चंडीगढ़:पीजीआई चंडीगढ़ में हजारों लोग पेट की बीमारी का इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं. पीजीआई में तीन दिनों से OPD में इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज यानी पेट में अचानक उठने वाला दर्द या दूसरी भाषा में कहा जाए तो आंतों में सूजन आना. पेट में सूजन संबंधी बीमारियों में आंत में सूजन आ जाती है. जिससे अक्सर पेट में दर्द और दस्त होते हैं. यह बीमारी एक खतरनाक रूप लेते हुए गट कैंसर भी बन सकती है.
विश्व स्तर पर IBD की स्थिति:चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों ने बताया कि विश्व आईबीडी दिवस हर साल 19 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है. इस वर्ष इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज का विषय है. आईबीडी की कोई सीमा नहीं है. आईबीडी को कभी पश्चिमी बीमारी माना जाता था. लेकिन अब वास्तव में एक वैश्विक बीमारी है. ये बीमारी सभी महाद्वीपों में पाई जाती है.
लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या:पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. उषा दत्ता ने बताया कि पेट से जुड़ी समस्या का मुख्य कारण हमारे रोजाना के खानपान से जुड़ा हुआ है. खाना अगर कच्चा होगा या घंटा पहले पका हुआ खाना होगा तो पेट को नुकसान होगा. पहले से ही पेट में कुछ ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो हमारे खाने से जरूरत की चीज को निकाल कर बाकी वेस्ट बना देता है. लेकिन अगर हम खाना ही गलत खा रहे हैं, तो शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया उसे और खतरनाक बना देते हैं.
धीरे-धीरे बन जाता है कैंसर: आमतौर पर खाने के एक घंटे बाद पेट में उठने वाले दर्द होने पर लोग अजवाइन और ईनो पी लेते हैं. लेकिन यह दर्द कोई आम दर्द नहीं होता, बल्कि पेट में पहुंच चुके खाने से होने वाले नुकसान का संकेत होता है. जो धीरे-धीरे गट कैंसर बन जाता है. जिससे मरीज का वजन लगातार घटता जाता है. गर्मियों के चलते बाजारों में मिलने वाले खाने की समय सीमा कुछ ही घंटों में खत्म हो जाती है. उसके बाद वह एक नुकसान देने वाला पदार्थ बनकर रह जाता है. विदेशों के मुकाबले भारत में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है. जिसके चलते घंटों पहले पकाया हुआ खाना आम लोगों को परोसा जाता है. जिससे उन्हें अल्सर, पेट में सूजन और लैट्रिन में बार बार आने वाला खून इसकी मुख्य कारण है.
IBD क्या है?:आईबीडी एक आंत्र रोग (क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस सहित) है, जो दुनिया भर में लगभग पांच मिलियन लोगों को प्रभावित करता है. माना जाता है कि भारत दुनिया भर में आईबीडी मामलों में दूसरे स्थान पर है. इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है. कोई स्पष्ट रूप से स्थापित कारण नहीं है. आईबीडी रोगियों को अपने दैनिक जीवन में जिस दर्द और पुरानी पीड़ा का सामना करना पड़ता है. उसके बारे में जागरूकता नहीं है.
IBD का क्या कारण है?:माना जाता है कि आईबीडी कई कारणों से होता है. आईबीडी में जठरांत्र संबंधी मार्ग की सूजन, अल्सर, आंतों की सिकुड़न हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि ये हमारी आंत पर एक ऑटोइम्यून हमले के परिणामस्वरूप होता है. जो उन व्यक्तियों में पर्यावरणीय एंटीजन होता है. ये ज्यादातर उन लोगों को ही होता है, जिनमें पर्यावरणीय उत्तेजनाएं होते हैं और मुख्य रूप से आहार से संबंधित होता है.