देहरादून: उत्तराखंड में यूसीसी के लेकर बड़ी खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि 27 जनवरी को उत्तराखंड में यूसीसी लागू कर दिया जाएगा. 27 जनवरी को 12.30 बजे बाद यूसीसी को उत्तराखंड में लागू होगा. इसी दिन उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी यूसीसी पोर्टल भी लांन्च करेंगे.
दिल्ली में चुनावी प्रचार प्रसार करने के बाद शनिवार को देहरादून पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लागू करने की दिशा में संकेत दिये. सीएम धामी ने कहा 27 जनवरी को उत्तराखंड में यूसीसी लागू कर दिया जाएगा. बता दें उत्तराखंड में यूसीसी लागू किए जाने संबंधित तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड का पोर्टल तैयार हो चुका है. इसके अलावा यूसीसी को लागू करने से संबंधित अधिकारियों की ट्रेनिंग भी कराई जा चुकी है. कुल मिलाकर यूनिफॉर्म सिविल कोड कि अब सारी प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि 27 जनवरी को करीब 12.30 बजे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेंगे. जिसके चलते शासन स्तर पर तैयारियां तेज हो गई हैं.
उत्तराखंड यूसीसी नियमावली के मुख्य बिंदु
- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक.
- बहुविवाह पूर्ण तरीक़े से बैन केवल एक शादी होगी मान्य.
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए डिक्लेरेशन होगा जरूरी.
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों की पूरी जानकारी देनी होगी.
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्ट्रेशन करना होगा.
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर मिलेगा हिस्सा.
- एडॉप्शन सभी के लिए होगा मान्य.
- मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा गोद लेने का अधिकार.
- गोद लेने की प्रक्रिया का होगा सरलीकरण.
- मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी.
- शादी के बाद रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य.
- हर शादी का गांव में ही रजिस्ट्रेशन होगा.
- बिना रजिस्ट्रेशन की शादी अमान्य मानी जाएगी.
- शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा.
- पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे.
- तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा.
- नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी.
- अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है, तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंनशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा.
- पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी.
- गार्जियनशिप, बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा.
- पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है.
- यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी हो सकता है प्रावधान.
- जनसंख्या नियंत्रण के लिए बच्चों की सीमा तय की जा सकती है
यूसीसी लागू होने के बाद क्या कुछ बदलेगा
- समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी.
- किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून प्रभावित नहीं होंगे.
- बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा करेगा यूसीसी
- विवाह का पंजीकरण होगा अनिवार्य. पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं का नहीं मिलेगा लाभ.
- पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना होगा प्रतिबंधित.
- सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित.
- वैवाहिक दंपति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का होगा अधिकार.
- पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी, बच्चे के माता के पास ही रहेगी.
- सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार होगा.
- सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार.
- मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी.
- संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा.
- नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा.
- किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार मिलेगा.
- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया जाएगा.
- लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा.
- लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे.
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