देहरादून(उत्तराखंड): केदारघाटी में 31 जुलाई की रात आसमान से आफत बरसी। जिसके कारण केदारनाथ यात्रा पड़ावों पर आपदा जैसे हालात पैदा हो गये. जिसके कारण हजारों तीर्थयात्री यात्रा मार्गों पर फंस गये. जिन्हें रेस्क्यू करने के लिए राज्य सरकार के साथ ही सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. केदारनाथ में सेना के 3 अधिकारी, 2 JCO और 40 जवानों के कॉलम ने रिलीफ और रेस्क्यू ऑपरेशन की मदद से कई लोगों की जान बचाई.
31 जुलाई से केदारनाथ में राज्य प्रशासन के साथ सेना रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग ले रही है. इसके तहत 261 लोगों को वायु मार्ग के जरिये सकुशल निकाला गया. अलकनंदा नदी पर दो फुटओवर ब्रिज बनाकर 300 से ज्यादा फंसे हुए यात्रियों को सोनप्रयाग तक पहुंचाया गया. केदारघाटी में चल रहे ऑपरेशन के बारे में बातचीत करते हुए रक्षा मंत्रालय के PRO डिफेंस, ले कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया ग्राउंड जीरो पर उत्तराखंड के जोशीमठ में मौजूद भारतीय सेना की Ibex ब्रिगेड कमांडर के नेतृत्व में कर्नल हितेश, 2 अधिकारियों, 2 JCO के साथ 40 जवानों का पूरा एक कॉलम केदारनाथ रेस्क्यू में लगा हुआ था. यह पूरा ऑपरेशन हैडक्वाटर सेंट्रल कमांड लखनऊ और हेड क्वार्टर उत्तर भारत एरिया बरेली के अलावा उत्तराखंड सब एरिया के निगरानी में पूरा किया गया.
रिलीफ और रेस्क्यू ऑपरेशन में सुरक्षित निकल गये हजारों यात्री: जनसंपर्क कार्यालय ने बताया इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वायु मार्ग से आपदा प्रभावितों को निकालने गौचर और गुप्तकाशी में एमआई 17 और चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किए गए थे. इनके जरिए तकरीबन 261 यात्रियों को रेस्क्यू किया गया. चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से 1000 किलो से ज्यादा की रसद सामग्री, भंडार के साथ-साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के लोगों को आपदाग्रस्त इलाके में तैनात करने में मदद की गई. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सेना के जवानों ने बर्मा ब्रिज तकनीक का प्रयोग करते हुए दो फुटओवर ब्रिज मंदाकिनी नदी पर बनाए. जिससे 294 फंसे हुए निवासियों तथा तीर्थ यात्रियों को निकाला गया. इसके अलावा गौचर हेलीपैड और सिमली हेलीपैड पर मेडिकल रूम बनाया गया था, जहां से सुरक्षित निकाले गए यात्रियों को खाने पीने और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई.