उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / bharat

दुनिया में घटेगा फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल, पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में जगी नई संभावनाएं, जानें CSIR-IIP देहरादून में हुई क्या चर्चा - Petrochemical industry NEWS - PETROCHEMICAL INDUSTRY NEWS

One Week One Team Program at IIP Dehradun: दुनिया में फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल सीमित होना पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में नई संभावनाएं खोलेगा. ये कहना है पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों का. CSIR-IIP देहरादून में जुटे देशभर के नामचीन पेट्रो केमिकल इंडस्ट्री विशेषज्ञों की चर्चा के बीच आईआईपी देहरादून के निदेशक डॉक्टर HS बिष्ट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

वन वीक वन टीम प्रोग्राम
पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री मीटिंग (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 19, 2024, 11:06 AM IST

Updated : Jul 19, 2024, 2:06 PM IST

पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री का मंथन (Video- ETV Bharat)

देहरादून: काउंसिल ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च का देहरादून में मौजूद केंद्रीय संस्थान आईआईपी में वन वीक वन टीम प्रोग्राम के तहत दुनिया भर में ऊर्जा के बढ़ते स्वरूप को देखते हुए पेट्रोकेमिकल के क्षेत्र में नई संभावनाओं पर चर्चा की गई. चर्चा में पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञ शामिल रहे.

देहरादून IIP में जुटे पेट्रो केमिकल इंडस्ट्री विशेषज्ञ: गुरुवार को देहरादून इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम में वन वीक वन टीम के तहत इंडस्ट्रियल मीट का आयोजन किया गया. इसमें देश भर के पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी इंडस्ट्रीज जुड़े 7 बड़े इंडस्ट्रियल रिसर्चर मौजूद रहे. पूरे दिन चली इस इंडस्ट्रियल मीट में मुख्य अतिथि के रूप में आईआईपी देहरादून के निदेशक डॉक्टर HS बिष्ट मौजूद रहे. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि इस इंडस्ट्रियल मीट में ज्यादातर लोग पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी इंडस्ट्री से शामिल हुए.

उन्होंने बताया कि केंद्रीय ऑर्गनाइजेशन काउंसिल ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी CSIR की देश में मौजूद सभी लैब में वन वीक वन थीम प्रोग्राम के तहत यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं. देहरादून IIP में पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी सेक्टर के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग को और अधिक बेहतर बनाने साथ ही उन्होंने बताया कि जिस तरह से आज पूरी दुनिया कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में आगे बढ़ रही है और उसके बाद फॉसिल फ्यूल की उपयोगिता धीरे-धीरे पूरी दुनिया में घटेगी. इसके साथ ही पेट्रोकेमिकल में इसका विस्तार होगा. इसी को देखते हुए इस तरह के शोध कार्यक्रमों में नई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम देहरादून के डायरेक्टर डॉक्टर हरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि इस इंडस्ट्रियल मीट में IOCL, BPCL, Mittal industry, HME, रिफाइनरीस के अलावा इंडियन ग्लाइकोल, गोदरेज, EIL इंडस्ट्री इत्यादि से रिसर्च प्रतिनिधि आए हैं. उन्होंने बताया कि पेट्रोकेमिकल पर आज ज्यादा ध्यान देने की बहुत जरूरत इसलिए है क्योंकि जिस तरह से पूरी दुनिया आज रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ बढ़ रही है और आज इलेक्ट्रिक और सोलर एनर्जी पेट्रोल एनर्जी का विकल्प बनकर सामने आ रही है तो आने वाले समय में पेट्रोल फ्यूल की डिमांड काफी कम हो जाएगी. तब पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री अपनी रफ्तार पकड़ेगी और वह समय होगा जब पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री कई अपार संभावनाएं लेकर सामने आएगी.

घटता फॉसिल फ्यूल लाएगा पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में नई संभावना:उन्होंने बताया कि जिस तरह से पेट्रोल डीजल फ्यूल में कमी आएगी वहीं दूसरी तरफ पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री रफ्तार पकड़ेगी. कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स, कैंडल इंडस्ट्री और साबुन के अलावा और कई दैनिक जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाले ऐसे केमिकल हैं, जिनकी डिमांड मार्केट में बढ़ेगी. वहीं दूसरी तरफ अभी से शोधकर्ताओं द्वारा इस बात पर फोकस किया जा रहा है कि किस तरह क्रूड ऑयल से फ्यूल कम बनाकर उसे पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री के इस्तेमाल लायक बनाया जाए और वही आने वाले समय का मुख्य फोकस होगा.

कार्बन डाइऑक्साइड से बनाया जाएगा केमिकल:डायरेक्टर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम डॉ बिष्ट ने बताया कि पूरी दुनिया का मकसद है कि कार्बन उत्सर्जन को काम किया जाए. लगातार इस पर शोध किया जा रहा है और किस तरह से कार्बन डाइऑक्साइड से केमिकल बनाया जाए और इसका वातावरण में काम उत्सर्जन किया जाए. वहीं इसके अलावा पेपर इंडस्ट्री से निकलने वाले वेस्टेज का किस तरह से इस्तेमाल हो इस पर भी लगातार चर्चा की जा रही है.
ये भी पढ़ें:

Last Updated : Jul 19, 2024, 2:06 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details