छिंदवाड़ा : मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में एक ऐसा गांव हैं जहां लोगों को ठंड में पानी गर्म करने की जरूरत नहीं पड़ती. यहां बिना गैस, चूल्हा या गीजर के गर्म पानी हर वक्त मौजूद रहता है. हम बात कर रहे हैं माहुलझिर गांव में मौजूद 'अनहोनी कुंड' की. नाम सुनने में जरूर हैरान करने वाला है पर यहां के दो कुंड लोगों के लिए चमत्कार से कम नहीं हैं. अनहोनी माता मंदिर के पास दो कुंड हैं, जिसमें एक का नाम 'होनी' और दूसरे का 'अनहोनी' है.
भीषण ठंड में भी गर्म रहता है कुंड का पानी
अनहोनी माता मंदिर में बने इन कुंडों में से एक में गर्फ पानी तो दूसरे में ठंडा पानी हर वक्त मौजूद रहता है. माहुलझिर गांव और उसके पास रहने वाले कई लोगइसी कुंड से पानी ले जाकर नहाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में भीषण ठंड में भी गांव वालों को पानी गर्म करने का प्रबंध नहीं करना पड़ता.
गांव वालों के लिए चमत्कार, करता है रोग दूर
ग्रामीणों के मुताबिक अनहोनी कुंड का नाम इस कुंड के अनोखे चमत्कारों को देखकर ग्रामीणों ने ही रखा. वहीं कुंड के पास ही माता की एक मूर्ती स्थापित की, जिन्हें 'अनहोनी माता' कहा जाता है. मान्यता है कि गर्म पानी के कुंड में स्नान करने से फोड़े, फुंसी, दाद-खाज, खुजली आदि चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है. इसी वजह से गर्म पानी के नाम से यह कुंड दूर-दूर तक प्रसिद्ध है और यह कुंड इसलिए भी खास है क्योंकि इससे हमेशा गर्म पानी आता रहता है. लोग दूर-दूर से कुंड के पानी से नहाने के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि कुंड के पानी से स्नान करने से बीमारियों के साथ कई परेशानियों ठीक हो जाती हैं.
कुंड को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
भूगर्भ शास्त्री डॉक्टर संत कुमार शर्मा कहते हैं, इस अनहोनी के कुंड में साल भर गर्म पानी निकलते रहता है. ग्रामीणों की इस कुंड के प्रति विशेष आस्था और तरह-तरह की मान्यताएं हैं. वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यहां जमीन के नीचे गंधक की मात्रा अधिक है, जिसकी वजह से पानी गर्म आता है. वहीं जब गंधक युक्त पानी शरीर पर पड़ता है तो कई तरह के चर्म रोगों से राहत मिलती है.''
संक्रांति में लगता है भव्य मेला
मकर संक्रांति में सात दिनों तक यहां मेला लगता है. मेले में शामिल होने के लिए नागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, जबलपुर और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं. संक्रांति के दिन सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु अनहोनी गरम कुंड पहुंचते हैं और यहां स्नान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि संक्रांति के दिन भगवान शंकर, माता पार्वती, और मां अनहोनी के दर्शन कर उन्हें तिल के लड्डुओं व खिचड़ी का भोग लगाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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