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160 सालों की रामलीला में लंका की खोज, आधा शहर बनता 'अयोध्या', आधा जनकपुरी - Jabalpur Ramleela

मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर संस्कारधानी कहा जाता है. यहां के अलग-अलग संस्कारों में गोविंदगंज रामलीला भी किसी संस्कार से काम नहीं.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

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Updated : 1 hours ago

JABALPUR RAMLEELA HISTORY
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जबलपुर :कई मायनों में मध्यप्रदेश के जबलपुर की रामलीला देश की दूसरी रामलीलाओं से पूरी तरह अलग है. इस रामलीला के सदस्य इसे सामान्य अभिनय से हटकर अनुष्ठान मानते हैं और 21 दिनों तक अपने घर नहीं जाते. इस दौरान एक मोहल्ला अयोध्या बन जाता है, तो दूसरा मोहल्ला बनता है जनकपुरी. कोई बारात का हिस्सा होता है तो कोई सीता के मायके से. आइए जानते हैं जबलपुर की इस अनोखी रामलीला के बारे में.

160 सालों से चली आ रही गोविंदगंज रामलीला

जबलपुर में आज से लगभग 160 साल पहले गोविंदगंज में एक छोटी सी रामलीला शुरू हुई थी. 160 साल के इतिहास में इस रामलीला का मंचन केवल 3 बार नहीं हुआ, पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, दूसरी बार भारत चीन के युद्ध के दौरान और तीसरी बार कोरोना महामारी के दौरान. इन तीन घटनाओं को छोड़ दें तो गोविंदगंज की रामलीला 1865 से निंरतर चली आ रही है.

ये रामलीला नवरात्रि में शुरू होती है और कुल 21 दिनों तक चलती है. (Etv Bharat)

यह केवल लीला नहीं, अनुष्ठान है

गोविंदगंज रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले पवन पांडे बताते हैं कि वे 1985 से गोविंदगंज रामलीला से जुड़े हुए हैं. उन्होंने रामलीला में अलग-अलग अभिनय किए हैं. पवन पांडे का कहना है कि गोविंदगंज रामलीला केवल मंच पर खेले जाने वाला एक नाटक नहीं है बल्कि यह एक अनुष्ठान है. रामलीला शुरू होने के पहले इस अनुष्ठान के महत्वपूर्ण कलाकार पूजा के साथ संकल्प लेते हैं और जब तक रामलीला पूरी नहीं हो जाती तब तक इस संकल्प को निभाना होता है.

देखें वीडियो (Etv Bharat)

21 दिनों तक घर नहीं जाते रामलीला के पात्र

इस साल रामलीला में ओम दुबे भगवान श्री राम का पात्र निभा रहे हैं. ओम दुबे कहते हैं कि वे 21 दिनों तक अपने घर से दूर रहेंगे. वे मंदिर के इसी कमरे में अपने पांच साथी लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व हनुमान का पात्र निभाने वाले साथियों के साथ रह रहे हैं. ओम दुबे का कहना है कि उन्होंने मंचन के पहले यह संकल्प लिया था कि वह 21 दिनों तक पूरी तरह से शुद्ध और पवित्र रहेंगे. इसके लिए उन्हें अपने घर से दूर मंदिर में बने कमरे में रहना होगा और बिल्कुल सादा भोजन करना होगा. ओम दुबे कॉमर्स के 12वीं क्लास के छात्र हैं. उनका कहना है कि वे यहीं पुस्तक ले आए हैं और यहीं पढ़ाई कर रहे हैं. ओम दुबे जब भगवान राम के चरित्र में होते हैं तो वे लोगों को आशीर्वाद भी देते हैं. उस समय उनका कहना होता है कि वह भगवान से प्रार्थना कर रहे होते हैं कि आशीर्वाद लेने वाले का काम सफल कर देना.

बेहद अनुशासन व पवित्रता के साथ रहते हैं रामलीला के पात्र (Etv Bharat)

एक मोहल्ला बनता है अयोध्या, दूसरा जनकपुरी

समिति के सदस्य मनीष पाठक बताते हैं, '' इस अनोखी रामलीला में जब भगवान राम जनकपुरी के लिए बारात लेकर जाते हैं तो गोविंदगंज रामलीला की बारात छोटे फुहारा क्षेत्र से निकलती है. पूरा शहर घूमते हुए जब बारात निवाडगंज पहुंचती है, तो निवाडगंज के लोग बरात का स्वागत बिल्कुल वैसे ही करते हैं जैसे भगवान राम की बारात का स्वागत जनकपुरी में किया गया था. गोविंदगंज अयोध्या बन जाता है और निवाडगंज जनकपुरी. इस बारात में केवल रामलीला करने वाले पात्र शामिल नहीं होते बल्कि शहर के सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक सभी क्षेत्र के लोग हिस्सा होते हैं.

160 से चली आ रही रामलीला में हर साल नए युवा जुड़ जाते हैं. (Etv Bharat)

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21 दिन चलती है जबलपुर की राम लीला

जबलपुर के फेमस बैंड इस बारात में मधुर धुन निकालकर पूरा वातावरण संगीतमय कर देते हैं. जबलपुर संस्कारों का शहर है और गोविंदगंज रामलीला जबलपुर का एक संस्कार है जिसे कई पीढियां से निभाया जा रहा है. हर बार इसमें नए बच्चे जुड़ते हैं और यह परंपरा आगे बढ़ती जा रही है. सामान्य तौर पर रामलीला 8 -10 दिन चलती हैं लेकिन जबलपुर के गोविंदगंज की रामलीला पूरे 21 दिनों तक का अनुष्ठान है. बदलते दौर में रामलीला लगभग बंद हो गई है लेकिन पुराने जबलपुर के लोगों ने इस परंपरा को अपने स्वरूप में जिंदा रखा है.

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