा के आधार पर मिली नौकरी के खिलाफ याचिका दायर की थी.

CAT Upholds Widow's Right to Remarry
श्रीनगर स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (प्रतिकात्मक फोटो) (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 1, 2024, 2:26 PM IST

श्रीनगर:श्रीनगर स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने एक पुनर्विवाहित महिला की अनुकंपा के आधार पर मिली नौकरी के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया. महिला की सास और देवर ने यह याचिका दायर की थी. पति की मौत के बाद महिला को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली और बाद में महिला ने दूसरी शादी कर ली.

श्रीनगर के कैट (CAT) ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की पुनः पुष्टि की है. साथ ही कैट ने कहा है कि विधवा द्वारा पुनर्विवाह करने के कारण इन अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता. याचिका में पुनर्विवाहित महिला की अनुकंपा नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई थी. पीठ के सदस्य एम एस लतीफ और प्रशांत कुमार ने जोर देकर कहा, 'अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों को केवल विधवा पुनर्विवाह के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.'

कैट ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का हवाला दिया, जिसमें पुनर्विवाह के सामाजिक और व्यक्तिगत महत्व को रेखांकित किया गया था. इसमें कहा गया था कि रोजगार की शर्त के रूप में पुनर्विवाह को सीमित करने वाला कोई भी वैधानिक प्रावधान संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है. मामले में इलाहाबाद से जुड़े के एक फैसले का हवाला दिया. इसमें कहा गया था कि पुनर्विवाह एक सामाजिक या जैविक मानवीय आवश्यकता हो सकती है और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी सेवा समाप्ति का आधार नहीं हो सकती है.

पेश मामले में 2014 में पति की सरकारी सेवा में रहते हुए मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर पत्नी को नियुक्त किया गया था. सास और महिला के देवर की ओर से याचिका में कर तर्क दिया गया था कि उसके पुनर्विवाह ने नियुक्ति के लिए उसके अधिकार को अमान्य कर दिया. अनुकंपा का लाभ उसके बेटे के आश्रितों को मिलना चाहिए. धार्मिक आयाम को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा, 'महिला आस्था से मुस्लिम है और इस्लाम विधवाओं के पुनर्विवाह पर प्रतिबंध नहीं लगाता है जो अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित अधिकार है.'

कैट (CAT) ने इस बात पर जोर दिया कि सांस्कृतिक अपेक्षाएं भले ही बहुओं के लिए अपने मृत पति के माता-पिता के प्रति दायित्वों का सुझाव देती हों, लेकिन ये स्वैच्छिक हैं और कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं. जवाब दिया कि मृतक का भाई, वयस्क होने और अच्छे स्वास्थ्य में होने के कारण, खुद का भरण-पोषण करने के साधन रखता है और वह पुनर्विवाहित महिला प्रतिवादी के वेतन के किसी भी हिस्से का हकदार नहीं है.

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